Allahabad High Court Decision : यति नरसिंहानंद के खिलाफ एक्स पोस्ट मामले में जुबैर की याचिका पर फैसला सुरक्षित
Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यति नरसिंहानंद के अपमानजनक भाषण पर एक्स पोस्ट करने वाले आल्ट न्यूज के सह-संपादक मोहम्मद जुबैर के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली जुबैर की याचिका पर फैसला सुरक्षित करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक बढ़ा दी है।
जुबैर की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ नरसिंहानंद की कथित टिप्पणी पर 4 अक्टूबर की रात को हुआ विरोध प्रदर्शन उनके भाषण का प्रत्यक्ष परिणाम था, न कि जुबैर के कथित पोस्ट के कारण यह घटना घटित हुई। अधिवक्ता ने इस बात को एक उदाहरण से स्पष्ट करते हुए कहा कि हाल ही में एक बहुत बड़े कवि कुमार विश्वास ने अपनी कथा के दौरान अभिनेता सैफ अली खान के बारे में कहा कि उन्होंने अपने बेटे का नाम एक आक्रमणकारी तैमूर लंग के नाम पर रखा है। उनके इस कथन के बाद अभिनेता के ऊपर उसके घर पर एक घुसपैठिए द्वारा हमला किया गया तो यह नहीं कहा जा सकता कि यह हमला कुमार विश्वास की वजह से हुआ।
याची के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि याची के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत उसे प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने फैसले की घोषणा तक जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और राज्य सरकार से मौखिक रूप से पूछा कि क्या मामले में आरोप पत्र दाखिल होने तक जुबैर को संरक्षण दिया जाना चाहिए, जिसका विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता ने सुझाव दिया कि अगर याची को अपनी स्वतंत्रता के बारे में आशंका है तो वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी पाया कि केवल कुछ धाराओं के तहत प्राथमिकी को रद्द करना संभव नहीं है।
कोर्ट ने जुबैर के अधिवक्ता से एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें उनकी स्वतंत्रता के उल्लंघन के बारे में उनकी आशंका का ब्यौरा दिया गया हो। हालांकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जुबैर के खिलाफ बीएनएस की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है, इसलिए उनकी स्वतंत्रता खतरे में है। बता दें कि जुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने अक्टूबर 2024 में एक प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें उन पर डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया, जिसमें बाद में बीएनएस की धारा 152 के तहत अपराध जोड़ा गया। उक्त प्राथमिकी को चुनौती देते हुए जुबैर ने हाईकोर्ट का रुख किया।
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