लखीमपुर खीरी: निर्माणाधीन अस्पताल में मादक पदार्थ बरामदगी की जांच एएनटीएफ को ट्रांसफर

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। महेवागंज उल्ल नदी पुल के पास निर्माणाधीन अस्पताल में पकड़े गए दस करोड़ के मादक पदार्थ मेफो ड्रान ड्रग्स मामले की जांच अब कोतवाली सदर पुलिस नहीं करेगी। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) के आईजी ने प्रकरण की जांच बाराबंकी की एएनटीएफ यूनिट के प्रभारी निरीक्षक को सौंपी है।

एएनटीएफ और सदर कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम ने शनिवार को महेवागंज उल्ल नदी पुल के किनारे निर्माणाधीन रॉयल केयर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर छापा मारा था। इस दौरान टीम ने थाना फूलबेहड़ के गांव अग्गर खुर्द निवासी राकेश विश्वकर्मा और धौरहरा कोतवाली के गांव सुजानपुर निवासी विक्रम सिंह को गिरफ्तार किया था। टीम ने विक्रम के पास से दस करोड़ रुपये की कीमत का एक किलोग्राम मेफोड्रान ड्रग्स बरामद किया था। सदर कोतवाली पुलिस ने एएनटीएफ की लखनऊ यूनिट के निरीक्षक दर्शन यादव ने अस्पताल संचालक खालिद खां समेत तीनों आरोपियों के खिलाफ सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। प्रकरण की विवेचना कोतवाली सदर के अपराध निरीक्षक हरिप्रकाश को सौंपी गई थी। उन्होंने इसकी जांच भी शुरू कर दी थी, लेकिन अब कोतवाली सदर पुलिस इस प्रकरण की जांच नहीं कर सकेगी। रविवार की शाम एएनटीएफ के आईजी ने मामले की विवेचना लखीमपुर सदर कोतवाली से हटाकर एएनटीएफ यूनिट बाराबंकी के निरीक्षक को दी है।

अस्पताल संचालक को लेकर सवालों में घिरी है सदर कोतवाली पुलिस
दस करोड़ रुपये की कीमत के ड्रग्स बरामदगी के मामले में सदर कोतवाली पुलिस शुरुआती दौर से ही सवालों के घेरे में आ गई थी। उस पर अस्पताल संचालक खालिद खां को परोक्ष व अपरोक्ष तरीके से लाभ पहुंचाने के आरोप लगने लगे थे। इसकी वजह यह थी कि पुलिस ने मौके पर मौजूद होने के बाद भी पुलिस ने अस्पताल संचालक खालिद खां को गिरफ्तार नहीं किया। एफआईआर में उसे नामजद कर वांछित दिखाया है। इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे थे।

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