Explainer: नसरल्लाह की मौत पर आक्रोशित हैं कश्मीरी, क्या अंतिम चरण के चुनाव में दिखेगा अगर, कौन है हिजबुल्लाह का नया चीफ?
अमृत विचार। देश में चुनावी माहोल है। जगह-जगह चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में नसरल्लाह की मौत का मातम भारत के कुछ हिस्सों में देखने को मिल रहा है खास तौर पर कश्मीर में। हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के खिलाफ इजराइल के एक्शन के बाद भी यह सिलसिला थमा नहीं है। इजरायल ने यमन में हूती विद्रोहियों पर भी जबरदस्त हमला बोला है। इधर भारत में महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की पार्टी के लोग नसरल्लाह की मौत पर शोक मना रही है। ऐसे में क्या कश्मीर के अंतिम फेज के चुनाव में नसरल्लाह की मौत का असर देखने को मिलेगा।
नसरल्लाह की हत्या के विरोध में कश्मीरी शिया मुस्लिम ने विरोध में लगाए नारे
कश्मीर में अंतिम फेज का चुनाव 1 अक्टूबर को होना है, लेकिन कश्मीर का माहौल बदलता नजर आ रहा है। नसरल्लाह की मौत के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। देश के कई हिस्सों में इस्माइल हानिया, कासिम सुलेमानी और हसन नसरल्ला के लिए मातम मनाया जा रहा है। लोग नसरल्लाह की तस्वीर लेकर तरह-तरह के नारे लगा रहे हैं। 'जब तक सूरज-चांद रहेगा, हिजबुल्लाह का नाम रहेगा', 'अमेरिका का जो यार है वो गद्दार है' हिजबुल्ला पर हमले के विरोध में कश्मीर नेताओं ने भी चुप्पी साध ली है। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने चुनाव प्रचार भी बंद कर दिया है।
लखनऊ में भी हुआ प्रदर्शन
कुछ ऐसा ही लखनऊ में भी देखने मिला। जहां हसन नसरल्ला के समर्थन में एक किलोमीटर की कैंडिल मार्च यात्रा निकाली गई। इतना ही नहीं शिया समुदायों की दुकाने भी बंद दिखी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता हैं कि सवाल है कि हिजुबल्ला का चीफ के मरने पर कश्मीर क्यों उबल रहा है और देश में जगह-जगह उसकी मौत के विरोध में प्रदर्शन क्यों हो रहा है?
क्या ये है महबूबा और अब्दुल्ला की नई तरकीब
कश्मीर की वादियों में अंतिम फेज से पहले ही रूख बदल रहा है। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला बिना प्रचार किए भी माहौल बना रहे हैं। आपको बता दें कि हसन नसरल्ला, इस्माइल हानिया और कासिम सुलेमानी तीनो आतंकी थे। ये आतंकी सगंठन चलाते थे इसलिए वे मारे गए। लेकिन महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नसरल्ला इसलिए अच्छा लग रहा है क्योंकि कश्मीर के अंतिम फेज के चुनाव में 47 में से 15 सीटों पर शिया वोटर का असर है, शिया मुस्लिम वोटर की 14 % भागेदारी है। बडगाम जो नसरल्ला की मौत से अक्रोश में हैं वहां पर करीब 48% सबसे ज्यादा शिया वोटर है। ऐसे में कश्मीरी पार्टियां शिया वोटर्स को साधन में लगी हुई हैं।
बारामुला की उरी में 21 फीसदी शिया वोटर्स
बांदीपोरा का सोनावारी में 30 फीसदी शिया
बारामुला का गुलमर्ग में 25 फीसदी शिया
बारामुला के पट्टन में 35 फीसदी शिया है।
कश्मीर में अभी तक बिजली, पानी और बेरोजगारी के मुद्दे पर पड़ रहा था, लेकिन नसरल्ला की मौत के बाद हिजबुल्ला हिजबुल्ला के नारे सुनाई दे रहे हैं। यही वजह है कि पहले तो महबूबा मुफ्ती ने अपना चुनावी दाव खेला और कल होने वाले अंतिम फेज के लिए प्रचार करना बंद कर दिया। ये कदम शिया वोटर्स को अपनी ओर खीचने के लिए उठाया गया हो सकता है। वैसे तो महबूबा आतंकी और आम लोगों में फर्क नहीं करती हैं उन्हें जहां वोट दिखता है वे उस ओर मुड़ जाती हैं। इस बार उनकी आस शिया वोटर से हैं। नेशनल कांफ्रेंस भी हिजबुल्ला हिजबुल्ला ही कहती नजर आ रही है।
कश्मीर में शिया वोट जरूरी
कश्मीर के वोटिंग पैटर्न को देखा जाए तो सबसे ज्यादा शिया समुदाय वोट देने के लिए निकलता है। वहीं सुन्नी समुदाय की वोटिंग में भागेदारी कम रहती है। इसी लिए पार्टियां हिजबुल्ला-हिजबुल्ला कर रही है।
ज्यादातर मुस्लिम देश और मुस्लिम इजरायल के इस हमले को मुस्लमानों पर किए गए हमले की नजर से देख रहे हैं। कश्मीर में शियाओं के चल रहे प्रदर्शन के पीछे यही नैरेटिव सेट है। वहीं सच्चाई ये है कि हमास हिजबुल्लाह वैसे ही आतंकी संगठन है जैसे की पाकिस्तान में बैठे जैश और लश्कर, जो भारत के लिए मुसीबत बने हुए रहते हैं। दहशतगर्दी से परेशान इजरायल, हमास सिर्फ हिजबुल्लाह का खात्मा चाहता है। हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह के खातमे के बाद इजरायल पूरी तरह से हिजबुल्लाह का नामो निशान मिटा देना चाहता है।
कौन है हिजबुल्लाह का नया चीफ?
हिजबुल्लाह ने हसन नसरल्लाह और हसन खलीली यासिन की मौत के 36 घंटे के अंदर ही हाशेम सैफिदुद्दीन को नया चीफ बना दिया है। हाशेम, नसरल्लाह का चचेरा भाई है। अभी तक यह हिजबुल्लाह के पॉलिटिकल ब्यूरो का हेड था। किसी देश या आतंकी सगंठन से डील करने का काम यही करता है। वह हिजबुल्लाह की जिहादी काउंसिल का हेड और ईरान के नेताओं का करीबी भी है।
हाशेम सैफिदुद्दीन को 2017 में अमेरिका ने आतंकवादी घोषित कर दिया था। पेजर अटैक के बाद हाशेम ने इजरायल के खिलाफ जहर उगला शुरू कर दिया था। उसने का था कि अब मिडिल ईस्ट में नया टकराव शुरु होगा और जरायल को सबसे बड़ा दंड दिया जाएगा।
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