Tiger in Rehmankheda : ग्रामीण सुन रहे बाघ की दहाड़, 60 गांवों में दहशत बरकरार

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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70 दिन से ज्यादा बीते बाघ को रहमान खेड़ा जंगल में, पकड़ने की सभी कोशिशें नाकाम

Malihabad/Lucknow, Amrit Vichar:  रहमानखेड़ा जंगल से सटे करीब 60 गांवों में बाघ की दहशत के चलते लोग घरों में छिपकर बैठने को मजबूर हो चुके है। बाघ को सुरक्षित पकड़ने में जुटी वन विभाग की पांच टीमें अब तक उसके ठिकाने को ट्रेस नहीं कर पाई है। मंगलवार सुबह रहमान खेड़ा जोन –एक में वन विभाग को बाघ के पगचिन्ह मिले हैं। देर रात ग्रामीणों ने फिर से बाघ की दहाड़ सुनी, जिसके बाद टीम ने जंगल में कॉम्बिंग तेज कर दी है। वनविभाग ने रहमानखेड़ा के जंगल में बाघ के मिले पगचिन्ह वाले स्थान पर निरीक्षण किया।

बाघ रेस्क्यू आपॅरेशन

डीएफओ लखनऊ सितांशु पांडे ने बताया कि बाघ की चहलकदमी अब 10 किलोमीटर की दायरे तक बढ़ गई। मंगलवार को रहमानखेड़ा संस्थान के जोन-एक में ट्रैकिंग कार्य के दौरान वन विभाग को बाघ के नए पगचिन्ह मिले हैं। जिसके बाद वन विभाग ने ट्रैपिंग केज की लोकेशन में बदलाव कर उसे अमरूद बाग में लगाया गया है। डॉक्टर्स एवं टीम द्वारा बाघ, वन्य जीव की निगरानी मचान के माध्यम से लगातार की जा रही है। उसे सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस के जरिए नमूने लिए जा रहे हैं। आसपास ड्रोन से निगरानी की जा रही है। वहीं, ग्रामीण लगातार वनविभाग पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं।

बाघ रहमानखेड़ा

तीनों जोन में की गई घेराबंदी

डीएफओ का कहना है कि बाघ को रेस्क्यू करने के लिए वनविभाग ने कई तरह की रणनीतियां अपनाई हैं। जिसके तहत टीम ने बेहता नाला की तरफ कॉम्बिंग अभियान चलाया और तीनों जोन में घेराबंदी की कोशिश की, लेकिन बाघ का पता नहीं चल सका। वन विभाग ने संस्थान परिसर में पिंजरे लगाए हैं और बाघ को आकर्षित करने के लिए खाबड़ (चारा) भी रखा है, परंतु बाघ इन प्रयासों से दूरी बनाए हुए है।

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