Kanpur News: कहां-कितनी वक्फ संपत्ति अल्पसंख्यक विभाग को नहीं पता, भूमाफिया कराते संपत्तियों का सौदा

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। शहर में वक्फ की काफी जमीनों पर कब्जे हैं और खुदबुर्द भी की गई हैं, लेकिन कहां-कितनी वक्फ संपत्ति है, यह जानकारी अल्पसंख्यक विभाग के पास नहीं है। विभाग को सिर्फ इतना पता है कि जिले में सुन्नी की 2603, शिया समुदाय की 72 संपत्तियां हैं। जमीनों में विवाद की नौबत आने पर संबंधित वक्फ मुतवल्ली जमीन की जानकारी देता है। लेकिन वक्फ जमीनों का मुतवल्ली कौन है, यह जानकारी भी विभाग को जुटानी पड़ती है। अक्सर तमाम पत्राचार पर भी वक्फ बोर्ड यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराता है। 
 
अल्पसंख्यक विभाग के सर्वे इंस्पेक्टर आरके सिंह ने बताया कि वक्फ की कितनी संपत्ति कहां हैं, उसका मुतवल्ली कौन हैं, नहीं पता है। सर्वे के लिए पूछने पर बोर्ड आनाकानी करता है। वक्फ बोर्ड से कोई सूचना साझा नहीं की जाती है। सिर्फ संपत्तियों की बिक्री, एक्सचेंज और धांधली होने पर सूचित किया जाता है। यही कारण है कि भूमाफिया आसानी से जमीनों की बिक्री का खेल करते हैं। सर्वे इंस्पेक्टर के अनुसार पहले तो कोई सूचना नहीं मिलती थी। 

अब नया वक्फ बनने या संपत्ति एक्सचेंज होने पर बताया जाता है। पुराने मामलों की जानकारी नहीं मिलती है। जैसे यतीमखाना का दावा है कि शहर में उनकी 22 संपत्तियां हैं। इनके मुतवल्ली भी हैं, लेकिन किसी भी संपत्ति का ब्योरा वक्फ बोर्ड ने नहीं दिया है। कई बार सूचना मांगी जा चुकी है। ऐसे में सर्वे किसका किया जाए। वक्फ क्रिमिनल मामले में जरूर तत्काल सूचना मिलती है।  

मुनाफे नहीं, नुकसान की सूचना मिलती 

सर्वे इंस्पेक्टर के अनुसार वक्फ संपत्ति से होने वाले मुनाफे का ब्योरा बोर्ड के पास रहता है। बोर्ड की ऑडिट टीम ही उसका आकलन करती है। नफा-नुकसान, जमीन एक्सचेंज या बिक्री की संस्तुति बोर्ड देता है। इसमें अगर संपत्ति का नुकसान होता है, तब जानकारी देकर विभाग के ऊपर सब डाल दिया जाता है। 

इन इलाकों में वक्फ की जमीनें 

चमनगंज, बेकनगंज, तलाक महल, अनवरगंज, नाला रोड, नई सड़क, मूलगंज और मछरिया व जाजमऊ में वक्फ की संपत्तियां हैं। इनमें इक्का-दुक्का छोड़कर अधिकतर संपत्तियों का ब्योरा विभाग के पास नहीं है। इसी से सर्वे नहीं हो पा रहा है। सर्वे के अभाव में ही एक्सचेंज का खेल होता है। माफिया और मुतवल्ली की सहमति से बेशकीमती जमीनों की बिक्री व एक्सचेंज होता है।  

भूमाफिया कराते संपत्तियों का सौदा 

शहर में वक्फ की बेशकीमती जमीनें भूमाफिया और बिल्डर के निशाने पर हैं। इसमें मुतवल्ली का भी अहम रोल है। वही समझौता कराते हैं। बाकायदा तय होता है कि भवन बनने पर किसे कितने फ्लैट मिलेंगे। बदले में दूर-दराज की जमीन खरीदकर वक्फ में दर्ज करा दी जाती है। इस खेल के चलते ही सर्वे इंस्पेक्टर को दूर रखा जाता है। 

जिलाधिकारी अपर सर्वे कमिश्नर वक्फ और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सहायक कमिश्नर वक्फ होते हैं। लेकिन आदेश-निर्देश वक्फ बोर्ड का ही चलता है। अब वक्फ को लेकर शासन की बदलाव की मंशा हैं। इसमें अगर प्रशासन को प्राथमिकता मिली तो धांधली और कब्जों पर अंकुश लगेगा। काफी हद तक पारदर्शिता आएगी। -जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, पवन सिंह

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