रबड़ फैक्ट्री: कहां गए 220 कर्मचारी? भुगतान का वक्त आया तो हो गए लापता
बरेली, अमृत विचार: करीब 25 साल से बंद पड़ी रबड़ फैक्ट्री के कर्मचारियों का भुगतान निर्धारण करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो करीब सवा दो सौ दावेदार कम हो गए। कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए लड़ाई लड़ रही एसएंडसी यूनियन की तमाम कोशिशों के बाद भी इन कर्मचारियों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसी महीने यूनियन को बॉम्बे हाईकोर्ट में बाकी कर्मचारियों के दस्तावेज जमा करने हैं लिहाजा माना जा रहा है कि अगर इन कर्मचारियों से जल्द संपर्क न हुआ तो उनका भुगतान फंस जाएगा।
रबड़ फैक्ट्री के सन् 1999 में बंद होने के बाद 1432 कर्मचारियों का करोड़ों का भुगतान फंस हुआ है। मुंबई की अलकेमिस्ट कंपनी के बॉम्बे हाईकोर्ट में फैक्ट्री की करीब 14 सौ एकड़ जमीन पर दावे से यह मामला लटका हुआ है। कर्मचारियों की एसएंडसी यूनियन कई साल से बकाया के भुगतान के लिए संघर्ष कर रही है। पिछले महीने हाईकोर्ट ने 540 कर्मचारियों के दस्तावेज ओके कर दिए थे, इसके साथ 320 कर्मचारियों की सूची भेजकर उनके दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
इसके बाद एसएंडसी यूनियन ने इन कर्मचारियों से संपर्क करने की कोशिश की तो तमाम से संपर्क ही नहीं हो पाया। यूनियन महासचिव अशोक मिश्रा के मुताबिक काफी प्रयास के बाद अभी 60 कर्मचारियों ने ही दस्तावेज दिए हैं। कुछ और कर्मचारियों ने जल्द दस्तावेज जमा करने की बात कही है, लेकिन 220 कर्मचारियों का कुछ पता नहीं लग पा रहा है। उन्होंने बताया कि 15 फरवरी तक जिन कर्मचारियों के दस्तावेज उपलब्ध हो जाएंगे, उन्हें हाईकोर्ट में जमा कर दिया जाएगा।
कुछ विदेश चले गए, कुछ दूसरी नौकरियों में लग गए
बताया जा रहा है कि तमाम कर्मचारियों से इसलिए भी संपर्क नहीं हो पा रहा है क्योंकि वे रोजगार की तलाश में दूसरे देशों में चले गए। कुछ कर्मचारियों को देश में ही सरकारी नौकरियां मिल गईं। चूंकि रबड़ फैक्ट्री के बकाया का भुगतान के लिए शर्त लागू की गई है कि कर्मचारी किसी सरकारी सेवा में न हो। इसके लिए सभी कर्मचारियों को शपथपत्र भी देना है। माना जा रहा है कि इस वजह से भी कई कर्मचारी बकाया भुगतान के लिए दावा करने आगे नहीं आ रहे हैं।
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