बरेली:मेघनाद, कुंभकरण और अहिरावण के बाद मारा गया रावण

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Published By Monis Khan
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कुंभकरण के समझाने पर भी नहीं माना रावण

बरेली, अमृत विचार। शहर में अलग-अलग स्थानों पर रावण दहन किया गया। सुभाषनगर, जोगी नवादा, राजेंद्र नगर आदि इलाकों में दशहरा के मौके पर रावण का पुतला फूंका। वहीं उत्तराखंड सांस्कृतिक समाज की ओर से राजेंद्र नगर में आयोजित रामलीला में शनिवार को मेघनाद, कुम्भकरण, अहिरावण और रावण वध की लीला का मंचन किया गया।

कलाकारों ने मंचन किया कि राम-रावण युद्ध में रावण की सेना को बहुत अधिक नुकसान हो जाता है तो रावण अपने भाई कुंभकर्ण को निद्रा से जगाता है। कुंभकर्ण को जब पता चलता है कि रावण ने सीता का अपहरण कर लिया है तो वह रावण को समझाने का प्रयास करता है लेकिन रावण उसकी बात नहीं मानता। कुंभकरण रणभूमि में पहुंच कर राम से वीरतापूर्वक युद्ध करता है और राम के हाथों मारा जाता है। कुंभकर्ण के मरने के बाद रावण अपने पुत्र मेघनाद को युद्ध के लिए भेजता है और वह भी लक्ष्मण के हाथों मारा जाता है। मेघनाद के वध की सूचना रावण के दरबार में पहुंचती है तो पूरा माहौल भययुक्त हो जाता है। रावण पुत्र शोक में विलाप करता है और अपने भाई अहिरावण का आवाहन करता है जो छद्म वेश धारण करने में महारथी है। अहिरावण रात में विभीषण का वेश धारण कर छल से राम और लक्ष्मण को पाताल लोक जे जाता है। वहां देवी भवानी के सामने राम-लक्ष्मण की बलि देना चाहता है लेकिन हनुमान वहां पहुंच कर अहिरावण का वध कर देते हैं। लंका में चारों ओर निराशा और भय का माहौल बन जाता है। अंत में श्री राम और रावण के बीच भीषण युद्ध होता है और राम रावण का वध कर देते हैं।

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