NHM: संविदा कर्मचारियों ने घेरा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का आवास, कहा-आदेश के बाद भी नहीं मिला सेवा विस्तार  

NHM: संविदा कर्मचारियों ने घेरा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का आवास, कहा-आदेश के बाद भी नहीं मिला सेवा विस्तार  

लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी में स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के आवास का घेराव किया। सेवा विस्तार को लेकर सैकड़ों संविदा कर्मचारी बुधवार सुबह राजभवन कॉलोनी स्थित उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के आवास पर पहुंचे। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि आदेश होने के बाद भी स्थानीय स्तर पर उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर अब उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से गुहार लगाने पहुंचे हैं। 

प्रदर्शन कर रहे NHM कर्मचारियों ने बताया कि कोरोना काल के दौरान आउटसोर्सिंग के माध्यम से डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट, नॉन मेडिकल साइंटिस्ट, कंप्यूटर ऑपरेटर  जैसे कई पदों पर भर्तियां हुई थी। इसके बाद आउटसोर्सिंग के माध्यम से तैनात सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सरकारी अस्पतालों और जांच केंद्रों पर ड्यूटी लगाई गई थी। कोविड के दौरान संविदा कर्मियों ने अपने जीवन की परवाह न करते हुए सेवाएं दी और कोरोना को हराने का काम किया। वहीं जब कोविड खत्म हुआ तो सभी संविदा कर्मियों को हटाने का फरमान जारी हो गया। 

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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सेवा विस्तार के आदेश के बाद भी CMO स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। CMO अपनी मनमानी कर रहे हैं और सबको नौकरी से निकाल रहे हैं। संविदा कर्मियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से 7000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई थी। वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की ओर से स्वास्थ्य कर्मियों को तीन-तीन महीने का सेवा विस्तार भी मिलता रहा है। लेकिन बीते महीने 30 जून के बाद से स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों को सेवा विस्तार नहीं मिला। इसको लेकर संविदा कर्मियों ने डिप्टी सीएम से मुलाकात की थी और सेवा विस्तार न होने पर जोरदार प्रदर्शन की बात भी कही थी। ऐसे में 8 जुलाई को सेवा विस्तार का आदेश भी जारी किया गया। लेकिन आदेश आने के बावजूद स्थानीय स्तर पर संविदा कर्मियों को सेवा विस्तार नहीं दिया जा रहा है। 

प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि डिप्टी सीएम से मुलाकात के बाद उन्होंने आश्वासन दिया था। लेकिन किसी भी स्वास्थ्य कर्मी को वापस नहीं रखा जा रहा है। स्थानीय सत्तर पर सीएमओ अपनी मनमानी करके लोगों को हटा रहे हैं। नौकरी जाने से कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। 

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