उन्नाव में है अद्भुत परम्परा...यहां करवा चौथ के दूसरे दिन पति रखते पत्नी पंचमी का व्रत

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Published By Nitesh Mishra
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उन्नाव, अमृत विचार। सनातन संस्कृति में करवाचौथ पति-पत्नी के अटूट प्रेम, विश्वास व सामंजस्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं इसके विपरीत पत्नी के अच्छे, स्वस्थ व दीर्घायु जीवन और स्नेह की डोर को और मजबूत करने लिए करवा चौथ के अगले दिन यानि पंचमी को क्षेत्र के पुरुष पत्नी पंचमी का व्रत रखते हैं। 

हालांकि शास्त्र में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है लेकिन, सफीपुर तहसील क्षेत्र के मिर्जापुर, न्यामतपुर सहित कई गांव के कुछ लोगों ने साहित्यकार डॉ. प्रमोद कुशवाहा के मार्गदर्शन में बीते कई वर्षों से करवा चौथ के दूसरे दिन पंचमी को पत्नी पंचमी के रूप में व्रत रखकर अपनी पत्नियों के स्वस्थ व दीघ्र जीवन की कामना करते हैं। 

पंचमी को पति सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखते हैं फिर पत्नी के हाथों जल ग्रहण कर उसका परायण करते हैं। शुरुआती वर्षों में तो इसे मजाक समझा गया लेकिन, प्रति वर्ष इस व्रत को रखने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। पत्नी पंचमी के रूप में रखा जाने वाला यह व्रत क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

कैसे रखते हैं पत्नी पंचमी का व्रत 
 
करवा चौथ के दूसरे दिन पंचमी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत होता है। व्रत का परायण सूर्यास्त के बाद होता है। इसके बाद पत्नी द्वारा मिष्ठान व जल ग्रहण कर सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद दिया जाता है। पत्नी पंचमी पर व्रत रख जीवन साथी के स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना की जाती है। 

कहां-कहां और किसने-किसने रखा व्रत 

पत्नी पंचमी का व्रत रखने वालों में साहित्यकार डॉ. प्रमोद कुशवाहा मिर्जापुर, कमलेश सोनी औरास,  शिक्षक नेता उमेश मौर्य देवगनमऊ, सुमन सिंह, बालकृष्ण शर्मा मिर्जापुर, गौतम प्रजापति जमाल नगर,  विमलेश कुशवाहा न्यामतपुर, सुधीर मौर्या राजेपुर पतारी, फार्मासिस्ट पवन राठौर आदि ने व्रत रखकर जीवन साथी के प्रति अटूट स्नेह का धागा मजबूत किया। विकासखंड सफीपुर के मिर्जापुर व न्यामतपुर गांव से करवाचौथ के बाद पंचमी को पत्नी पंचमी का व्रत रखने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे अब यह जिले के कई स्थानों पर मनाया जाने लगा है।

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