बाराबंकी में एक अंतर जनपदीय समेत कुल आठ बस अड्डे, फिर भी अंदर आने की बजाय हाईवे से गुजर जाती हैं बसें, यात्री करते रहते इंतजार
बाराबंकी, अमृत विचार। बाराबंकी जिले में बने बस अड्डों पर बसों के पहुंचने का कोई व्यवस्थित शेड्यूल नहीं है। शहरी क्षेत्र से जिले के भीतर और लखनऊ, कानपुर, अयोध्या, गोंडा, बहराइच, गोरखपुर और बस्ती समेत तमाम जिलों की तरफ रोजाना हजारों यात्री सफर करते हैं। यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए सरकार ने जिला मुख्यालय पर एक बस स्टेशन होने के बावजूद करोड़ों रुपये खर्च कर दूसरा नया स्टैंड बनाया।
नये बस अड्डे पर तमाम सुविधाएं भी स्थापित कराईं, लेकिन उसके बाद भी ड्राइवरों और कंडक्टरों की मनमानी सरकार के मंसूबे पर पानी फेर रही है। क्योंकि तेज धूप और तपिश के बीच सैकड़ों मुसाफिर बसों के इंतजार में रोड पर ही खड़े रहते हैं। यही हाल जिले के रामनगर और हैदरगढ़ बस अड्डे का भी है। यहां भी यात्री बस सीधे निकल जाने के डर से बाहर ही खड़े हो जाते हैं। फतेहपुर का बस अड्डा सालों से किराये के भवन में चल रहा है। जबकि टिकैतनगर और रामसनेहीघाट क्षेत्र में बस अड्डा न होने की वजह से यात्रियों के पास रोड पर खड़े होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है। यह हालत तब है जब जिले से सांसद, एक मंत्री समेत भाजपा के दो विधायक हैं।
केस 1- करोड़ों खर्च लेकिन नहीं आ रहीं बसें
गुरुवार दोपहर बारह बजे का वक्त। आजाद नगर के संजय शुक्ला हाईवे किनारे बने नये अंतर जनपदीय बस स्टेशन पर अयोध्या जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। लगभग दो बजे बस आई, लेकिन बस स्टैंड परिसर में आने की बजाय हाईवे से ही सड़क पर वाहनों का इंतजार कर रहीं सवारियों को भरकर सीधे निकल गई। पूछताछ केंद्र पर पता किया तो पता चला कि फिलहाल अयोध्या जाने के लिए कोई बस उपलब्ध नहीं हैं। जिसके चलते परेशान संजय शुक्ला व्यवस्था को कोसते हुए मुख्य हाईवे की तरफ चल दिए।
वहीं एक अन्य यात्री अकरम ने बताया कि बसों के स्टेशन पर न आने से यात्रियों को तेज धूप के बावजूद बाहर या पल्हरी बाईपास पर ही खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। बता दें कि लखनऊ-अयोध्या हाईवे से रोजाना अयोध्या, गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर समेत तमाम जिलों के लिये तकरीबन 500 से ज्यादा लंबी दूरी वाली रोडवेज बसें गुजरती हैं। लेकिन फिर भी इन जिलों की तरफ सफर करने वाले हजारों यात्री बसों के इंतजार में खड़े ही रह जाते हैं। यह आलम तब है जब परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह खुद बाराबंकी में रोडवेज की बसें शहर के अंदर से होकर जाने के कई बार निर्देश दे चुके हैं। लेकिन फिर भी अधिकतर बसें अंदर नहीं आतीं।
केस 2- अंधेरा होते ही बसों का संचालन बंद
वहीं जिला मुख्यालय पर ही स्थित देवा रोड वाले बस स्टेशन की अगर बात करे तो के यहां से करीब 112 अनुबंधित बसों का संचालन होता है। जिनसे लखनऊ, टिकैतनगर, हैदरगढ़, देवा और फतेहपुर समेत जिले के 29 दूसरे रूटों पर रोजाना 45 हजार के करीब यात्री सफर करते हैं। लेकिन अंधेरा होते ही यहां से सभी बसों की सेवाएं बंद हो जाती हैं। प्राइवेट नौकरी करने वाले अमित ने बताया कि वह टिकैतनगर से लखनऊ का डेली सफर करते हैं। वापसी में अगर देर हो जाती है तो अंदर से बस मिलना मुश्किल ही रहता है। अंधेरा होने के बाद वह प्राइवेट वाहनों से किसी तरह धक्के खाते हुए वापस टिकैतनगर तक पहुंचते हैं।
इसके अलावा जिले के कई रूटों पर अभी भी बसों का संचालन नहीं शुरू हो सका है। इसके अलावा अगर किसी दूसरे जिले का सफर करना होता है तो फिर आपको जिले से कोई सीधी बस नहीं मिल सकती। यात्री या तो प्राइवेट वाहन से जाए या फिर डग्गामार वाहनों के भरोसे अपना सफर करे। यात्री विमल ने बताया कि अधिकांश बसें शहर में अंदर आए बिना ही हाईवे के रास्ते से गुजर जाती हैं। इसके चलते यात्रियों को हाईवे तक की दौड़ लगानी पड़ती है। इससे उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विमल के मुताबिक अंधेरा होने के बाद बसों के सहारे कहीं जाने का मतलब एक जंग लड़ना जैसा होता है।
केस 3- बस अड्डा बना शोपीस
रामनगर के बुढ़वल चौराहे पर लाखों की लागत से बनाया गया बस स्टॉप शोपीस बना है। इसका लाभ यात्रियों को नहीं मिल पा रहा। लखनऊ, गोंडा, बहराइच जाने वाली परिवहन विभाग की बसें बस स्टॉप पर नहीं आती हैं। जिससे चिलचिलाती धूप में वृद्ध, महिलाएं, नौनिहाल और बच्चों समेत अन्य यात्रियों को हाईवे के किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है।
यात्री धूप से बचने के लिए कहीं गुमटी तो कहीं पेड़ की छांव में बसों का इंतजार करते है। बसों को देखते ही वह हाईवे पर दौड़ लगाना शुरू करते हैं। जिससे चौराहे पर आए दिन जाम जैसी स्थित बनी रहती है। जो अक्सर दुर्घटना का भी कारण बनता है। जानकारी के बावजूद संबंधित विभाग इस समस्या की अनदेखी कर रहा है। यात्री आलोक ने बताया कि इस भीषण गर्मी में बस अड्डे पर न तो शीतल जल की व्यवस्था है और न विभाग का कोई कर्मचारी ही मौजूद रहता है। कैंटीन भी ईज तक नहीं खुल पाई है। बस स्टॉप पर बने कार्यालय में ताला बंद रहता है। आलम यह है कि एक कमर्चारी हाइवे पर रुकने वाली बस का नंबर नोट कर लेता है। इसके बाद बसे हाइवे से ही रवाना हो जाती है।
केस 4- 10 दिनों के लिए संचालित होता है बस अड्डा
पर्यटन नगरी का तमगा प्राप्त कस्बा देवा स्थित सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर जियारत करने प्रतिदिन हजारों जायरीनों का आवागमन होता है। बाराबंकी से कस्बा देवा होकर परिवहन निगम की 39 बसें प्रतिदिन फतेहपुर, महमूदाबाद, बेलहरा, सूरतगंज और बाबागंज आदि जगहों पर जाती है। इन बसों के रुकने के लिए कस्बा देवा में एक बस स्टाप तक नहीं है। पूर्व में कस्बा देवा स्थित एक दुकान में बस स्टेशन संचालित होता था और वहां पर आने जाने वाली बसों की इंट्री भी होती थी, लेकिन बीते एक दशक पहले वह भी बंद हो गया। कस्बे के बाराबंकी मार्ग पर मामा नहर पुल के पास परिवहन निगम का बस स्टाप बना हुआ है, लेकिन वह केवल देवा मेला के दौरान 10 दिनों के लिए संचालित होता है।
इसके बाद वह बदहाल अवस्था में साल भर पड़ा रहता है। प्रत्येक वर्ष मेला आने से पूर्व परिवहन निगम इसके रंग रोगन और मरम्मत में लाखो रुपए खर्च करता है और देवा मेला के बाद इसकी हालत जस की तस हो जाती है। देवा क्षेत्र के नई बस्ती मजरे सालेहनगर निवासी राहुल सिंह बताते हैं कि कस्बा देव में बस स्टेशन ना होने के चलते बसें निर्धारित जगह पर नहीं रुकती हैं। जिससे यहां भयंकर जाम लगता है। अक्सर प्राइवेट साधनों का सहारा लेना पड़ता है। मजार पर जियारत करने आए बहराइच जनपद के जरवल रोड थाना क्षेत्र के गुरवलिया गांव से अजय पाल सिंह ने बताया कि कस्बा देवा में रोडवेज बसों के रुकने का एक निश्चित स्थान नहीं है।
केस 5-स्टेशन पर बस के नहीं होते दर्शन
लखनऊ सुल्तानपुर हाईवे से चंद कदमों की दूरी पर हैदरगढ़ भिटरिया मार्ग पर जर्जर हालत में पड़े हैदरगढ़ बस स्टेशन को तीन साल पहले करोड़ों रुपए की लागत से नया रूप दिया गया था। आधुनिक बस स्टेशन का निर्माण हो जाने से क्षेत्रवासियों में यह उम्मीद जगी थी कि लखनऊ के चारबाग स्टेशन से 75 बसों के बेड़े के साथ संचालित हो रहे हैदरगढ़ डिपो का संचालन हैदरगढ़ से सुनिश्चित हो सकेगा और लोगों को सभी क्षेत्रीय मार्गों पर बसों की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। साथ ही लखनऊ, कानपुर, सुल्तानपुर, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़ और बनारस सहित विभिन्न जिलों के लिए संचालित होने वाली बसें स्टेशन पर आएंगी।
लेकिन परिवहन निगम की लापरवाही से क्षेत्रवासियों के इन मंसूबों पर पानी फिर गया। आज की तारीख में बाराबंकी डिपो की बसों, हैदरगढ़ से दिल्ली के लिए जाने वाली बसों के अलावा हैदरगढ़ से रायबरेली एवं एक दो अन्य बसों को छोड़कर अन्य किसी भी बस के दर्शन स्टेशन पर नहीं होते हैं। लंबी दूरी की बसों के इंतजार में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को चिलचिलाती धूप में सड़क के किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। जिसकी वजह से चौराहे पर अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है और हादसे भी होते हैं।
केस 6- किराए के भवन में चल रहा बस अड्डा
कस्बा फतेहपुर से होकर सैकडों संख्या में परिवहन निगम की अनुबधित बसों का आवागमन होता है। लेकिन विभाग द्वारा एक बस स्टाप का निर्माण आज तक नहीं किया गया है। किराए के भवन में संचालित होने वाला इस बस स्टाप पर कोई भी मूलभूत सुविधाएं यात्रियों के लिए उपलब्ध नहीं है। इस भीषण गर्मी में आने वालें यात्रियों को पेड़ के नीचे खडे होकर बसों इन्तजार करना पड़ता है।
कस्बा फतेहपुर से होते हुए सूरतगंज, हेतमापुर, बेलहरा, छेदा, सुढ़ियामउ, रामनगर के साथ निकटवर्ती जिला सीतापुर के ग्राम रामपुर मथुरा, बहादुरगंज, महमूदाबाद, बिसवां तक परिवहन विभाग की अनुबंधित बसें यात्रियों की सुविधाएं के लिए चलाई जा रही है। प्रतिदिन करीब सौ बसों का आवागमन होता है, इन बसों से हजारों की संख्या में यात्री जाते आते हैं। वहीं बसों के ठहरने के लिए विभाग द्वारा कस्बे फतेहपुर में किराए के भवन में बस स्टाप संचालित किया जा रहा है।
केस 7- नहीं पूरा हो सका निर्माण
पूर्वांचल का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले रामसनेहीघाट में कई वर्षों से बन रहे बस अड्डे का निर्माण अभी भी पूरा नहीं हो सका। तत्कालीन विधायक और मौजूदा राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा ने मार्च माह में बस स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा करवाने के साथ ही संचालित किए जाने का भरोसा दिलाया था। इसके बावजूद कार्यदायी संस्था की लापरवाही से बस स्टेशन का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। जिस कारण लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर और कानपुर सहित अन्य जिलों में क्षेत्रीय लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए डग्गामार या अन्य वाहनों का सहारा लेना पड़ता है।
बता दें सितंबर 2020 में तहसील प्रशासन द्वारा धरौली व बैशनपुरवा में चिह्नित 441 वर्ग मीटर जमीन परिवहन विभाग को दी गई थी। 3.37 करोड़ की लागत से बनने वाले इस बस अड्डे का निर्माण कार्य नवंबर 2021 से शुरू हुआ था। बस अड्डे पर चारों तरफ बाउंड्रीवाल, भवन, इंटरलाकिग, यात्रियों के बैठने के लिए व्यवस्था, शौचालय का निर्माण भी होना था। जो अभी तक नही हो सका। बसअड्डा न होने के कारण हाईवे किनारे बने होटलों पर रोडवेज के चालक और परिचालक होटल मालिकों से पैसे लेकर बसों को नाश्ता खाना पीना के लिये यहीं रोकते हैं। जिससे यात्रियों को असुविधा भी होती है।
केस 8- बस स्टॉप का न होना यात्रियों को पड़ रहा भारी
टिकैतनगर में बस स्टॉप का न होना दुसवारियों भरा है। आदर्श नगर पंचायत टिकैतनगर में बस स्टाप न होने का दंश स्थानीय यात्रियों सहित सरयू के किनारे बसे लोगों को झेलना पड़ रहा है। चिलचिलाती धूप में यात्रियों को सर छुपाने का भी कोई इंतजाम नहीं है। जिसके चलते बच्चो से लेकर बुजुर्गों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग सड़क किनारे होटलों व पेड़ों की आड़ में खड़े होकर साधन का इंतजार करते हैं। बस अड्डा न होने के चलते राज्य परिवहन निगम की बसें सड़क पर ही खड़ी होती हैं। जिसके चलते यहां आये दिन जाम भी लगता है।
क्या बोले जिम्मेदार...
बाहर से निकलने वाली बसों को अंदर बस स्टेशन तक पहुंचाने के लिए दिशा निर्देश दिये गये हैं। शहर और जिले के बाकी बस अड्डों के अंदर बस न लाने वाले चालकों व परिचालकों को पर अब कार्रवाई भी की जाएगी। कस्बा देवा के मेला बस स्टॉप के शुरू करने के लिए प्रयास किया जाएगा। अन्य बस अड्डों की समस्या के संबंध में शासन को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया जाएगा...,सुधा सिंह, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक।
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