अनुदेशक शिक्षकः भावुक हुए प्रदर्शनकारी, बोले- 9 हजार में घर चला कर दिखाओ... झूठे वादों का झांसा देकर बनाई सरकार

अनुदेशक शिक्षकः भावुक हुए प्रदर्शनकारी, बोले- 9 हजार में घर चला कर दिखाओ... झूठे वादों का झांसा देकर बनाई सरकार

लखनऊ, अमृत विचार। बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक वि‌द्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव किया। अनुदेशकों का  कहना है कि उन्हें अपनी रोजी-रोटी और मूलभूत सुविधाएं के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। अनुदेशकों का आरोप है कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले कई बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन सत्ता मिलते ही सब भूल गए।

बता दें कि मई  2017 में भाजपा ने एक ट्विट किया था, जिसमें लिखा था कि सरकार अनुदेशकों की सैलरी बढ़ाकर 17 हजार कर देगी, लेकिन इनका कहना है सैलरी बढ़ाने की जगह उनकी सैलरी से 1470 रुपए काट लिए गए। जिसके चलते उन्हें हर चीजों के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है। 

समान कार्य, तो समान वेतन 

अनुदेशकों का कहना है कि वे सरकार की तरफ से दिए गए हर काम को करते है । कार्यों की बात करें तो जनगणना,  घर-घर जाकर छात्रों को लाना समेत तमाम काम शामिल हैं। कुल मिलाकर हम पर्मानेंट शिक्षकों की तरह काम को करते हैं। लेकिन हमे उनसे कम वेतन मिलता है। उनका आरोप है कि अगर दोनों बराबर काम कर रहे हैं तो उन्हें वेतन भी समान मिलना चाहिए। इतना ही नहीं महिला अनुदेशकों का कहना है कि न तो  उन्हें कोई मेटरनिटी लीव मिलकी और न को मेडिकल सुविधाएं। अगर कुछ अवश्यक काम हो तो उन्हें अपनी सैलरी कटवाकर छुट्टी पर जाना पड़ता है। 

भावुक हुए शिक्षक

अनुदेशकों का कहना है कि उन्हें अपना घर चलाने के लिए भी सोचना पड़ता है। महंगाई इतनी है ऐसे में 9 हजार में क्या होता है। अमृत विचार के संवादाता ने अनुदेशकों से बात की तो उनकी आंखों में आशु आ गए। महिला शिक्षकों ने कहा कि कई बार उन्हें बीमारी में स्कूल आना पड़ता है क्योंकि उनके पास छुट्टी नहीं होती हैं, और अगर कोई प्रेग्नेंट है तो उसे मेटर्निटी लीव नहीं मिलती, क्योंकि वे अनुदेशक शिक्षक हैं। 

आई पुलिस, आक्रोशित शिक्षक

भारी संख्या मेंअनुदेशकों की मौजूदगी की वजह से प्रशासन को आगे आना पड़ा। मौजूदा अफसर अनुदेशकों को समझाने में लगे हुए थे। किसी न किसी तरह से वे घर चले जाए। शिक्षकों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती हैं तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। 

सावन 2024 (18)

क्या है मांग 
1.  शिक्षा अधिकार अधिनियम से नियुक्त अनुदेशक जुलाई 2013 से पुर्ण कालिक कार्य करते हुए नौनिहालों का भविष्य संवार रहे हैं। अधिसंख्य अनुदेशकों की उम्र सीमा 40 वर्ष पार कर चुकी है। रोजीरोटी का अब कोई विकल्प नहीं है। अतः नवीन शिक्षा नीति के अनुसार हम अनुदेशकों को नियमित किया जाए।

2.  नियमितीकरण होने तक तत्काल प्रभाव से 12 माह के लिए समान कार्य, समान वेतन की व्यवस्था लागू की जाए।

3.  नवीनीकरण के नाम पर हम अनुदेशकों का अमानवीय शोषण किया जाता है। शोषण के कुकृत्य ऐसे हैं जिसे सिर्फ संवेदनशील सरकार ही समझ सकती है। अतः स्वतः नवीनीकरण व्यवस्था लागू हो।

4.सरकार द्वारा हम अनुदेशकों के विरुद्ध अदालतों में चलाई जा रही समस्त कार्यवाही अविलंब वापस लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय व माननीय उच्च न्यायालय डबल बेंच में पारित निर्णय एवं दिशानिर्देर्शों को तत्काल प्रभाव से निष्पादिल किया जाए।

5. महिला अनुदेशकों का अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण (जिस जनपद में शादी हुई हो) प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।

6. अत्यंत अल्प मानदेय से रुग्ण हो चुके हम अनुदेशकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए। यह कि हम अनुदेशकों के भविष्य एवं आकस्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा (EPF) की गारंटी दिया जाए।

8.  100 छात्र संख्या की तलवार का प्रयोग शिक्षकों द्वारा अनुदेशकों के सम्बन्ध में जानबूझकर किया जा रहा। ऐसे में शोषण से बचाव के राहत का उपाय किये जाएं। मात्र अनुदेशकों वि‌द्यालयों को शामिल एक तरफा कार्यवाही गलत है। स्थानांतरण में उन समस्त वि‌द्यालयों को शामिल किया जाए जहां संख्या 100 से ज्यादा हो।

9. अनुदेशकों को 10 संयोगी अवकाश (CL) के अलावा कोई छुट्टी नहीं है। जो कि मानवाधिकारों के विरुद्ध है अतः अनुदेशका अजा भी शिक्षकों की तरह ही आकस्मिक अवकाश, अवकाश (CCL) एवं चिकित्सकीय अवकाश बाल्य देखभाल मातृत्व अवकाश का उपबंध किया जाए।

10. अत्यंत अल्प मानदेय को लगातार कोर्ट में उलझाए, लटकाने के परिणामस्वरूप स्वयं के व्यवस्था से आनलाइन गतिविधियों का संचालन तकनीकी रूप से असम्भवा हो चला है। हम अनुदेशक कर्मठता और इमानदारी से समस्त गतिविधियां आफलाइन मोड में ही निष्पादित करेंगे।

11. अत्यंत अल्प मानदेय एवं संकीर्ण सामाजिक स्थिति के कारण हम अनुदेशक मानवीय गरिमा के अनुकूल सामान्य जीवनचर्या से तालमेल नहीं बना पा रहे। परिणामस्वरूप कार्यस्थलों पर शोषण एवं असहजता से अवसाद की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। अतः अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के आलोक में बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकारों के प्रवर्तन के लिए हम अनुदेशकों की उपरोक्त समस्याओं का त्वरित निस्तारण हो। 

यह भी पढ़ेः लीक हुआ confidential letter, एग्जाम पर लग सकता है ग्रहण !