Jhansi Medical College: इस बाल रोग विशेषज्ञ ने बताई विभाग की सच्चाई, वहां से कर चुके हैं पढ़ाई... 

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Published By Virendra Pandey
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कहा- आग से बचाव के लिए उठाना होगा सख्त कदम

लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुये अग्निकांड ने पूरे देश को हिला के रख दिया है। इस अग्निकांड में दस बच्चों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। हादसे की सच्चाई जानने के लिए सरकार ने विशेष जांच कमेटी भी बनाई है, जो जल्द ही अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी। इस हादसे के  कुछ घंटे बाद ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मृतक शिशुओं के परिवारों को 5-5 लाख, वहीं केंद्र सरकार की तरफ से 2-2 लाख रुपये से मदद करने का ऐलान किया गया है। 

वहीं इस पूरे हादसे में भारतीय बाल अकादमी उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष एवं बालरोग विशेषज्ञ डॉ. संजय निरंजन ने भारी दुख जताया है। साथ ही उन्होंने झांसी मेडिकल कॉलेज में विताये समय और वहां की फैकेल्टी को याद किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि झांसी मेडिकल कॉलेज का पीडियाट्रिक विभाग करीब 40 वर्षों से लगातार गुणवत्तापूर्ण इलाज देने के लिए जाना जाता रहा है। आइये जानते हैं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय निरंजन ने अस्पतालों में विशेषकर आईसीयू और एनआईसीयू में आग से बचाव के लिए क्या सुझाव दिये हैं।

डॉ. संजय निरंजन ने बताया कि वह मूल रूप से झांसी के ही रहने वाले हैं। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई लखनऊ स्थित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से की। उसके बाद साल 1986 में एमडी करने झांसी मेडिकल कॉलेज चले गये। उन्होंने बताया कि उस समय डॉ. रमेश कुमार पंडिता ने पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की शुरुआत की थी। तब से लेकर आज तक यह विभाग गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए जाना जाता है। झांसी मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए पहुंचने वाले कई नवजात कुपोषण का शिकार होते हैं, ऐसे शिशुओं का जीवन बचाने के लिए वहां के डॉक्टर लगातार कोशिश करते हैं, तभी जीवन बचता है, वहीं इधर कुछ वर्षों में सरकार की कोशिशे भी रंग लाई हैं और शिशु मृत्युदर में कमी आई है। 

अस्पतालों में आग से बचाव के लिए उठाने होंगे अहम कदम

बीते कई वर्षों से लगातार बड़े अस्पतालों में आग लगने की घटनायें हो रही हैं। यूपी के तीन बड़े संस्थान एसजीपीजीआई, केजीएमयू और डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल भी आग की घटना से बच नहीं पाये हैं। ऐसे में डॉ. संजय निरंजन के मुताबिक यदि विशेष सावधानी बरती जाये तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आग से बचाव के लिए हर व्यक्ति को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके अलावा हर अस्पताल के लिए इस तरह की विशेष व्यवस्था की जाये जिससे बिजली की पॉवर कम ज्यादा न हो, इससे भी शार्ट सर्किट होने का खतरा रहता है। साथ ही रोजाना अस्पताल में तैनात विद्युत इंजीनियर अथवा कर्मचारियों को रोजाना जांच करते रहनी चाहिए। जिससे समस्या दिखाई देते ही समाधान हो सके। इसके अलावा उन्होंने सबसे जरूरी सुझाव दिया, जिसमें बताया है कि एनआईसीयू या फिर आईसीयू में वेंटिलेटर और वार्मर के अलावा अन्य उपकरण जरूरी न हो तो नहीं रखने चाहिए, साथ ही इलेक्ट्रिक स्विच और बोर्ड भी नहीं होने चाहिए। अंदर मोबाइल आदि के चार्जिंग से भी बचना चाहिए।

साल 1965 में रखी गई थी मेडिकल कॉलेज की आधार शिला

झांसी मेडिकल कॉलेज की आधार शिला साल 1965 में रखी गई थी, वहीं साल 1968 में मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हुआ था, इस मेडिकल कॉलेज का पूरा नाम महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज है।

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