डॉक्टरों ने फेफड़े और सांस की बीमारी में नेबुलाइजर को बताया कारगर, बोले- दवा सीधे संबंधित अंग में पहुंचती, जल्द मिलती राहत
कानपुर, अमृत विचार। नेबुलाइजेशन एक प्रभावी श्वसन चिकित्सा है, लेकिन जानकारी के अभाव में इसके दुरुपयोग के कारण इसकी प्रभावशीलता कम हो सकती है और जोखिम बढ़ सकते हैं। अस्थमा के अलावा अब यह कई अन्य पुरानी फेफड़ों की बीमारियों और आईसीयू, में गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है। नेबुलाइजेशन से प्रभावित अंग को सीधे राहत पहुंचती है, जबकि दवा से जरूरी प्रक्रिया के बाद आराम मिलता है। यह जानकारी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके कटियार ने दी।
परेड स्थित आईएमए सभागार में शनिवार को फेफड़ों की देखभाल में नई दिशा, नवाचार और अंतर्दृष्टि विज्ञान व चिकित्सा के बीच सेतु विषय पर गोष्ठी हुई। डॉ. एसके कटियार ने बताया कि नेबुलाइजर उपकरणों की उचित देखभाल काफी जरूरी है। घर में इस्तेमाल किए जाने वाले 60-70 फीसदी नेबुलाइजर बैक्टीरिया और फंगस से दूषित पाए जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने, जिम्मेदारी से उपयोग और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के पालन पर बल दिया।
आईएमए अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने बताया कि सांस संबंधित समस्या होने पर या शरीर में सूजन आने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे में तत्काल डॉक्टर से परामर्श जरूर कराना चाहिए। सब चैप्टर के सचिव डॉ. गौतम दत्ता ने बताया कि टीबी का संक्रमण शरीर में श्वांस नली के माध्यम से प्रवेश करता है और फेफड़े में पहुंचता है। इसके बाद यह संक्रमण शरीर की हड्डी में भी टीबी की समस्या उत्पन्न कर सकता है, ऐसे में बचाव जरूरी है। डॉ. एसी अग्रवाल ने बताया कि टीबी नियंत्रण के लिए निरंतर नवाचार व बेहतर उपचार रणनीतियों की आवश्यकता है।
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप कटियार ने प्लूरल इफ्यूजन के निदान और प्रबंधन की जटिलताओं पर चर्चा की। सचिव डॉ. विकास मिश्रा, डॉ. एसी अग्रवाल, डॉ. एके श्रीवास्तव, डॉ. सुधीर चौधरी, डॉ अर्जुन भटनागर, डॉ. चमन प्रीत गांधी, डॉ. राज तिलक, डॉ. एमजे गुप्ता, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. राजीव कक्कड़, डॉ. इंद्रजीत सिंह आहूजा, डॉ. अरुण प्रकाश द्विवेदी, डॉ. एसके अवस्थी, डॉ. श्याम सुंदर, डॉ. सुधीर चौधरी, डॉ. अरुण अग्रवाल, डॉ. आरके माथुर, डॉ. लक्ष्मी, डॉ. अर्जुन भटनागर, डॉ. संतोष सिंह, डॉ. एसएन. बाजपेई आदि रहे।
