Bareilly: नगर निगम हारा केस, बिल्डर ने खरीद ली डेलापीर तालाब की भूमि
रामभरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट और नगर निगम के बीच वर्ष 2021 से हाईकोर्ट में विचाराधीन था केस

राकेश शर्मा, बरेली। उच्च न्यायालय से नगर निगम के केस हारने के बाद रामभरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट ने डेलापीर तालाब की 3924.85 वर्ग मीटर की भूमि बिल्डर के हाथ बेच दी। इस भूमि को लेकर पिछले डेढ़ दशक से संघर्ष चल रहा था। तालाब की बेशकीमती भूमि बिकने के बाद भी नगर निगम के अफसरों को भनक नहीं है।
करीब 12 साल पहले भी भूमि का बैनामा कराने की कोशिश हुई थी लेकिन विरोध की वजह से बैनामा नहीं हो पाया था, लेकिन नगर निगम ने उच्च न्यायालय में मजबूत पैरवी नहीं की और तालाब की भूमि हाथ से निकल गई।
दरअसल, न्यायालय अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने 11 जनवरी, 2021 को रामभरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा सचिव बनाम नगर निगम बरेली के केस में अहम फैसला सुनाया था। आदेश में साफ लिखा था कि उच्च न्यायालय एवं विधिक व्यवस्थाओं एवं शासनादेशों से यह स्पष्ट है कि पोखरों, तालाब आदि पर किसी भी व्यक्ति का कोई स्वरूप और अधिकारी किसी भी प्राविधान से प्राप्त नहीं होते हैं और उक्त संबंधित संपत्तियों की मूल प्रकृति या नवैयत बदलने या उसके स्वरूप में कोई परिवर्तन करने और उसकी उपयोगिता को परिवर्तित करने का अधिकारी ग्रामसभा, स्थानीय निकाय राजस्व अधिकारी को प्राप्त नहीं है।
शासनादेशों के अवलोकन से यह भी स्पष्ट है कि ऐसी संपत्तियों के अवैध अध्यासन, निर्माण व हस्तांतरण काे रोककर पर्यावरण को सुदृढ़ एवं सुरक्षित रखा जाए। न्यायहित में प्रश्नगत संपत्ति 143 डी, गाटा संख्या 133 ग्राम बिहारमान नगला परगना एवं तहसील बरेली का भाग होने के कारण तालाब की सुरक्षित भूमि राज्य सरकार की संपत्ति है। प्रश्नगत संपत्ति पर स्वामित्व व संरक्षण राज्य सरकार का होने के कारण प्रस्तावित विक्रय पत्र का निष्पादन एवं पंजीयन कराने की अनुमति दिया जाना विधि सम्मत नहीं है, इसलिए प्रत्यावेदन 19 अगस्त, 2018 को निरस्त किया जाता है।
तत्कालीन एडीएम एफआर मनोज कुमार पांडेय ने यह सुनवाई उच्च न्यायालय इलाहाबाद के रिट याचिका संख्या 65626/2012 जानकी देवी जूनियर हाई स्कूल बनाम नगर निगम बरेली आदि में पारित आदेश 25 जुलाई 2018 के साथ प्रतिवादी राम भरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट आदि के प्रस्तुत प्रार्थनापत्र 13 अगस्त, 2018 पर शुरू की थी।
आदेश में लिखा है कि उच्च न्यायालय की ओर से इस न्यायालय के विविध प्रार्थना पत्र वाद संख्या 26/2012 नगर निगम बनाम राम भरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट में पारित आदेश 5 नवंबर, 2012 को निरस्त कर पक्षकारों को पुन: साक्ष्य एवं एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए गुण-दोष के आधार पर आदेश पारित किए जाने के लिए निर्देशित किया था।
प्रतिवादी राम भरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट ने अपने प्रार्थना पत्र 13 अगस्त, 2018 में कहा था कि उनकी संपत्ति प्लाट संख्या 143 डी को नगर निगम ने तालाब भूमि गाटा संख्या 133 बताते हुए प्रार्थी को उसकी भूमि पर निर्माण कार्य करने से रोका गया है। नगर निगम भूमि प्लाट संख्या 143 डी को तालाब भूमि गाटा संख्या 133 स्थित ग्राम बिहारमान नगला बताया है।
इधर, एडीएफ एफआर कोर्ट से प्रत्यावेदन निरस्त होने के बाद राम भरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट उच्च न्यायालय में फिर अपील में चला गया। उसके बाद से उच्च न्यायालय ने मामले में सुनवाई शुरू हुई। वहीं, पिछले साल 6 मार्च, 2024 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुरेंद्र सिंह और एसडी सिंह ने प्रकरण में फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने राम भरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विक्रय पत्र काे अनावश्यक रूप से 12 साल तक रोकने की बात कहते हुए नगर निगम पर करीब 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट से भी मिला झटका
उच्च न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की लेकिन पहली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई, 2024 को स्पेशल लीव पिटीशन को निरस्त कर दिया। इसके बाद नगर निगम ने भूमि को बचाने के लिए कोई पैरवी नहीं की और जमीन हाथ से निकल गयी।
3924.85 वर्ग मीटर भूमि का किया है बैनामा
इस साल राम भरोसे लाल धर्मार्थ ट्रस्ट की ओर से राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल और रुचिन अग्रवाल ने पक्ष में आए उच्च न्यायालय के आदेश काे नजीर बनाते हुए 20 जनवरी को मेसर्स आकाश इन्फ्राहाइट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम बैनामा करा दिया। इस बैनामे में खसरा नंबर 132 खाता नंबर 12 में से प्लाट नंबर 143 डी, क्षेत्रफल 3924.85 वर्ग मीटर भूमि 1 करोड़ 17 लाख 35 हजार में बेची है। बाजारी मूल्य 12 करोड़ 54 लाख 37 हजार रुपये है।
डेलापीर तालाब की किस भूमि का और कैसे बैनामा हो गया, इसको दिखवाएंगे। उच्च न्यायालय से केस हारने की भी जानकारी करेंगे। राजस्व अभिलेखों में दिखवाएंगे कि कैसे यह भूमि ट्रस्ट के पास पहुंची थी- संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त।
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