डिजिलॉकर में मिलेगी डीमैट व म्यूचुअल फंड की जानकारी, निवेशकों को होगी सुविधा
कानपुर, अमृत विचार। बैंक खातों की ही तरह बहुत सारे लोगों का शेयर या म्यूचुअल फंड्स में किया गया निवेश लावारिस हालत में पड़ा है। ऐसी ज्यादातर रकम फिजिकल शेयर्स और लाभांश के रूप में है। अकेले कानपुर और आसपास के निवेशकों का अनक्लेम्ड एसेट्स 300 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। यह आंकड़ा कुल निवेश का लगभग 1 फीसदी है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2024 तक म्यूचुअल फंड में कानपुर का निवेश 34,705 करोड़ रुपये है।
सरकारी नियमों के अनुसार अगर शेयर्स या डिविडेंड्स को लगातार 7 साल तक क्लेम नहीं किया जाता है तो इसे आईईपीएफ (निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष) यानी इन्वेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड में स्थानांतरित कर दिया जाता है। आईईपीएफ में स्थानांतरित होने वाले शेयर्स और डिविडेंड्स को वापस पाने में निवेशकों को काफी लंबा समय लगता है। छोटी-छोटी गड़बड़ियों की वजह से आवेदन बार-बार ठुकराया जाता है।
अधिकतर मामलों में एक साल या इससे ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए बाजार नियामक सेबी डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म पर डीमैट और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स का विवरण उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य निवेश से जुड़ी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना तथा लावारिस निवेश संपत्तियों की संख्या कम करना है। इसके तहत डिजिलॉकर का उपयोग करके निवेशकों की पहचान प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
इससे लावारिस संपत्तियों तथा निष्क्रिय निवेशों को ट्रैक करना और उनका प्रबंधन करना आसान हो जाएगा। सेबी ने अपने इस प्रस्ताव पर सभी संबंधित पक्षों से 31 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं, ताकि इस कवायद को और प्रभावी बनाया जा सके। सेबी ने अपने पत्र में कहा है कि डिजिलॉकर पर डीमैट और म्यूचुअल फंड होल्डिंग के विवरण उपलब्ध होने चाहिए। केवाईसी पंजीकरण करने वाली एजेंसियों को निवेशक की मृत्यु की जानकारी भी डिजिलॉकर के साथ साझा करनी चाहिए।
इन समस्याओं के समाधान पर सेबी ने की पहल
- लगातार बढ़ते अनक्लेम्ड एसेट्स को घटाने के लिए सेबी लेने जा रही है डिजिलॉकर का सहारा।
- डिजिलॉकर से आसान हो जाएगा एसेट का ट्रांसफर और घट जाएगी अनक्लेम्ड एसेट्स की संख्या।
- केवाईसी, आरटीए (रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट) देंगे डिजिलॉकर को निवेशक की मृत्यु की जानकारी।
- एक ही एप पर नॉमिनेशन किए जाने से काफी आसान हो जाएगा एसेट्स का ट्रांसफर करना।
कुछ चुनौतियों के बावजूद निवेशकों के लिए बड़ी सुविधा
आर्थिक सलाहकार राजीव सिंह के अनुसार डिजिलॉकर आधार, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे तमाम आवश्यक दस्तावेज डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने का माध्यम प्रदान करता है। डीमैट और म्यूचुअल फंड की जानकारी जोड़ने से निवेशक अपनी होल्डिंग्स का विवरण एक ही प्लेटफॉर्म पर देख सकेंगे। डिजिलॉकर में डीमैट और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स की जानकारी को सीधे डिपॉजिटरी और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों से जोड़ा जाएगा। निवेशक अपने डिजिलॉकर अकाउंट को अपने डीमैट अकाउंट और म्यूचुअल फंड निवेश से लिंक कर सकेंगे।
केवाईसी, आरटीए (रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट) डिजिलॉकर को निवेशक की मृत्यु की जानकारी देंगे। इस तरह एक ही एप पर नॉमिनेशन से एसेट्स का ट्रांसफर आसान हो जाएगा। हालांकि इसके कार्यान्वयन में डिजिटल साक्षरता की कमी और ग्रामीण इलाकों में डिजिलॉकर का उपयोग कम होने जैसी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर डिजिटल डेटा प्रबंधन के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय की भी जरूरत होगी।
