खतरे के निशान से बढ़ा पानी : सरयू नदी ने धारण किया रौद्र रूप, दर्जनों गांवों में भरा पानी
कंपोजिट विद्यालय नदी में समाया, बबुरी गांव का अस्तित्व समाप्त
सूरतगंज, बाराबंकी, अमृत विचार। सरयू नदी ने अब रौद्र रूप भी धारण कर लिया है। नदी ने कंपोजिट विद्यालय को अपने आगोश में ले लिया। अंतिम पच्चीस घर को काटकर हमेशा के लिए बबुरी गांव का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया। यहां अब न कोई कच्चा-पक्का आशियाना बचा और न ही बच्चों की शिक्षा के लिए कोई स्कूल।
खेतों को काटकर गांव की ओर पहुंची सरयू नदी एक सप्ताह से तबाही मचा रही है। 55 परिवार के सैकड़ों सदस्य पहले ही पलायन कर चुके हैं। वहीं जलस्तर बढ़ने से लगभग एक दर्जन गांवों में पानी भरा हुआ है। तो केदारीपुर गांव के दर्जनों घरों पर अब कटान का खतरा मंडरा रहा है। उधर पानी बढ़ने से लोगों की मुसीबतें बढ़ने लगी हैं।
सूरतगंज ब्लॉक की ग्राम सभा बबुरी का शुक्रवार को अस्तित्व समाप्त हो गया। गांव का आखरी घर और स्कूल नदी में समा गया। तीस घर पहले कटान की भेंट चढ़ चुके थे। वहीं बाकी 25 घर के कट जाने से पूरा गांव समाप्त हो गया। गांव से पलायन कर गए ग्रामीण आस-पास के सरकारी विद्यालय, सड़कों के किनारे डेरा डाले हुए हैं। तो समाप्त हो चुके कचनापुर और बबुरी गांवों के साथ बेलहरी, सरसंडा, केदारीपुर और सुंदरनगर सहित एक दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है। बाढ़ पीड़ित अनेकों समस्या से जूझ रहे हैं।
इनके घर भी नदी में समाए
पदमावती, रोहित कुमार, राधारानी, प्रहलाद, अर्जुन, दुखी, सुशीला, रूपरानी, मस्तराम, फूलमती, शिवदयाल और बदलूराम सहित करीब पच्चीस घर नदी में विलीन हो गए। तो रामनगर तहसीलदार भूपेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि तीस घर का मुआवजा उनके खाते में भेज दिया गया है। शेष को लाभ दिलाए जाने के लिए रिपोर्ट भेजी गई है।
अतिशीघ्र उन्हें भी एक लाख बीस हजार रूपए की धनराशि पक्के घर वालों को और आठ हजार रुपये प्रति झोपड़ी वाले परिवार को मुहैया करवा दी जाएगी। वहीं पलायन कर चुके लोगों के लिए भोजन, तिरपाल, राशन आदि की व्यवस्था करवा दी गई है। सभी को अटहारी और नयापुरवा में बसने हेतु जमीन भी उपलब्ध की गई है।
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