बरेली: महाकुंभ भगदड़ की आंखों देखी श्यामा देवी ने की बयां...भगवान बनकर आया फौजी
बरेली, अमृत विचार। महाकुंभ में 28/29 जनवरी की रात मची भगदड़ में गुम हुईं सुभाषनगर की श्यामा देवी शुक्रवार को घर लौट आईं। दो दिन से तमाम आशंकाओं में घिरे परिवार वालों ने उन्हें सकुशल सामने खड़ा देखा तो आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। खुद श्यामा देवी भी परिजनों से ऐसे मिलीं, जैसे मौत के पंजे से छूटकर दोबारा जन्म लिया हो। महाकुंभ में भगदड़ का हाल सुनाते हुए उनकी आवाज कांपती रहीं। बोलीं, भगदड़ में वह भी गिरी थीं, उनकी एक आंख और हाथ की उंगली में चोट लगी। सामने मौत खड़ी दिख रही थी, तभी भगवान बनकर आए एक फौजी ने एक तरफ खींचकर बचा लिया।
करीब 58 वर्षीय श्यामादेवी 26 जनवरी को ट्रेन से अकेले महाकुंभ के लिए रवाना हुई थीं। 28/29 जनवरी की रात वहां भगदड़ मचने के बाद वह गुम हो गई थीं। उनका फोन भी स्विच ऑफ हो गया था। बृहस्पतिवार को उनके पति वीरेंद्र पाल सिंह ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम से उनका पता लगाने की फरियाद की थी। दो दिन से उनसे कोई संपर्क न हो पाने की वजह से परिवार आशंकाओं से घिरा हुआ था कि शुक्रवार सुबह श्यामा देवी ने वीरेंद्र पाल को फोन कर बताया कि वह ठीकठाक हैं और अयोध्या पहुंच गई हैं। दोपहर बाद तक बरेली पहुंच जाएंगी। शाम को घर पहुंचने के बाद उन्होंने अमृत विचार से भी महाकुंभ में अपनी आंखों से देखा भगदड़ का भयावह मंजर साझा किया।
बैरिकेडिंग के साथ गंगा में समा गए तमाम लोग
श्यामादेवी ने बताया कि 28 अक्टूबर की रात महाकुंभ में भगदड़ शुरू हुई तो वह रास्ते में थीं। धक्का लगने से गिरीं और कुछ लोग उनके ऊपर से गुजर गए। आंख के साथ बाएं हाथ की एक उंगली चोटिल हो गई। आसपास बहुत भीड़ थी। उस भीड़ में जो गिरा, वह उठ नहीं पाया। कैप्सूल वाले पुल पर करंट आ गया जिसकी चपेट में 20-30 लोग आ गए। सुरक्षा के लिए गंगा जी के पास बैरिकेडिंग लगाई गई थी, लोग उस पर चढ़ने लगे थे। इससे बैरिकेडिंग ढह गई और कई लोग गंगा जी में समा गए। बोलीं, शायद ही कोई पार पाया हो।
हर तरफ मची थी भीषण चीखपुकार
श्यामा देवी ने बताया कि भगदड़ के दौरान भीषण चीखपुकार मची हुई थी। सब लोग चीख रहे थे। जो बलशाली थे, वही बच पाए। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि काबू में नहीं आ रही थी। जब वह गिरी तो होश में थीं, उनके गिरते ही एक फौजी ने दौड़कर उन्हें एक तरफ खींचकर बचा लिया। भगदड़ से बचाकर किसी तरह उनका सामान उठाया और एक तरफ ले जाकर बैठा दिया। भगदड़ खत्म होने तक वह उसी जगह ऐसे सुरक्षित बैठी रहीं जैसे भगवान ने उन्हें बचाने के लिए वह जगह बना दी हो। उस समय घबराहट ज्यादा थी इसलिए फोन नहीं कर पाईं। इतनी भी सुध नहीं रही कि किसी और से फोन मांगकर बात कर लेतीं। भगदड़ में बचाए गए लोगों को गंगा जी के किनारे बने पंडाल में रख दिया गया था। वह भी वहीं रहीं।
पुलिस वाले ने स्टेशन पहुंचाया
श्यामा देवी ने बताया कि इधर से वह प्रयागराज पहुंची तो कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। लौटते समय उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी। उनका हाल देखकर एक पुलिस वाले ने उनकी मदद की और भीड़ से बचाते हुए स्टेशन पहुंचाया। वहां अयोध्या जाने वाली ट्रेन में बैठाकर कहा कि अयोध्या से बरेली की ट्रेन पकड़ लेने को कहा। शुक्रवार दोपहर तीन बजे श्यामा देवी बरेली में अपने घर पहुंची तो उनकी नातिन उनसे चिपककर फूट-फूटकर रोई।
ये भी पढ़ें - बरेली: ऐसे अपने पैरों पर खड़े हुए अभिषेक, अब करते हैं हौसले की होम डिलीवरी
