Kanpur News: साल 2025 कैसा रहेगा: किन राशियाें पर पड़ेगा शनि का प्रभाव, यहां जानें- सब कुछ
कानपुर, अमृत विचार। साल 2025 में शनिदेव की राशि बदलने वाली है और इसी के कई राशियों पर से शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव खत्म हो जाएगा, लेकिन कई राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाएगा।
शनिदेव साल 2025 में कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करने वाले हैं। ऐसे में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव राशियों पर अलग अलग देखने को मिलेगा। दरअसल शनिदेव के इस गोचर से दो राशियों पर से शनि की ढैय्या व एक राशि से साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी। जबकि दो राशियों पर इसी समय से ढैय्या लग जाएगी और एक राशि पर साढेसाती का दौर शुरू हो जाएगा।
जिसकी वजह से साल 2025 कुछ राशियों के लिए ज्यादा लाभकारी नहीं रहेगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सभी ग्रहों में शनि ग्रह की चाल बहुत धीमी होती है इसलिए एक राशि में गोचर करते समय शनि ग्रह को ढाई वर्ष का समय लगता है।
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि साल 2025 आने वाला है और नया साल नई उमंग और नया उत्साह लेकर आता है। लेकिन नए साल 2025 में न्याय के देवता और कर्म के कारक ग्रह शनि देव 29 मार्च को यानी संवत के अंतिम दिन मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
जिसकी वजह से दो राशियों के जातक शनि की ढैय्या और एक राशि के जातक साढेसाती से मुक्त होंगे और ठीक इसी प्रकार से दो राशियों की ढैय्या शुरू होगी और एक नई राशि की साढेसाथी शुरू हो जाएगी। दरअसल नियम यह है कि जिस राशि से चौथे और आठवें शनि होते हैं उनकी ढैय्या होती है और जिस राशि में होते हैे उससे आगे और पीछे की राशि में साढेसाती होती है।
वैदिक ज्योतिष में शनि की चाल, अवस्था व गोचर का विशेष महत्व है क्योंकि शनिदेव जब अपनी चाल या राशि बदलते हैं तो इसका प्रभाव देश-दुनिया, अर्थव्यवस्था, कारोबार समेत मेष से मीन तक सभी 12 राशियों पर पड़ता है। शनिदेव को एक राशि में गोचर करने में ढाई वर्ष का समय लगता है।
इससे पहले साल 29 अप्रैल 2022 को शनि का प्रवेश कुंभ राशि में हुआ था। इसके बाद 12 जुलाई को शनि वापस वक्री होकर मकर में लौट आए थे और पुनः जनवरी 2023 को शनि महाराज कुंभ राशि में आ गए थे और तब से यह मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान हैं। लेकिन 2025 में शनि महाराज कुंभ राशि से निकलककर मीन राशि में गोचर कर जाएंगे।
इस समय कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है क्योंकि शनिदेव कुंभ राशि में है। लेकिन शनि के मीन राशि में गोचर करने के बाद ही इन राशियों पर शनि की ढैय्या खत्म हो जाएगी और नए साल 2025 में सिंह और धनु राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाएगा। ऐसे में नए साल में सिंह राशि वालों को संभलकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस दौरान स्वास्थ्य, रोजगार, धन, कामकाज, परिवार समेत जीवन के सभी क्षेत्रों में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
इस समय शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ और मीन राशि पर वालों पर चल रही है। नए साल 2025 में शनि के मीन राशि में गोचर करते ही मकर राशि वालों पर चल रही साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी और मेष राशि वालों पर शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही मीन राशि वालों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण और कुंभ राशि वालों पर शनि का अंतिम यानी तीसरा चरण प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में नए साल 2025 में कुंभ, मीन और मेष राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाएगा।
साल 2025 में शनिदेव के मीन राशि में आने पर सिंह और धनु राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाएगा। साथ ही कुंभ, मीन और मेष राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ विशेष उपाय भी है। इन उपायों के करने से शनि की महादशा, शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आ सकती है।
साल 2025 में कम से कम 11 शनिवार शनि मंदिर में जाकर छाया दान करें।
शनिदेव से संबंधित चीजें जैसे काला छाता, जूता-चप्पल, लोहा, तिल आदि चीजों का दान करें।
सफाईकर्मी, मजदूर वर्ग अर्थात निम्न वर्ग को कुछ ना कुछ दान करते रहें।
हर रोज हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।
शराब ना पीएं, न झूठ बोले और ना ही क्रोध करें। पराई स्त्री पर बुरी नजर ना डालें, अपने कर्मों को हमेशा शुद्ध रखें।
काला कुत्ता, कौवा और गाय को हर दिन रोटी व दान खिलाते रहें।
हर दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करे और घी का दीपक जलाएं।
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