सफल कूटनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की रूस यात्रा सफल कूटनीति के उदाहरण के रूप में याद रखी जाएगी। भारत-रूस के शीर्ष नेताओं की मुलाकात और बातचीत पर अमेरिका समेत नाटो के 32 सदस्य देशों की भी निगाहें टिकी थीं। यात्रा का सबको सही संदेश मिला है। महत्वपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत-रूस संबंधों पर कहा है कि इसका असर भारत-अमेरिका संबंधों पर नहीं पड़ेगा।
रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत के लिए कई भू-राजनीतिक मुद्दों का कारण बना दिया है। इसलिए प्रधानमंत्री की इस यात्रा के पीछे जहां द्विपक्षीय रिश्तों को संदेहों और अविश्वासों से मुक्त करने की बात थी, वहीं अंतर्राष्ट्रीय हलकों में यह स्पष्ट संदेश भेजना था कि भारत को किसी तरह के दबाव के जरिए झुकाना संभव नहीं है।
शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच एक मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किया। इसके अलावा रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
बहरहाल दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय कारोबार 100 अरब डॉलर से अधिक करने का लक्ष्य तय किया है। फिलहाल यह कारोबार 65 अरब डॉलर का है। एक बार फिर से साबित हो गया है कि युद्ध के खिलाफ और शांति के पक्ष में भारत का रूख एकदम स्पष्ट है। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ बातचीत में कहा कि युद्ध के मैदान से कोई हल नहीं निकलता।
यात्रा के दौरान दोनों देशों में सहयोग बढ़ाने के समझौते हुए। रूस ने भारत को आश्वस्त किया है कि जो प्रौद्योगिकी उसे दी जाएगी, वह अन्य किसी देश के साथ साझा नहीं की जाएगी। अब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन मॉस्को में 17वीं बार मिले हैं। प्रधानमंत्री 10 साल के कार्यकाल में 6 बार रूस गए हैं और पुतिन 4 बार भारत आए हैं। बातचीत से ही शांति, स्थिरता के रास्ते खुलते हैं।
बदलते वैश्विक हालातों में रूस के राष्ट्रपति पुतिन को भारत की ज़रूरत है और भारत चाहता है कि पुतिन चीन के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने में भारत की मदद करे। अमेरिका और यूरोपीय देशों के (यानी नाटो के) खिलाफ सिर्फ़ चीन-रूस और भारत मिलकर एक बड़ी ताक़त के रूप में सामने आते हैं। यह एक अच्छी रणनीति है।
