अयोध्या: रुदौली में जोहरा बीबी के सालाना उर्स में पहुंच रहे जायरीन, बाबा सैयद सालार मसूद गाजी को मान लिया था अपना शौहर
रुदौली, अयोध्या, अमृत विचार। शहर के मोहल्ला मीरापुर में जोहरा बीबी का उर्स की तैयारी पूरी हो चुकी है। उर्स में आसपास के दर्जनों जनपदों के श्रद्धालु यहाँ पहुँच रहे हैं। जोहरा बीबी की दरगाह में आज कुरान ख्वानी के साथ मेले की शुरुआत हो जाएगी। 30 मई को मज़ार पर चादर पेश की जाएगी। लंगर सुबह से शुरू हो कर देर रात तक चलेगा।
31 मई को पलंग पीढ़ी व चिरागदान की रस्म अदा की जायेगी। एक जून को हजरात मीरा शाह की मज़ार पर गागर शरीफ व महफ़िल ऐ शमा व कुल होगा। 2 जून को रात 12 बजे जोहरा बीबी की शादी की रस्म अदा की जाएगी व कव्वाली होगी। जन्म से नाबीना थीं जोहरा बीबी, सैयद सालार ने लौटाई थी रौशनी
विदित हो कि सैयद जमालुददीन की लडकी जोहरा बीबी जन्म से नाबीना थी। वह रुदौली के मीरापुर मोहल्ले में रहती थी।बताया जाता है कि सैयद सालार मसूद गाजी जब रुदौली से गुजर रहे थे तो जोहरा बीबी उनसे मिली। बाबा ने अल्लाह का नाम लेकर हाथ फेरा तो उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गयी। जोहरा बीबी ने कहा कि मैंने अहद किया था कि जिस व्यक्ति को पहली बार देखूंगी। उसी के साथ शादी करूंगी।
इस बात पर सैयद सालार ने कहा कि अभी मैं बहराइच जेहाद पर जा रहा हूं। जिंदा बचा तो वापस आकर शादी करूंगा। सैयद सालार बहराइच पहुंच कर जेहाद में शहीद हो गए।यह खबर मिलते ही जोहरा बीबी वहां पहुंची और उनकी याद में मकबरा तामीर कराया। कुछ अर्से बाद वहीं जोहरा बीबी का इन्तिक़ाल हो गया। कुछ समय बाद रुदौली के कुछ मुजावरों ने बहराइच शरीफ पहुंच कर जोहरा की कब्र की ईंटे ले आए और उनकी कर्म स्थली मीरापुर में कब्र बना कर एक खूबसूरत मकबरा बनवाया।
ज्येष्ठ मास के पहले रविवार को लगता है मेला
ज्येष्ठ मास के पहले रविवार को उनकी याद में बड़े पैमाने पर उर्स का आयोजन किया जाता है।उर्स से पहले उनके मानने वालों में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, रायबरेली, सलोन, जायस, कड़कमानपुर आदि सुदूर स्थानों के श्रद्धालु पैदल लग्गी लिए हुए जोहरा बीबी की दरगाह में जियारत कर फिर बहराइच शरीफ के लिए रवाना हो जाते हैं। मीरपुर निवासी राशिद शेख ने बताया कि इस उर्स के दौरान 2 जून को कदीमी रीति रिवाज के अनुसार रात्रि 12 बजे जोहरा बीबी व सैयद सालार मसूद गाजी मियाँ की शादी की रस्म होगी किन्तु पचका लग जाने से शादी नहीं हो पाती।
कहा जाता है कि इनकी शादी अल्लाह को मंजूर नहीं थी। क्योंकि सैयद सालार मसूद गाज़ी शहीद हो गए थे।लेकिन जोहरा बीबी ने उन्हें अपना शौहर कबूल कर लिया था और उन्हीं की याद में अपना पूरा जीवन सर्फ कर दिया। श्रद्धालु बहराइच शरीफ के उर्स से वापसी में मीरापुर के सोहबत बाग में रुकते हैं तथा पुनः जोहरा बीबी की दरगाह में श्रद्धा के साथ हाजिरी लगाते हैं।
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