अफवाहें बेनकाब, मौनी अमावस्या पर गुम हुए 8,725 लोग अपनों से मिले
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत सपा प्रमुख ने लगाए थे आरोप
लखनऊ, अमृत विचार। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से ठीक पहले महाकुंभ में हुए हादसे को लेकर फैली तमाम अफवाहें धीरे-धीरे दम तोड़ती नजर आ रही हैं। सरकार ने 30 की मौत और 60 लोगों के घायल होकर भर्ती होने की पुष्टि की थी, लेकिन अफवाहें इतनी तेज फैलती गईं कि संसद के दोनों सदनों में जिम्मेदार शीर्ष नेता भी हजारों लोगों के मरने का आरोप लगाने नजर आए। शनिवार को सरकार ने साफ कर दिया कि जिन 8725 लोगों के गुम होने को लेकर अफवाहें गढ़ीं गई, वे सभी अब अपनों से मिल चुके हैं।
दरअसल, 28 जनवरी की रात महाकुंभ में संगम किनारे कुछ लोग मौनी अमावस्या के शुभ मुहूर्त में अमृत स्नान का इंतजार करने के लिए रेती पर आराम कर रहे थे, उसी दौरान बैरियर तोड़कर काफी लोग घाट की ओर दौड़ पड़े और सोए लोग उनके पांवों के रौंदे जाने लगे। इसी तरह कुछ अन्य स्थानों पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से भगदड़ के हालात हुए। सरकार ने तेजी से राहत और बचाव कार्य किए, लेकिन मामला संवेदनशील होने से सरकार को घटना में मृतकों और घायलों की सही तस्वीर की पड़ताल करके बताने में देर हुई।
इसी बात को लेकर कांग्रेस और सपा ने हल्लाबोल दिया। राज्यसभा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने 29 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हजारों लोग मारे गए। उनके इस बयान का सत्ता पक्ष की ओर विरोध किया गया और सभापति जगदीप धनखड़ ने खरगे से बयान वापस लेने को कहा। इसके बाद समूचा विपक्ष लापता लोगों की सोशल मीडिया पर चल रही जानकारी को मौतों से जोड़ने की होड़ लगी दी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव लोकसभा के अंदर और बाहर मुख्यमंत्री योगी के इस्तीफे मांगने के साथ प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधते रहे। सोशल मीडिया पर बकायदे इसकी मुहिम चलने लगी।
मगर, अब सरकार ने साफ किया है कि अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दौरान जुटी 8 करोड़ की भीड़ में से 28, 29 और 30 जनवरी को डिजिटल खोया-पाया केंद्रों पर 8725 लोगों के गुम होने की जानकारी दर्ज हुई थी। जिन्हें अत्याधुनिक एआई आधारित चेहरा पहचान प्रणाली, मशीन लर्निंग और बहुभाषीय समर्थन जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं के जरिए खोज निकाला गया है। इसमें पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की अहम भूमिका रही। यूनिसेफ सहित कई गैर-सरकारी संगठनों ने भी इसमें सक्रिय योगदान दिया। सभी लोगों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है।
अबतक गुम हुए 20,144 लोगों को परिवार से मिलाने में सफलता
144 साल बाद पुण्य संयोग में आयोजित हो रहे इस बार के महाकुंभ के विराट मेले में अपनों से बिछड़े हुए कुल 20,144 लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में राज्य सरकार को सफलता मिली है। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की रही। यही नहीं पुलिस द्वारा देश के विभिन्न राज्यों और नेपाल से आए श्रद्धालुओं का उनके परिवारों से सफलतापूर्वक पुनर्मिलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई। इसमें मौनी अमावस्या के अलावा मकर संक्रांति पर्व (13, 14 और 15 जनवरी) को खोए हुए 598 श्रद्धालु और बसंत पंचमी (2, 3 और 4 फरवरी) को 813 श्रद्धालुओं को डिजिटल खोया-पाया केंद्र की मदद से उनके परिवारों से मिलवाया गया। अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में खोए हुए 10 हजार से अधिक लोगों का भी उनके परिवारों के साथ पुनर्मिलन कराया गया।
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