कासगंज के मनोहर स्वरूप ने स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को दिया था पहला कमर्शियल ब्रेक

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Published By Pradeep Kumar
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बिहार की स्वर कोकिला के लिए कासगंज के संगीतकार से मिली थी नई पहचान

गजेन्द्र चौहान/ कासगंज, अमृत विचार। कासगंज की प्रतिभाएं पूरे देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक अपनी पहचान बनाए हुए हैं। जब बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा दुनिया से विदा ले चुकी हैं तो उसके बाद जानकारी मिली है कि कासगंज के मुरली मनोहर ने उन्हें संगीत की दुनिया में पहला ब्रेक दिया था। यहां के संगीतकार से उन्हें नई पहचान मिली और वह धीमे-धीमे स्वर कोकिला बन गईं। उनकी मौत के बाद जहां एक ओर पूरा देश स्तब्ध है वहीं दूसरी तरफ कासगंज के लोगों को भी इस बात का मलाल है कि कासगंज से जुड़ी यादें छोड़कर स्वर कोकला दुनिया से चली गईं।

भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित स्वरकोकिला शारदा सिन्हा को पहला कमर्शियल ब्रेक देने वाले संगीतकार का नाम मुरली मनोहर स्वरूप था, जो कासगंज स्थित पटियाली के रहने वाले थे। शारदा सिन्हा जब पहली बार मुंबई के एचएमवी स्टूडियो पहुंची तो उनकी मुलाकात मशहूर संगीतकार मुरली मनोहर स्‍वरूप से हुई, जहां उनका ऑडिशन हुआ, जिसमें शारदा ने गीत गाया—"द्वार के छेकाई लेगा पहिले चुकईयो ओ दुलरूआ भैया" ये एक ऐसा गीत था जो शारदा ने अपने परिवार में एक विवाह के मौके पर अपनी भाभी से सीखा था और उसके गंवई रूप को थोड़ा सा बदलकर एचएमवी के ऑडीशन में गाया। तभी वहां एक ठसकदार महिला की आवाज ऑडिशन के पर्दे के पीछे से आई  "और कुछ गाओ".... शारदा ने कुछ और गीत सुनाए और इस तरह उनका चुनाव हो गया। यहां ये बताना जरूरी है कि परदे के पीछे से आई वो ठसकदार आवाज असल में बेगम अख्‍तर की थी, जिन्‍होंने शारदा को बहुत आशीर्वाद दिया और इस तरह सन 1975 में आया शारदा सिन्‍हा का पहला कमर्शियल रिकॉर्ड—'द्वार के छकाई' था। 

जानिए कौन थे मुरली मनोहर स्वरूप

जो लोग मुरली मनोहर स्वरूप को नहीं जानते। उनके लिए बता दें कि वे एक बहुत कमाल के संगीतकार रहे और उनके संगीत निर्देशन में मन्‍ना डे, हेमंत कुमार, तलत महमूद और मुकेश ने कमाल के गैर फिल्मी गीत, गजल और भजन गाए हैं, मुकेश ने जो रामचरित मानस गाई है—उसके संगीतकार मुरली मनोहर ही थे।

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