लखनऊ: निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मी, हाथ में काली पट्टी बांधकर पहुंचे दफ्तर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में लखनऊ समेत सभी जिला एवं परियोजनाओं में बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार बिजली कर्मियों ने काम प्रभावित नहीं होने दिया बल्कि काली पट्टी बांधकर निजीकरण के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। मुख्य अभियंताओं ने भी काली पट्टी बांधी।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि 11 दिसंबर को लखनऊ में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की बैठक हो रही है, जिसमें बिजली के निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में हो रहे बिजली के निजीकरण के विरोध पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनसीसीसीओईई बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति है जिसमें देश के सभी प्रमुख बिजली कर्मचारी महासंघ, पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन शामिल हैं।
लखनऊ में हो रही बैठक में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, महासचिव पी रत्नाकर राव, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आरके त्रिवेदी, महासचिव अभिमन्यु धनकड़, इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्षअध्यक्ष सुभाष लांबा, कन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन के नेशनल के अशोक राव और ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज के महासचिव मोहन शर्मा शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली के एकतरफा निजीकरण को लेकर देशभर के बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। इसीलिए लखनऊ में समन्वय समिति की बैठक हो रही है जिसमें देशव्यापी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। एआईपीईएफ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल हस्तक्षेप कर कर्मचारी विरोधी निजीकरण को रद्द करने की अपील की है।
एआईपीईएफ ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने देश में सर्वाधिक 30 हजार मेगावाट तक बिजली आपूर्ति कर एक कीर्तिमान रचा है और यूपी के बिजली कर्मचारी भविष्य में और बेहतर बिजली व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसलिए निजीकरण को बिजली कर्मचारियों पर एकतरफा नहीं थोपा जाना चाहिए।
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