कासगंज: मेहनत कर जुटाई थी पाई पाई, गहरी कमाई लूट ले गई 'डाई'

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Published By Deepak Mishra
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किसी को अपने परिवार की बीमारी के लिए है जरूरत तो किसी को शादी समारोह में करना है खर्च, अब ढूंढे नहीं मिल रही कंपनी तो सताती जा रही है बड़ी चिंता

कासगंज, अमृत विचार। मेहनत कर पाई-पाई जुटा, दिन रात मेहनत का पैसा जमा किया, लेकिन एक झटके में ही डाई के झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई लुटा डाली। अब पश्चाताप हो रहा है, लेकिन करें भी तो क्या, मजबूर जो ठहरे। किसी को अपने परिवार के सदस्यों का उपचार कराना है, तो किसी को शादी समारोह में खर्च करना है, लेकिन सबके सपने चूर हो गए हैं, और सब अपने-अपने किए पर अफसोस जता रहे हैं।

कासगंज के राधेश्याम और सहावर के हरि प्रकाश कहते हैं कि उन्हें क्या पता था कि मेहनत से जुटाई गई एक-एक पाई को कंपनी के एजेंट लुटवा देंगे और हुआ भी यही कंपनी लूट कर भाग गई। हरि प्रकाश कहते हैं कि उनके घर में शादी समारोह है। जल्द ही शादी का रिश्ता करना है। रिश्ता तो लगभग तय है। बस तिथि निर्धारित करनी है, लेकिन अब शादी करेंगे तो कैसे करेंगे।

बिटिया की शादी में रुपयों की जरूरत होगी, लेकिन कंपनी मेहनत की रकम लेकर भाग गई है। इधर पुष्पेंद्र कुमार नाम के निवेशक कहते हैं कि उन्हें अपने परिवार में धनराशि की जरूरत है। पत्नी का इलाज कराना है, लेकिन मेहनत की कमाई कंपनी लूट ले गई। अब इलाज कैसे कराएं। इसके अलावा और भी तमाम निवेशक परेशान हैं और वह किसी तरह अपनी मूल धनराशि की वापस लौटाने में जुट  गए हैं।

भोले भाले तो क्या अधिवक्ता भी जाल में फंसे

 भोले भाले लोग तो दूर, बल्कि  लोगों को कानून का पाठ पढ़ाने वाले और कानून की किताब पढ़ कर न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता ही इस कंपनी के झांसे में आ गए और वह भी फंस गए। अब उन्हें चिंता सता रही है और वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

क्या बोले अधिवक्ता
  • कंपनी के झांसे में आकर लुट गए हैं। 31 हजार रुपये की ठगी के शिकार हुए हैं। कंपनी ने इस तरह का झांसा दिया लगा कि वास्तव में यह कंपनी निवेशकों को फायदा पहुंचाएगी..., रामेश्वर, अधिवक्ता 
  • डेढ़ लाख रुपये की ठगी का शिकार हुए हैं। हम तो सोचते थे कि कानून का पाठ पढ़ाने वालों को कोई बेवकूफ नहीं बना सकता, लेकिन इस कंपनी ने बेवकूफ बना दिया। इसके पीछे कुछ अपने भी लोग शामिल हैं..,  पीयूष वार्ष्णेय, अधिवक्ता 
अन्य निवेशकों की बात
  1. 15000 रुपये की ठगी का शिकार हुए हैं। अब हमें ब्याज नहीं चाहिए, बल्कि हमारे मूल की  राशि ही हमें मिल जाए..., विजय कुमार,निवेशक
  2. इस तरह के लुभावने वादे हमसे किए गए कि हमें लगा कि फायदा हो जाएगा और हम लोग लालच में फंस गए। 70000 रुपये की ठगी का शिकार हो गए..., धर्मेंद्र कुमार, निवेशक।

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