बाराबंकी: पानी न मिलने से सूख रहे नहरों के कंठ, बेहाल हो रहे किसान
जिले भर में फैला नहरों का संजाल फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा पानी
रायबिन्द सिंह/बाराबंकी, अमृत विचार। पूरे जिले में नहरों का संजाल फैला हुआ है बावजूद इसके किसान सिचाई को लेकर परेशान है। यही कारण है किसानों में सिंचाई को लेकर भारी आक्रोश में है। किसानों के धान की नर्सरी लगने का समय जून के पहले पखवाड़े में होने की वजह से नहरों, व रजबहों में पानी के अकाल की वजह से किसान नहरों में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। जिले की नवाबगंज तहसील में रजबहा तथा इससे निकलने वाली माइनर व व अल्पिकाओं में पानी की जगह रेत उड़ रही है। एक खरीफ की फसल चल रही है नहरो के कंठ सूख रहे हैं । किसने की खरीफ की फसल जिसमें धान, मक्का ज्वार बाजरा की फसलें नेहरों से पानी की बाट जोह रहे हैं। तो वही ही मेंथा की फसल सिंचाई के अभाव में सूख रही है जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसको लेकर तमाम किसान संगठनों ने प्रशासन से मांग की लेकिन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं होगा रेगा।
नहर विभाग की तरफ से नहरों व रजबहों रोस्टर बनाकर पानी छोड़ने की व्यवस्था का दावा सिर्फ कागजों पर ही सिमटता दिखाई दे रहा है। नहरों में पानी न होने की वजह से समृद्ध किसान तो महंगा डीजल खरीद कर खेतों की सिंचाई कर ले जा रहे हैं लेकिन मध्यम वर्गीय व छोटे काश्तकार सिंचाई के अभाव में अभी तक धान की नर्सरी ही नहीं लगा पाए। महंगे डीजल की वजह से बहुत सारे किसान अपनी मेंथा की फसल को बचाने में नाकामयाब हो रहे हैं तो वही धान की नर्सरी भी प्रभावित हो रही है। इसको लेकर किसान बेहद आक्रोश में है।
किसानों के बोल
इब्राहिमाबाद ग्राम पंचायत के लालपुर निवासी पप्पू यादव का कहना है कि नहर ही सिंचाई का प्रमुख साधन हैं। ऐसे में नहर में पानी ना आने से धान की नर्सरी विलंब हो रही है सिंचाई विभाग की अधिकारियों से नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की गई ।
किसान गोमती प्रसाद का कहना है कि योगी सरकार किसानों को आय बढ़ाने के लिए ढिंढोरा पीट रही है। किंतु विडम्बना है कि मेंथा की सिंचाई एवं धान की नर्सरी के समय नहर में पानी की जगह धूल उड़ रही है। ऐसे में किसानों की आय दोगुनी क्या भारी नुकसान हो रहा है।
किसान बब्बू महराज का कहना है कि पानी आने से धान की नर्सरी विलंब हो रही है। इस समय नहर में पानी नहीं छोड़ा गया तो नर्सरी पिछड़ जाएगी। इससे धान उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने जिलाधिकारी से नहर में पानी छोड़ने की मांग की है।
किसान रामपाल ने बताया कि मेंथा सिंचाई व धान नर्सरी के समय नहर बंद होने से किसानों की मेंथा, उरद, मूंग खरबूजा तरबूज आदि फसले सूख रही हैं। खेतों की नमी चली गई है ऐसे में नर्सरी भी पिछड़ रही है।
वर्जन--
हरख, बंकी, निंदूरा, बनीकोडर, सिद्धौर और मसौली ब्लॉक क्षेत्रों से जुड़े लगभग एक हजार से अधिक गांव नहरों में पानी न आने से प्रभावित हैं। शारदा सहायक नहर में मेंटेनेंस का कार्य चल रहा है। दरियाबाद शाखा में पानी छोड़ा गया है। 15 जून को नवाबगंज रजबहा में पानी छोड़ा जाएगा। --नीरज कुमार, अवर अभियंता नहर।
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