रामपुर के पूर्व पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला पर आजम खान को बचाने का लग रहा आरोप
फरार होकर विदेश पहुंचे आरोपित को नोटिस देने का मामला आया सामने, उठ रहे सवाल, जांच के आदेश
राज्य ब्यूरो, लखनऊ, अमृत विचार। रामपुर के पूर्व पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला ने शत्रु संपत्ति की जांच में आजम खान और अफ्फाक अहमद को बचाने के लिए कई कारनामें कराए। कारनामे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआई जांच से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने जिन तिथियों में अफ्फाक को फरार घोषित कर विदेश में भाग जाने की बात कही थी, उन्हीं तिथियों में रामपुर पुलिस के विवेचक ने अफ्फाक अहमद को नोटिस दे दिया। प्रश्न यह उठता है कि जब अफ्फाक अहमद विदेश में फरारी काट रहा था उस समय रामपुर में उसे नोटिस कैसे दे दी गई।
बतादें कि गृह विभाग ने रामपुर में पूर्व में पुलिस अधीक्षक रहे अशोक कुमार शुक्ला (अब डीआईजी सीबीसीआईडी) की भूमिका पर जांच के आदेश दिए हैं। अशोक कुमार पर आजम खान और उनके विशेष कार्यकारी अधिकारी रहे अफ्फाक अहमद के खिलाफ चल रही शत्रु संपत्ति से जुड़ी जांच में आजम खान को निकालने एवं अफ्फाक अहमद पर हल्के आरोप लगाने के आरोप है। यही नहीं शत्रु संपत्ति की जांच में आजम खान की संलिप्तता से जुड़े साक्ष्य जुटाए जाते इससे पहले तत्कालीन एसपी रामपुर ने आदेश जारी कर 17 मई 2023 को गजेंद्र त्यागी से विवेचना लेकर अपराध शाखा में हस्तांतरित कर दी और श्रीकांत द्विवेदी को विवेचक बना दिया गया।
बताया जा रहा है कि एसपी ने एएसपी से एक सोची समझी रणनीति के तहत 15 मई 2023 को एक आख्या लेकर मो. आजम खान और उसके सहयोगियों को बचाने के लिए श्रीकांत द्विवेदी को विवेचना दी गई। क्योंकि श्रीकांत ने न तो इस प्रकरण से संबंधित कोई दस्तावेज एकत्र किए और न ही उनके द्वारा दस्तावेजों का परीक्षण किया गया। बल्कि चिक लेखक कांस्टेबल कुलदीप सिंह के बयान मात्र के आधार पर इस मुकदमें से धारा 467 एवं 471 को हटाकर कर धाराओं को हल्का कर दिया गया। यह करके आरोपित को लाभ पहुंचाया गया।
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