UP Assembly Budget Session: सदन में भाषा पर तकरार, बोले सीएम योगी- ये उर्दू की वकालत करते हैं और भोजपुरी, अवधी का विरोध

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ। यूपी विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार को शुरू हुआ और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी समाजवादी पार्टी के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में विपक्ष के सदस्यों ने ‘राज्यपाल वापस जाओ’ के नारे लगाए। उनके हंगामे के चलते राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने करीब आठ मिनट में ही अभिभाषण समाप्त कर दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके पहले राज्यपाल को विधान भवन में प्रवेश करते ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

राज्यपाल को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधान परिषद के सभापति मानवेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना सदन में लेकर आए। राज्यपाल ने अभिभाषण शुरू किया और इसी बीच सपा के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ भी नारे लगाए। 

विपक्ष दल उर्दू की वकालत करते हैं.. मुख्यमंत्री योगी

विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "उत्तर प्रदेश की विभिन्न बोलियों भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी को इस सदन में सम्मान मिल रहा है और हमारी सरकार इन सभी के लिए अलग-अलग अकादमियां बनाने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ा रही है। यह सदन केवल शुद्ध साहित्यिक और व्याकरण के विद्वानों के लिए नहीं है। अगर कोई हिंदी में धाराप्रवाह नहीं बोल सकता है, तो उसे भोजपुरी, अवधी, ब्रज या बुंदेलखंडी में भी अपनी बात रखने का अधिकार मिलना चाहिए।

इसके साथ ही सीएम योगी ने कहा कि यह क्या बात हुई कि कोई भोजपुरी या अवधी न बोले और उर्दू की वकालत करे? यह बहुत विचित्र बात है। समाजवादियों का चरित्र इतना दोहरा हो गया है कि वे अपने बच्चों को अंग्रेजी पब्लिक स्कूल में भेजेंगे और दूसरों के बच्चों को गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने की सलाह देंगे जहां संसाधन भी नहीं हैं।"

विपक्ष के आचरण को केशव मौर्य ने बताया गैर-जिम्मेदाराना

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर कहा, "विपक्ष का आचरण गैर-जिम्मेदाराना है। राज्यपाल के अभिभाषण के माध्यम से प्रदेश में जो सरकार काम कर रही है उसकी जानकारी दी जाती है। समाजवादी पार्टी का आचरण सदा ऐसा ही रहा है कि वे महामहिम राज्यपाल का आदर करने के बजाय हल्लाबोल करते हैं... समाजवादी पार्टी ने यह दिखा दिया कि वे एक जिम्मेदार राजनीतिक दल कम और अराजकता फैलाने वाला दल ज्यादा है।"

सीएम योगी पहुंचे विधानसभा

विधानमंडल के बजट सत्र में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य़नाथ विधानसभा पहुंचे चुके हैं। इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि आज विधानमंडल की कार्यवाही प्रारंभ होने के साथ ही राज्यपाल द्वारा सदन को संबोधित किया जाएगा। इसके बाद कल से राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में चर्चा भी होगी। 20 फरवरी को सदन में उत्तर प्रदेश का वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश किया जाएगा। सत्र 18 फरवरी से 5 मार्च तक प्रस्तावित किया गया है।

इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि  उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसे बहुत कम अवसर आए हैं जब इतने लंबे समय तक सत्र आहूत किया गया हो। लेकिन सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संपन्न हो, यह केवल सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि विपक्ष की भी उतनी ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा स्वाभाविक रूप से हताश और निराश विपक्ष मुद्दों पर चर्चा करने से भागने की कोशिश करता है और इसमें बाधाएं खड़ी करने की कोशिश करता है सदन की कार्यवाही में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है। अगर विपक्ष सार्थक चर्चा को आगे बढ़ाने में मदद करता है, तो मेरा अनुमान है कि यह सत्र बहुत अच्छा हो सकता है।

बजट सत्र के चलते बढ़ाई गई विधानसभा परिसर की सुरक्षा 

बजट सत्र के चलते लखनऊ विधानसभा परिसर और आस-पास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। डीसीपी सेंट्रल लखनऊ रवीना त्यागी ने बताया, "विधानसभा परिसर के अंदर और बाहर त्रिस्तरीय सुरक्षा लगाई गई है। आस-पास के चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की अतिरिक्त तैनाती भी की गई है। CCTV कंट्रोल रूम बने हुए हैं जिनसे निगरानी की जा रही है।"

सपा विधायकों का प्रदर्शन शुरू

उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी के विधायकों ने विधानसभा परिसार में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास बैठकर सरकार की नीतियों और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 

यह अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा- ओ.पी. राजभर

मंत्री ओ.पी. राजभर ने आज से शुरू होने वाले यूपी विधानसभा के बजट सत्र पर कहा, "यह अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा। जिस तरह केंद्र सरकार ने अपना बजट प्रस्तुत किया, जो किसान, नौजवान, बेरोजगार समेत हर वर्ग के लिए खुशहाली का बजट था। इसी तरह प्रदेश का भी बजट खुशहाली का बजट होगा... प्रदेश विकास की राह में और तेजी से प्रगति करेगा।" उन्होंने आगे कहा, "विपक्ष का काम ही विरोध करना है और सरकार का काम है विकास का काम करना। तो वे (विपक्ष) विरोध करें हम तो अपना काम कर रहे हैं..."

सपा का नेगेटिव नैरेटिव पूरी तरह से फ्लॉप हो चुका है- ब्रजेश पाठक

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने आज से शुरू हो रहे विधानसभा बजट सत्र पर कहा, "आज विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। प्रदेश के चतुर्मुखी विकास के लिए हमारी सरकार ने संकल्प लिया है। विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। विधानमंडल दल के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि प्रदेश के विकास में सहायक बनें और विधानसभा सत्र में भाग लें।" उन्होंने आगे कहा, "समाजवादी पार्टी का नेगेटिव नैरेटिव पूरी तरह से फ्लॉप हो चुका है... प्रदेश के वातावरण को बेहतर से बेहतर बनाने, आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है... प्रदेश के बजट का आकार लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश जल्द ही एक विकसित राज्य की तरह स्थापित हो जाएगा।"

मुख्य विपक्षी दल के नेता पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे महाकुंभ में व्याप्त अनियमितिताओं और मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में धांधली को लेकर अपना विरोध सदन में दर्ज करायेंगे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और सपा के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में सपा के विधायक आज सुबह दस बजे विधानभवन में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के तले प्रदर्शन करेंगे। यह प्रदर्शन सरकार की नीतियों और किसान मजदूरों की समस्यायों के खिलाफ होगा। सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध करेगी क्योंकि वे सरकार की झूठी प्रशंसा करेंगी। 

क्षेत्रीय भाषाओं का भी होगा इस्तेमाल

इस बार बजट सत्र से पूर्व एक अनूठी पहल की गई। अब विधानसभा की कार्यवाही हिंदी के साथ-साथ अवधी, ब्रज, भोजपुरी, बुंदेली और अंग्रेजी भाषाओं में भी सुनी जा सकेगी। यह देश की किसी भी विधानसभा में अपनी तरह का पहला प्रयोग है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के आम नागरिकों, विशेषकर ग्रामीण अंचल के लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से और अधिक जोड़ना है।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश एक विशाल और विविधता से भरा राज्य है, जहां अलग-अलग क्षेत्रों की अपनी विशिष्ट बोलियां और भाषाएं हैं। ऐसे में यह आवश्यक था कि प्रदेश की विधानसभा अपनी जनता से अधिक से अधिक जुड़ाव स्थापित करे।

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