लखनऊ: छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती आज, 1902 में रखी थी सामाजिक न्याय की नींव

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच के तत्वावधान में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर स्थापित शाहूजी महाराज के प्रतिमा पर पुष्प अर्पण किया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय के ब्राउन हाल में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने उस समय सामाजिक न्याय की नीव रखी थी जिस समय कोई कल्पना नहीं कर सकता था।

उस समय देश के राजाओं में प्रथम राजा रहे जिन्होंने 1902 में ही अपने राज्य में सामाजिक न्याय की अवधारणा को लागू ही नहीं किया, बल्कि अपने राज्य में सभी समाज को समान अधिकार, समान शिक्षा को लागू करके इतिहास कायम किया था। इतना ही नहीं सदियों से चले आ रहे एकाधिकार को समाप्त किया था।

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कालीचरण सनेही ने कहा कि शाहूजी महाराज ने ज्योतिबा राव फुले से प्रेरणा लेकर समता मूलक समाज की स्थापना करते हुए अपने राज्य में लागू किया। शाहू जी महाराज अपने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर झुग्गी झोपड़ी से लेकर सभी समाज को अपने आंख से देखकर उनकी पीड़ा को समझते हुए अपने राज्य में कई परिवर्तन किया।

छत्रपति शाहू जी महाराज स्मृति मंच के अध्यक्ष रामचंद्र पटेल ने कहा कि शाहूजी महाराज को महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि लोकसभा पार्लियामेंट के प्रांगण में भी उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है, जिससे साबित होता है कि शाहूजी महाराज का देश और समाज के उत्थान में बड़ा योगदान रहा है, उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 

जयंती समारोह में पद्मश्री प्रोफेसर एसएन कुरील ने कहा कि राजा होना बड़ी बात नहीं है राजा तो बहुत हुए लेकिन शाहूजी महाराज ऐसे राजा थे जिन्होंने प्रजा के बारे में करीब से अनुभव करके उनके दुख दर्द को अपना दुख दर्द समझते हुए कार्य किया इस तरह से देश में बहुत कम राजा थे। जिन्होंने शोषित पीड़ित वंचित समाज के लिए अपना पूरा समय न्योछावर किया था।

कार्यक्रम में भन्ते दीपांकर दीप, राजेष कुमार सिद्धार्थ, अरूण कुमार पटेल, अमर नाथ प्रजापति, डा. सत्यवती दोहरे, गौतम जयन्त, भारत सिंह, वीरेन्द्र सिंह सहित अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किया और इस अवसर पर सामाजिक कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया।

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