Iran-Israel War: दो मिनट पहले बजता है सायरन, भागकर बैरक में लेते हैं शरण, श्रमिकों के परिजनों की उड़ी नींद, बोले- अब घर चले आओ

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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रीतेश श्रीवास्तव/बाराबंकी, अमृत विचार। लाखों मील दूर ईरान द्वारा इजराइल पर दागी जा रहीं मिसाइलों से जिले के कुछ परिवारों की नींद उड़ गई है। इन परिवारों के सदस्य अपने परिवार का पेट पालने के लिए केंद्र सरकार की मदद से मजदूरी करने के लिए पिछले कई माह से इजराइल में हैं। दोनों देशों की लड़ाई के चलते इन श्रमिकों के परिजनों की नींद उड़ी हुई है। परिजन बोल रहे हैं कि अब घर चले आओ। 

वहीं श्रमिक कह रहे हैं कि यहां समय से अच्छा पैसा मिल जा रहा है। लड़ाई को लेकर परिजन टीवी पर नजरें गड़ाकर पल-पल के हालत की खबर तो ले ही रहे हैं साथ ही वीडिया कॉल के जरिए अपने परिवार के सदस्य का हालचाल भी ले रहे हैं।

भारत सरकार की मदद से जिले के करीब तीन से चार सौ श्रमिक इन दिनों इजराइल में रहकर काम कर रहे हैं। इन श्रमिकों को विदेश गए दो से छह माह का समय हुआ है। इस बीच एक अक्तूबर की रात ईरान द्वारा इजराइल के कुछ ठिकानों पर मिसाइलें दागी गईं। इससे इजराइल में काम कर रहे श्रमिकों के परिजनों की नींद उड़ गई है। 

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इजराइल पर हमले के बाद परिजन टीवी में न्यूज चैनलों से जुड़कर वहां के हालात की जानकारी ले रहे हैं। इसके साथ ही अपनों से मोबाइल पर बात करने के साथ व्हाट्स्एप पर भी वीडियो कॉल के जरिए कुशलक्षेम पूछ रहे हैं। देवा ब्लॉक के साल्हेनगर की नई बस्ती के कई परिवारों के सदस्य काम करने इजराइल गए हैं। 

यहां के निवासी भवंर सिंह के भाई राकेश इजराइल देश के तेल अवीव-याफो शहर में मेहनत मजदूरी कर रहे हैं। हमले के बाद भवंर सिंह ने अपने भाई राकेश सिंह से वीडिया कॉल पर बीतचीत की। श्रमिक राकेश ने भाई से कहा कि उनके मोबाइल पर दो मिनट पहले सायरन बजता है, इसके बाद वह अपने अन्य साथियों के साथ भागकर बंकर के अंदर जाकर अपने को सुरक्षित करते हैं।

 इसी गांव के रहने वाले दिनेश भी इजराइल में हैं। लड़ाई को लेकर घबराई उनकी पत्नी ने बताया कि एक अक्तूबर की रात में पति से फोन पर बात हुई। पत्नी ने कहा कि अब घर चले आओ। इस पर श्रमिक दिनेश ने कहा कि यहां समय पर पैसा मिल जा रहा है। अपने को सुरक्षित कर हम लोग काम कर रहे हैं। 

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वहीं दिनेश के भाई ने बताया कि अगर ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ेगा तो यहां उनके परिवार में भी चिंता बढ़ने लगेगी। भाइे ने कहा कि भारत में काम की स्थिति देख ही रहे हैं, ज्यादा पैसा मिलने के लालच में गांव के लड़के बाहर गए हैं। नवाबगंज तहसील क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले श्रमिक मंगल सिंह भी कुछ माह पहले इजराइल गए हैं। इनके भाई महेंद्र सिंह ने मोबाइल पर व्हाट्स्एप के जरिए भाई से बातचीत की। 

श्रमिक मंगल ने बताया कि सभी श्रमिकों के मोबाइल पर तीन मिनट पहले सायरन बज जाता है, इसके बाद सभी लोग बैरक में चले जाते हैं। महेंद्र ने बताया कि भाई का सेलेक्सन मोदी सरकार की योजना के तहत आईटीआई अलीगंज के द्वारा हुआ था और करीब चार माह पहले इजराइल चले गए थे। सहायक श्रमायुक्त मयंक सिंह बताते हैं कि इजराइल में युद्ध के संबंध में श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर उनके विभाग में कोई दिशा-निर्देश नहीं आया है। यह भारत सरकार से जुड़ा मामला है।

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अलीगंज आईटीआई में प्रशिक्षण ले रहे जिले के बेरोजगार

इजराइल जाने के लिए नवाबगंज तहसील समेत जिले की अन्य तहसील क्षेत्रों के कई बेरोजगार काम करने के लिए लखनऊ स्थित अलीगंज आईटीआई में ट्रेडवार प्रशिक्षण ले रहे हैं। लेकिन दो देशों के बीच शुरू हुई इस लड़ाई के बाद वहां जाने के लिए उनके कदम रूक गए हैं। प्रशिक्षण ले रहे जिले के निवासी चंद्रशेखर समेत अन्य कई लोगों का कहना है कि बेरोजगारी के चलते मजबूरी में उन्हें इजराइल जाना पड़ रहा है। अपने यहां बेरोजगारी बहुत ज्यादा है, पर अपनी जान जोखिम में डालते हुए आदमी इजराइल जाने को मजबूर हो रहा है।

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