Kanpur: लोगों की बचेगी जान, GSVSS पीजीआई में अंदरूनी ब्लीडिंग रोकना होगा संभव, बनेगा इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। सड़क हादसे या अन्य किसी वजह से शरीर में होने वाली अंदरुनी ब्लीडिंग को अब बिना चीरा लगाए ही रोका जा सकेगा। इसके लिए जीएसवीएसएस पीजीआई में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग शुरू किया जाएगा। विभाग के विशेषज्ञ शरीर के अंदर सिर्फ एक निडिल डालकर संबंधित अंग या नस में होने वाली ब्लीडिंग को बंद करेंगे। ऐसे में संबंधित व्यक्ति की जान बचाना और आसान हो जाएगा। 

अभी सर्जरी के माध्यम से ब्लीडिंग बंद करने की प्रक्रिया की जाती है। मरीज के शरीर में लंबा चीरा लगाना पड़ता है। अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर के मॉडल की स्टडी करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी है। तय हुआ कि न्यूनतम इनवेंसिव सर्जरी के मद्देनजर जीएसवीएसएस पीजीआई में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग खोला जाएगा। 

इसकी तैयारी पीजीआई में शुरू कर दी गई। इस विभाग में सड़क हादसे में घायल लोगों के साथ ही लिवर, पित्त की थैली की रुकावट और शरीर के अंदरूनी हिस्से में गांठों का इलाज करना भी आसान होगा। मरीजों को अस्पताल में कई दिनों तक रुकना भी नहीं पड़ेगा और न ही उनको खून चढ़ाने की जरूरत होगी। मरीज के शरीर में लंबा चीरा भी नहीं लगेगा।  

नसों की हो सकेगी मरम्मत भी  

मेडिकल कॉलेज के प्रो.संजय काला ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के माध्यम से बॉडी के अंदर महज निडिल डालकर ब्लीडिंग को बंद किया जा सकेगा। सबसे अधिक दिक्कत नसों के ब्लॉकेज खोलने में आती है, जिसे अभी चीरा लगाकर खोला जाता है। अब नई तकनीक से इसको निडिल डालकर आसानी से खोला जा सकेगा। इसके अलावा नसों को रिपेयर भी किया जा सकेगा। विशेषज्ञ इसे स्क्रीन पर देखकर फॉलो भी कर सकेंगे। इसके अलावा लिवर और शरीर के किसी अंदरूनी पार्ट में भरे मवाद को निकालने में भी चीरा लगाने की जरूरत नहीं होगी।

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