पोषण माहः फास्ट फूड बच्चों के लिए खतरनाक, ऐसे दें पूरक आहार
लखनऊ, अमृत विचारः आज के समय में माता-पिता के लिए सबसे बड़ा चैलेंज होता है बच्चों पोष्टिक आहार देना। बच्चा को पिज्जा, बरगर, चौऊमीन जैसी चीजों से दूर रखना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसे में प्रदेश में पोषण माह मनाया जा रहा है। जहां अपने बच्चों को किस तरह से स्वस्थ्य रखें और बीमारियों से दूर रखें इस बारे में लोगों को जगरूक किया जा रहा है। कई बार हमने अपने बुजूर्गों को यह कहते सुना होगा कि हमने तो तुम्हें सब खिलाया है, अब डॉक्टर कुछ ज्यादा नियम बताने लगे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आइए जानते हैं बच्चों को पोष्टिक आहार देने के लिए क्या करें क्या न करें।
हंसते खिलखिलाते बच्चे तो सबका ही मन मोह लेते हैं। यह हंसी और खिलखिलाना तभी संभव है जब बच्चा स्वस्थ होता है। जिसके लिए आवश्यक है जन्म लेते ही बच्चे को ऐसा आहार दिया जाए, जो कि सुपाच्य हो और जिसके सेवन से किसी प्रकार के संक्रमण की गुंजाईश न हो।
संजय गांधी परास्नातक चिकित्सा संस्थान की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद ही नवजात को मां का दूध देना चाहिए और छह माह तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए क्योंकि मां का दूध संपूर्ण सुपाच्य खाद्य होता है और किसी भी प्रकार के संक्रमण की सम्भावना न के बराबर होती है। बच्चे को छह माह पूरे होते ही मां के दूध के साथ ऊपरी आहार देना शुरू कर दें। जिससे बच्चे की शारीरिक और मानसिक बढ़त तेजी से होती है। इसके साथ ही साथ बच्चे को पोष्टिक ऊपरी आहार जरूर दे। ऊपरी आहार न देने से बच्चा कुपोषण की जद में आ जाता है। जिससे उबरने में पैसा, समय और श्रम सबकी हानि होती है। दो साल तक बच्चे को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार दें।
कैसा हो पूरक आहार
आहार में घर का बना हुआ ताजा भोजन होना चाहिए। दिन में कम से कम तीन बार नाश्ता और दो बार भोजन देना चाहिए। चावल, सूजी, दलिया, मसला हुआ केला, हरी पत्तेदारी सब्जियां, मौसमी एवं स्थानीय फल एवं सब्जियां, आदि बच्चे को दें। इसमें एक चम्मच घी भी डालें।
क्या नियम करें फॉलो
बच्चे को अलग साफ कटोरी चम्मच में ही खाना खाने को दें। इससे यह पता चलता है कि बच्चे न कितना खाना खा पा रहा है।
खाने में किस चीज का करें परहेज
बच्चे को एक साल तक की आयु तक नमक और दो साल तक की आयु तक शक्कर नहीं देना चाहिए। नमक से बच्चे को इसलिए दुर रखना चागिए इस उम्र तक बच्चे की किडनी पूर्णतः परिपक्व नहीं होती है। नतीजतन वह नमक को प्रोसेस नहीं कर पाती है। वहीं एक साल के बाद बच्चे को धीरे-धीरे करके नमक वाला खाना देना शुरू करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि खाने में नमक ऊपर से न डालें।
दो साल तक बच्चे को शक्कर नहीं देनी चाहिए क्योंकि बच्चे को अगर इसका स्वाद अच्छा लग गया, तो वह अन्य कोई चीज नहीं खाएगा। दूसरा कि शोध बताते हैं कि शक्कर के सेवन से आगे के जीवन में दिल की बीमारियों और मोटापे का खतरा होता है। शक्कर का सेवन बच्चे में ऊर्जा और दांतों में कैविटी को बढ़ाता है। शक्कर के बजाए बच्चे को खजूर या किशमिश दे सकते हैं। जहां इनका स्वाद भी अलग होता है और आयरन से भरपूर भी होता हो।
दो साल के बाद भी सीमित मात्रा में ही मीठा दें। छोटे बच्चे को शुरुआत में नमक और शक्कर दोनों का ही स्वाद पता नहीं होता है, इसलिए उसे बिना नमक और शक्कर का खाना देने से कोई फर्क नही पड़ता है। इसके साथ ही बच्चा यदि मीठा खाने लगता है तो आगे चलकर मीठे के प्रति उसका लगाव ज्यादा होता है। बिस्किट, चिप्स, टाफी, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक बच्चे को न दें। यह भूख तो खत्म कर देते हैं, लेकिन इनमें पौष्टिक तत्वों का अभाव होता है।
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