दलित नर्स के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी डॉक्टर को हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत 

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 वर्षीया दलित नर्स से दुष्कर्म करने के आरोपी डॉक्टर को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि 19 अगस्त 2024 से जेल में निरुद्ध आरोपी को जमानत पर रिहा करने के लिए वर्तमान मामले में कोई उचित आधार नहीं मिलता है, लेकिन जहां तक सह-आरोपियों का प्रश्न है, उन्हें मामले के तथ्यों, परिस्थितियों और अपराध की प्रकृति, साक्ष्यों, अपराध में संलिप्तता के आधार पर जमानत दी जा सकती है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की एकलपीठ ने सह-आरोपी नर्स मेहनाज और वार्ड बॉय जुनैद को सशर्त जमानत देते हुए पारित किया,जिन्होंने कथित अपराध को अंजाम देने में मुख्य आरोपी (डॉक्टर शाहनवाज) की कथित रूप से मदद की थी।

विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट), मुरादाबाद द्वारा पुलिस स्टेशन तहाकुरद्वारा, मुरादाबाद में बीएनएस की धारा 61 (2), 64, 351 (2), 127 (2) और एससी-एसटी एक्ट की धारा 3 (1) आर, 3 (1) एस, 3 (2) वी के तहत दर्ज मामले में तीनों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं। विशेष न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए आरोपियों ने हाईकोर्ट में वर्तमान आपराधिक अपील दाखिल की, जिसमें अपीलकर्ताओं के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। पैथोलॉजी और लैब रिपोर्ट भी अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं करती हैं। 

दूसरी ओर सरकारी अधिवक्ता ने अपील का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि आरोपियों ने यह जानते हुए भी अपराध किया कि पीड़िता अनुसूचित जाति समुदाय से है। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज में भी कई आपत्तिजनक दृश्य दिख रहे हैं। मामले में पीड़िता के लिए शर्मनाक घटना का खुलासा करने में संकोच करना स्वाभाविक और संभावित था। इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने में देरी स्वाभाविक लगती है। कथित घटना पिछले साल अगस्त में हुई थी, जब पीड़िता एवीएम हॉस्पिटल में रात की ड्यूटी पर थी। मुख्य आरोपी ने नर्स को आधी रात के आसपास अपने केबिन में बुलाया और जब उसने वहां जाने से इनकार कर दिया तो उसे दो सह-आरोपियों द्वारा जबरन ले जाया गया। उसे जबरन केबिन के अंदर ले जाने के बाद सह-आरोपियों ने कथित तौर पर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया और डॉक्टर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता का मोबाइल फोन भी छीन लिया गया, जिससे वह मदद के लिए किसी को फोन न कर सके।

यह भी पढ़ें: CMO Transfer : अयोध्या के सीएमओ बने डॉ. सुशील कुमार, बस्ती की जिम्मेदारी संभालेंगे डॉ. राजीव निगम

संबंधित समाचार