गोंडा: बीएसए ने लगायी फटकार तो 24 घंटे में स्वीकृत हो गयी कैंसर पीड़ित शिक्षक की पेंशन पत्रावली

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

सात महीने तक पेंशन पत्रावली को दबाए बैठा था लेखा विभाग  

गोंडा, अमृत विचार। बेसिक शिक्षा में कार्यरत एक कैंसर पीडित शिक्षक को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के साथ उसके जीपीएफ का भुगतान तो हो गया लेकिन पेंशन पत्रावली को लेखा विभाग पिछले 7 महीने से दबाए बैठा रहा। इसकी जानकारी बीएसए को मिली तो उन्होने लेखा विभाग में पेंशन का पटल देख रहे लिपिक को कड़ी फटकार लगाते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी और पत्रावली तलब किया तो महद 24 घंटे के भीतर ही पेंशन की फाइल स्वीकृत हो गयी। 
 
मुजेहना शिक्षा क्षेत्र के देवरिया अलावल में संचालित देहातीय लघु माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक राजेश कुमार पांडेय कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे हैं। इस बीमारी के चलते उन्होने पिछले वर्ष सितंबर महीने में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। 

बीएसए ने सितंबर में ही उनके वीआरएस को स्वीकृत कर जीपीएफ का भुगतान करा दिया था तथा पेंशन पत्रावली लेखा विभाग को भेज दी थी। लेकिन लेखा विभाग ने पीड़ित शिक्षक की पेंशन का भुगतान करने के बजाय फाइल ही दबा लिया। पीड़ित शिक्षक अपनी पेंशन पत्रावली को स्वीकृत करने के लिए लेखा विभाग का चक्कर काटते रहे लेकिन चढ़ावे की आस में बैठे लेखा विभाग के पटल लिपिक ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई।  

लिपिक व लेखाधिकारी की सांठगांठ के चलते पेंशन पत्रावली दबी रह गयी। बीते बुधवार को इसकी जानकारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद यादव को मिली तो उन्होने फाइल की पड़ताल करायी। जांच में पता चला कि पेंशन पत्रावली लेखा विभाग के पटल लिपिक अनुपम पांडेय ने रोक रखी है‌‌।

बीएसए ने लिपिक अनुपम पांडेय से पत्रावली रोके जाने का कारण पूछा तो वह जबाव नहीं दे सका। उल्टे बीएसए से ही किसी तरह मामले को निपटाने की फरियाद करने लगा। नाराज बीएसए ने अनुपम पांडेय को कड़ी फटकार लगायी और पेंशन पत्रावली तलब करते हुए लेखाधिकारी से भी जवाब मांगा। बीएसए के तेवर से सहमें पटल लिपिक ने तत्काल पेंशन पत्रावली को लेखाधिकारी के समक्ष पेश कर पेंशन पत्रावली स्वीकृति कर दी‌।

बिना चढ़ावे के लेखा में आगे नहीं बढ़ती फाइल

अमृत विचार: लेखा विभाग में किसी भी फाइल को बिना चढ़ावे के आगे नहीं बढ़ाया जाता। यही कारण हैं कि लेखा विभाग हमेशा दलालों से घिरा रहता है। किसी शिक्षक की पेंशन पत्रावली हो या फिर एरियर का भुगतान कराना हो। हर काम का अलग अलग रेट तय है। इस विभाग में बिना दलाल कोई भी काम संभव नहीं है‌। बीएसए प्रेमचंद यादव का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले लेखा में होते हैं और बदनामी बेसिक शिक्षा विभाग की होती है‌। 

कैंसर पीडित शिक्षक राजेश पांडेय की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सितंबर में ही स्वीकृत हो गयी थी। उनके जीपीएफ का भुगतान भी कर दिया गया था‌ और पेंशन पत्रावली लेखा विभाग को भेजी गयी थी लेकिन लेखा विभाग की लापरवाही से भुगतान नहीं हो सका था। अब पेंशन पत्रावली स्वीकृत हो गयी है..,प्रेमचंद यादव, बीएसए-गोंडा।

संबंधित समाचार