रुद्रपुर: न मोबाइल, न कोई वाहन, गला देते थे चोरी का सोना-चांदी

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Published By Bhupesh Kanaujia
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मनोज आर्या, रुद्रपुर , अमृत विचार। गदरपुर में हुई चोरी प्रकरण में गिरोह अंतरराज्यीय धार्मिक स्थल चोर गिरोह इतना शातिर है कि घटना के वक्त न ही कोई मोबाइल और न ही कोई वाहन का इस्तेमाल करते थे। यहां तक कि चोरी का सोना-चांदी गला कर सबूत मिटाना ही उनका मकसद होता था। यही कारण है कि पकड़े गए तरुण गर्ग को जेवरात गलाकर खपाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

एसपी सिटी मनोज कत्याल ने बताया कि पकड़े गए त्रिलोक सिंह उर्फ शोले, रंजीत सिंह उर्फ बोधे से जब पूछताछ की गई तो आरोपियों ने बताया कि दोनों दोस्त देश भर का भ्रमण करते हैं और हर उस स्थान पर जाते हैं। जहां प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बना हो और सुरक्षा के कोई ज्यादा इंतजाम न हों। इसके बाद वह रोज मंदिर में जाते हैं और मंदिर में छत्र, देवी-देवताओं को पहनाने वाले जेवरात असली है या नकली। इन सभी पहलुओं की रेकी करते है। जब पुष्टि हो जाती थी तो चोरी की वारदात को अंजाम दे डालते थे।

उन्होंने बताया कि घटना के दौरान मोबाइल व वाहन भी नहीं इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर घटनाओं में भागने के लिए घटनास्थल से ही वाहन चोरी करते हैं। गदरपुर प्रकरण में भी मंदिर के सामने खड़ी बाइक संख्या यूके-06 डब्लू-2810 को चुराया था। चोरी के जेवरात को तत्काल दिल्ली ले जाकर सुनार का कार्य करने वाले तरुण गर्ग को दिया जाता है। तरुण सोने-चांदी को गलाकर उसके बिस्कुट या फिर सिक्के बनाकर सबूत मिटा देता है। इसी कारण कई घटनाओं का अभी तक खुलासा नहीं हुआ, लेकिन गदरपुर में चोरी की घटना के दौरान उन्होंने सीसीटीवी कैमरे की तरफ ध्यान नहीं दिया।

त्रिलोक व रंजीत पर दर्ज हैं कई मुकदमे
अंतरराज्जीय धार्मिक चोर गिरोह के सरगना त्रिलोक सिंह उर्फ शोले पर जहां कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके चेले रंजीत पर भी मुकदमा दर्ज है। गदरपूर थाना प्रभारी जसवीर सिंह चौहान ने बताया कि त्रिलोक सिंह के खिलाफ वर्ष 2014 से वर्ष 2024 तक थाना मैना, थाना भजनपुरा, थाना सराय रोहिल्ला, थाना ख्याला दिल्ली, थाना छत्ता आगरा, थाना मुनिकी रेती टिहरी उत्तराखंड, थाना गदरपुर में दो मुकदमे दर्ज हैं। यानी त्रिलोक के खिलाफ आठ और रंजीत सिंह के खिलाफ थाना पांडव नगर दिल्ली व गदरपुर में तीन मुकदमे दर्ज हैं।

नए कानून के तहत हुई कार्रवाई
गदरपुर स्थित मंदिर में हुई चोरी प्रकरण में पुलिस ने नई धाराओं के तहत कार्रवाई की। जहां पुलिस की संयुक्त टीम ने बीएमएस की धारा 105 के तहत गिरफ्तारी स्थल पर ही बरामद माल की वीडियोग्राफी की। वहीं 303(2) के तहत ही मुकदमा दर्ज किया। इसके अलावा बनाई गई वीडियो को चार्जशीट के साथ ही न्यायालय के समक्ष पेश करने की तैयारी भी पूर्ण कर ली है। एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि संयुक्त टीम ने नये कानून के हिसाब से ही पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया है। आगे भी पुलिस ने कानून पर विशेष ध्यान रखा जाएगा।

चोरी के जेवरात खपाने की थी तैयारी
 गदरपुर चोरी प्रकरण में पुलिस व एसओजी की संयुक्त टीम समय रहते गैंग को नहीं दबोचती तो चोरी हुए जेवरात को गलाकर ठिकाने लगा दिया जाता। खुलासे के दौरान बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल से लेकर दिल्ली तक 600 सीसीटीवी कैमरों को खंगाल दिया था। इसमें पकड़े गए दोनों आरोपी ही दिखाई दे रहे थे और आरोपी सुनार वरुण की दुकान से ही चोरी का माल भी बरामद हुआ। पूछताछ में बताया कि यदि गिरफ्तारी नहीं होती तो दो दिन बाद ही चोरी के जेवरात को गलाकर ठिकाने लगा दिया जाता।

पुलिस ग्रुपों में वायरल होगी आरोपियों की फोटो
खुलासे के दौरान एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने अधीनस्थों को आदेशित किया कि पकड़े गए त्रिलोक सिंह उर्फ शोले, रंजीत सिंह उर्फ बोधे और तरुण गर्ग की वास्तविक फोटो खींचकर उनका अपराध इतिहास की पीडीएफ फाइल फोटो सहित देश भर के पुलिस ग्रुपों में भेजा जाए। कारण पकड़े गए आरोपियों के आपराधिक इतिहास की जानकारी प्रारंभिक पड़ताल में मिली है। उन्होंने संभावना जताई है कि गिरोह के अपराधों की संख्या लंबी चौड़ी होगी। इसके लिए ग्रुपों में भेजना जरूरी है। ताकि बाहरी राज्यों की पुलिस भी पूछताछ कर सके।

जब लेटलतीफी पर चढ़ा एसएसपी का पारा
सोमवार की दोपहर दो बजे गदरपुर पुलिस द्वारा दिए गए खुलासा समय से 45 मिनट लेटलतीफी पर एसएसपी मंजूनाथ टीसी का पारा चढ़ गया और उन्होंने पहले फोन पर ही गदरपुर सीओ व थाना प्रभारी को फटकार लगाई। इसके बाद जब खुलासे के लिए टीम पुलिस कार्यालय सभागार में पहुंची तो उनका गुस्सा और भड़क गया। उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि अधीनस्थों ने लिखा पढ़ी के नाम पर आदेशों की अवहेलना करते हैं। ऐसे में क्यों न निलंबन की कार्रवाई की जाए। उन्होंने एसपी क्राइम को आदेश दिया कि एसओ व सीओ को नोटिस भेजकर लेटलतीफी पर स्पष्टीकरण मांगने का आदेश दिया। 

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