रामपुर: विश्व धरोहर के रूप में चमकेगी रजा लाइब्रेरी, होगी कवायद

रामपुर: विश्व धरोहर के रूप में चमकेगी रजा लाइब्रेरी, होगी कवायद

रामपुर, अमृत विचार : रजा लाइब्रेरी विश्व धरोहर के रूप में चमकेगी। किला स्थित राज्य सरकार की इमारतें रजा लाइब्रेरी को मिलेंगी इससे पहले आईटी रुड़की टीम इमारतों का सर्वे करेगी। रजा लाइब्रेरी को विश्व स्तर पर चमकाने के लिए बोर्ड की बैठक में खाका खींचा जा चुका है और रिपोर्ट संस्कृति मंत्रालय को भेज दी गई है। रजा लाइब्रेरी में 26 नई भर्तियां भी होंगी। 18 पद नए सृजित किए गए हैं। लाइब्रेरी के निदेशक ने महेंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिन्द्रा के साथ ही लंदन के इतिहासकार को भी रामपुर आने का न्यौता दिया है।

रंग महल में शनिवार की दोपहर लाइब्रेरी के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र ने पत्रकार वार्ता में रजा लाइब्रेरी की कार्य योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 1949 में रामपुर रियासत का विलय भारत संघ के साथ हो गया और वर्ष 1957 में एक ट्रस्ट बना जो रामपुर रजा लाइब्रेरी के नाम से था और हामिद मंजिल में पुस्तकालय लाया गया। वर्ष 1975 में एक पार्लियामेन्ट एक्ट के अंतर्गत एक बोर्ड का गठन किया गया। 

रामपुर रजा लाइब्रेरी का 12 सदस्यों का बोर्ड है, यह बोर्ड लाइब्रेरी का शासन प्रशासन देखता है और यह पूर्णतः भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है यह एक स्वायत्त राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। उन्होंने बताया कि रामपुर किले की सम्पूर्ण जमीन राज्य सरकार से स्थानान्तरित होकर रामपुर रजा पुस्तकालय को मिलने वाली है। यहां एक विश्वस्तरीय स्तर का संस्थान विकसित होगा 

15 अक्टूबर 2024 को  राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसके विस्तार पर चर्चा हुई। बैठक में रामपुर रजा लाइब्रेरी को विश्व स्तरीय बहुभाषायी अनुसंधान संस्थान के रूप में, विश्व स्तरीय बहुभाषायी अनुवाद केंद्र के रूप में, विश्व स्तरीय पाण्डुलिपि संरक्षण एवं अध्ययन केंद्र, विश्व स्तरीय सांस्कृतिक केंद्र, विद्वानों को आवासीय सुविधाएं उपलब्ध कराना, हामिद मंजिल को संग्रहालय के रूप में विकसित करना, पुस्तकालय में आधुनिक वाचनालय की स्थापना आदि की तैयारी है। इस बैठक का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है अब बैठक में हुए फैसलों को शीघ्र मूर्त रूप दिया जाएगा।

मंगोलिया में लगी रजा लाइब्रेरी की पांडुलिपियों की प्रदर्शनी
लाइब्रेरी के निदेशक ने बताया कि शुक्रवार को  मंगोलिया में लाइब्रेरी में संगृहित दुर्लभ पाण्डुलिपि जामे उत तवारीख के दुर्लभ लघु चित्रों की प्रदर्शनी को चंगेज खान राष्ट्रीय संग्रहालय, ऊलान बतार, मंगोलिया में भारत के दूतवास के सहयोग से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबन्धों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर प्रदर्शनी लगाई  गई  है। रजा लाइब्रेरी द्वारा मंगोलिया से लेकर मोरक्को सहित विभिन्न देशों सऊदी अरब, कतर, ब्रुनेई दारूस्सलाम, मलेशिया, मॉरीशस आदि में इस पुस्तकालय की दुर्लभ कलाकृतियों की विशेष प्रदर्शनी प्रदर्शित की जा रही है। 

रजा लाइब्रेरी के बारे में लंदन के एक ब्लॉगर लेखक इतिहासकार सैम डेलरिम्पल जो कुछ साल पहले भारत में थे और उन्होने रामपुर की यात्रा की थी। उन्होने अपने ब्लॉग में उल्लेख किया और रामपुर रजा लाइब्रेरी की तस्वीर साझा करते हुए पोस्ट किया है  कि रजा लाइब्रेरी विश्व की सबसे सुन्दर लाइब्रेरी है। इनकी पोस्ट पढ़कर महिन्द्र एंड महिन्द्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिन्द्रा भी इस पर मोहित हो उठे। उन्होने उस पोस्ट को शेयर करते हुए यह लिखा कि इतनी भव्य लाइब्रेरी के अस्तित्व की जानकारी न होने पर वह दुःखी हैं और वह रजा लाइब्रेरी को देखना चाहते हैं।

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