Bahraich Violence: अधिकारियों की लापरवाही से हुई थी बहराइच हिंसा

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Published By Muskan Dixit
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13 साल से हरदी थाने के त्यौहार रजिस्टर में नहीं दर्ज किया गई कोई जानकारी। मुख्यमंत्री को सौंप गई जांच रिपोर्ट 

लखनऊ, अमृत विचारः बहराइच हिंसा के पीछे पुलिस अधिकारी की लापरवाही सामने आई है। जिस हरदी थाने के महाराजगंज इलाके में हिंसा हुई थी। उसे थाने के त्यौहार रजिस्टर में पिछले 13 साल से कोई जानकारी दर्ज ही नहीं हुई है। यहां तक इस रजिस्टर की किसी अधिकारी ने जांच भी नहीं कि। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है। जिसके बाद जिले के बड़े अधिकारियों की लापरवाही सामने आने के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही की संभावना बलवती हो गई है।

बहराइच के हरदी थानाक्षेत्र के महाराजगंज में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान भड़की हिंसा में रामगोपाल मिश्र की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद हिंसा बेकाबू हो गई। मौके पर सचिव गृह संजीव गुप्ता और एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश को भेजा गया। स्थिति संभालने के बाद दोनों अधिकारियों ने हिंसा के पीछे के कारण की जांच की, तो सामने आया कि हरदी थाना क्षेत्र के त्यौहार रजिस्टर जैसे महत्वपूर्ण अभिलेख में पिछले 13 वर्ष से कोई जानकारी दर्ज ही नहीं की गई थी। जांच में सामने आया कि हरदी थाने के त्यौहार रजिस्टर में वर्ष 2011 के तत्कालीन थाना अध्यक्ष ने गणेश चतुर्थी पर अंतिम बार एंट्री की थी। वर्ष 2024 तक किसी थानेदार ने त्योहार रजिस्टर में इलाके की सूचना दर्ज नहीं की। इतना महत्वपूर्ण सूचनाओं वाले रजिस्टर में एंट्री को लेकर बड़ी लापरवाही थानेदार से लेकर एसपी तक ने की है। रिकॉर्ड यही बताते है कि पिछले 13 वर्ष से किसी भी अधिकारी ने थाने का न तो निरीक्षण किया और ना ही रजिस्टर में कोई एंट्री की है। 

Co ने भेजी थी एक माह पहले रिपोर्ट 

महसी के क्षेत्राधिकार रहे रूपेंद्र गौड ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर को एसपी वृंदा शुक्ला को भेजा था। करीब एक माह का समय बीत जाने के बाद भी एसपी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसका परिणाम 13 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई है। हिंसा के बाद बहराइच पुलिस लाइन में एंट्री राइट उपकरण भी चालू हालत में नहीं मिले थे। लापरवाही इस कदर थी की एंट्री राइट उपकरणों को भी समय से न तो चेक किया गया और न ही एंट्री राइट ड्रिल हुई। बहराइच पुलिस की इस लापरवाही की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी गई है। एडीजी कानून व्यवस्था के साथ इंटेलिजेंस ने भी अपनी रिपोर्ट में लापरवाही का जिक्र किया है।

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