बरेली: IVRI की रिसर्च... एक लीटर दूध के लिए खर्च होता 800 लीटर पानी

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Published By Vishal Singh
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गाय और भैंस पर पानी के अप्रत्यक्ष खर्च पर डॉ. हरिओम पांडेय ने किया शोध

बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान यानी आईवीआरआई के पशुधन उत्पाद विभाग के वैज्ञानिकों की दुधारू पशुओं में पानी की खपत पर की गई रिसर्च का चौंकाने वाला नतीजा सामने आया है। इस रिसर्च में पता चला है कि गाय या भैंस के एक लीटर दूध के लिए औसतन 800 लीटर पानी खर्च होता है। वैश्विक संकट बन रहे पानी की कमी की समस्या के लिहाज से इस रिसर्च को किसानों और वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।

आईवीआरई के पशुधन उत्पादन प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हरिओम पांडेय के मुताबिक आईसीएआर प्रोजेक्ट के तहत पानी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष उपयोग के बारे में पता लगाने के लिए पिछले साल यह रिसर्च शुरू की गई थी। इस रिसर्च से पता चला है कि गाय के प्रति लीटर दूध के लिए औसतन 850 लीटर पानी खर्च होता है। भैंस के लिए पानी का यह खर्च औसतन 830 लीटर होता है। पानी की यह मात्रा प्रत्यक्ष रूप से गाय और भैंस को पीने के साथ अप्रत्यक्ष रूप से उनके आहार उत्पादन और रखरखाव के लिए इस्तेमाल की जाती है।

रिसर्च के मुताबिक गाय-भैंस पर अप्रत्यक्ष रूप से खर्च होने वाला पानी मुख्य रूप से उनके आहार उत्पादन के लिए खर्च होता है। इसमें घास, चारा और अनाज की खेती में उपयोग होने वाला पानी शामिल है। इसके अलावा पशुओं की सफाई और उनके रहने की जगह की देखभाल और सफाई पर भी काफी पानी खर्च होता है।

आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि पानी की कमी के संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कई अभियान चलाए जा रहे है। इस लिहाज से यह रिसर्च किसानों और नीति निर्माताओं के लिए दूध उत्पादन में पानी की खपत कम करने के लिए महत्वपूर्ण आधार बन सकती है और भविष्य में जल संकट को कम करने में भूमिका निभा सकती है। किसानों और वैज्ञानिकों को मिलकर जल-संरक्षण के उपाय ढूंढने होंगे दूध उत्पादन में पानी की खपत कम कर पर्यावरण सुरक्षित रखा जा सके।

पानी बचाने के लिए ये सुझाव भी...

  • ऐसे चारे और आहार का उपयोग किया जाए जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है।
  • पानी के पुनर्चक्रण और दोबारा उपयोग कर पानी की खपत को कम किया जाए।
  • उन्नत जल-संरक्षण तकनीकों का उपयोग करके पानी की खपत कम की जाए।

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