भारत की आत्मा है हिन्दी भाषा, इस पर गर्व करना चाहिए: इटावा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा पीढ़ियों को होगा हिन्दी पर गर्व...

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Published By Nitesh Mishra
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इटावा, अमृत विचार। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भाषा हर देश की पहचान होती है, हिंदी भाषा भारत की आत्मा है, भारत की पहचान है। दुनिया के अंदर हम जब शासन पद्धतियों को देखते हैं व्यवस्थाओं को देखते हैं तों हमें जोड़ने में और एकता बनाये रखने में हिन्दी नजर आती है, आज हमारी यही सबसे बड़ी ताकत है। वह रविवार को इस्लामिया इंटर कॉलेज में इटावा हिन्दी सेवा निधि के सारस्वत सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि 75 वर्ष की लोकतंत्र की यात्रा में ज़ब से संविधान निर्माण हुआ था देश के अलग-अलग राज्यों से भाषा अलग-अलग बोली और विचार व्यक्त करने वाले संविधान निर्माण करने वाले महान लोगों ने विचार किया हिन्दी ही संपूर्ण देश के अंदर सबको जोड़ने व एकता को बनाये रखने का काम करेगी, यह विविधताओं में एकता को प्रदर्शित करेगी इसीलिए इसको भारत की आत्मा मानते हैं। हमारे आने वाली पीढ़ी भी हिन्दी पर गर्व करें। 

गौरवान्वित महसूस करें जो भारतीय भाषायें है नहीं तो आने वाली पीढ़ी भी हमारी गुलाम मानसिकता वाली भाषाओं पर ही गौरव करेगी। यह हम सबके लिए चिंता का विषय है हमारे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देंगे हिंदी भाषा पर गर्व करना चाहिए। ज़ब हम दुनिया के देशों में जाते हैं जब हमारी द्विपक्षीय वार्ता होती है तों अधिकतम देश में देखा है कि उस देश के लोग अपनी भाषा के अंदर बात करते हैं उनको अंग्रेजी आती है लेकिन चर्चा अपनी भाषा में करते हैं। 

इटावा समाचार 1

हमारे प्रधानमंत्री भी हिन्दी में संवाद करते हैं अपनी बात को कहते हैं। द्विपक्षीय वार्ता भी अपनी भाषा में करते हैं। आज भारतीय भाषा का दायरा बढ़ा है पूरे देश और दुनिया में लोग हिन्दी को धीरे-धीरे पढ़ने सीखने के लिए काम कर रहे हैं। आज से 10 साल पहले संसद में क्या होता था। संविधान में 22 भाषाएं हैं सब अपनी-अपनी भाषाओं में बोलना चाहते है, लेकिन हमारी भारतीय भाषाओं में चर्चा हो सबको अपनी भाषा में गर्व अभिमान हो हमें यहीं प्रयास करना है। 

भाषा के माध्यम से अपनी संस्कृति, अपने आध्यात्मिक व धर्म को दुनिया तक पहुंचाने में भारत की धरती कामयाब रही। आध्यात्मिकता, भारतीय भाषा, भारतीय संस्कृति पर अधिकतम देश के लोग आध्यत्मिक शांति के लिए इस देश से जुड़ रहे है। यह हमारी ताकत है। न्याय क्षेत्र में भी अब सुप्रीम कोर्ट के अंदर हिन्दी में निर्णय लिखे जा रहे है, अधिकतम भाषाओं में जजमेंट का रूपांतरण हुआ है। 

संसद में भी हम 22 भाषाओं के अंदर जो आठवीं अनुसूची की भाषा है हम पत्राचार भी कर रहे हैं जो अपनी भाषा में बोलना चाहता है उसको बोलने का अवसर दें रहे है। लेकिन इन सब के बाद भी हिंदी भारत की आत्मा है।

आजादी के जन आंदोलन में भाषा का बहुत बड़ा योगदान था, इस देश को आगे बढ़ाने में मूल संस्कृति को संरक्षित करने में भी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। उन सभी लोगों के योगदान के प्रति में कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और मुझे आशा है कारवां जुड़ता जाएगा और देश एक दिन अपनी भाषा पर गर्व करेगा यह संकल्प हम सब का है।

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