राष्ट्रीय खेल की ‘नायिकाएं’ जिन्होंने पदक नहीं जनता का दिल जीता
अंकुर शर्मा, हल्द्वानी
अमृत विचार : 38वें राष्ट्रीय खेल जहां चर्चा दिव्य शुभारंभ-भव्य समापन, खिलाड़ी, खिलाड़ियों के प्रदर्शन और पदकों की हुई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी 24 स्वर्ण, 35 रजत और 44 कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को पीठ थपथपाई लेकिन इन सबमें ‘आधी आबादी’ की महती भूमिका रही। पर्दे के पीछे महिला अधिकारियों ने राष्ट्रीय खेलों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
जिले के सर्वोच्च से लेकर निचले पदों पर आसीन महिलाओं ने पूरा दमखम दिखाया। राष्ट्रीय खेलों को सफल बनाने के लिए ये महिला अधिकारी पुरुषों से कहीं भी कमतर नहीं रहीं। इन्होंने खिलाड़ियों को तराशने, स्पोर्टस स्टेडियम में इंतजाम, शहर को संवारने, भीड़ नियंत्रण, वाहनों की पार्किंग, वीवीआईपी के रोड शो प्रबंधन, सांस्कृतिक कार्यक्रम से लेकर वीवीआईपी मेहमानों का आतिथ्य प्रबंधन को खूब सराहा गया। रात-दिन एक कर अपनी लग्न, निष्ठा व राष्ट्रीय खेलों के आयोजन को सफल बनाया। इसी के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए खिलाड़ियों के सामने उत्तराखंड की सशक्त राज्य की छवि बनाने में भी मदद की। ऐसी ही महिला अधिकारियों को अमृत विचार समाचार पत्र अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अभिनंदन करता है।
1.ऋचा सिंह
नगर आयुक्त ऋचा सिंह के कंधों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण अभियानों में से एक स्वच्छता अभियान के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रबंधन, प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके अतिरिक्त उनके सामने बाईपास स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड से कूड़े का पहाड़ हटाना था ताकि खिलाड़ियों को परेशानी नहीं हो। उन्होंने न सिर्फ इस पहाड़ जैसी समस्या हल की सफल रोड शो में भी भूमिका निर्वाह की। इसके साथ-साथ उन्होंने नगर आयुक्त जैसे पद की जिम्मेदारियां भी निभाईं।
2. राशिका सिद्दीकी
खेल की उप निदेशक राशिका सिद्दीकी सिर्फ अधिकारी नहीं वरन एक खिलाड़ी के तौर पर राष्ट्रीय खेलों में शामिल हुईं। उन्हें खिलाड़ियों की समस्याओं से रूबरू थीं, इसलिए खेल प्रतिस्पर्धाएं शुरू होने से पूर्व ही उनका समाधान किया। उन पर सभी खेलों के डीओसी एवं अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में सभी खेलों के वेन्यू व्यवस्थाओं की निगरानी, विभिन्न राज्यों से आए मेहमानों के लिए हॉस्पिटैलिटी देखनी थी। उन्होंने एक कुशल खिलाड़ी की तरह सभी हर्डल्स को पार कर इनका समाधान किया।
3.निर्मला पंत
नैनीताल की जिला क्रीड़ाधिकारी निर्मला पंत के सामने स्वीमिंग पूल, फुटबॉल ग्राउंड तैयार कराने समेत कई चुनौतियां थीं। खिलाड़ियों और इवेंट कंपनी के बीच पुल बनकर तालमेल बनाना और खिलाड़ियों को दिक्कत नहीं हो इसकी जिम्मेदारी भी थी। इसी के साथ-साथ मिनी स्टेडियम व इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में भी व्यवस्थाएं चाक चौबंद करनी थीं। राष्ट्रीय खेल में हर किसी के सवालों का जवाब देने थे। जिनका उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन किया।
4. रेखा कोहली
कालाढूंगी एसडीएम रेखा कोहली के पास राष्ट्रीय खेलों में अन्नपूर्णा की भूमिका निभाई। उन्होंने गौलापार स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में पहुंचे हजारों दर्शकों व तिकोनिया से लेकर काठगोदाम तक सड़क किनारे लगे सांस्कृतिक दलों के कलाकारों की भूख मिटाने की थी। उन्होंने लोगों में फूड पैकेट्स वितरित करवाए। इसके अलावा भौगोलिक क्षेत्रफल के लिहाज दो-दो विधानसभा क्षेत्र कालाढूंगी व हल्द्वानी वाली तहसील कालाढूंगी एसडीएम के प्रशासनिक कार्य भी निबटाए।
5.मनीषा बिष्ट
कालाढूंगी तहसीलदार मनीषा बिष्ट के पास पार्किंग प्रबंधन की जिम्मेदारी थी। किसी भी आयोजन में सबसे बड़ी समस्या जाम और वाहनों की पार्किंग की होती है। दरअसल, आयोजन शुरू होने से पूर्व वाहनों को पार्क करवाना और आयोजन समाप्ति के बाद जाम नहीं लगने देना लक्ष्य होता है। इसकी जिम्मेदारी तहसीलदार मनीषा बिष्ट के पास थी। उन्होंने एमबीपीजी, काठगोदाम और ठंडी सड़क पर पार्किंग व्यवस्थाएं देखीं । दरअसल, उक्त क्षेत्र में वीवीआईपी काफिला गुजरना था इस लिहाज से उनकी जिम्मेदारी महत्वपूर्ण थी जिसका बखूबी निर्वहन किया।
6.मनीषा मारकाना
नैनीताल तहसीलदार मनीषा मारकाना के पास वीवीआईपी मेहमानों की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी थीं। भौगोलिक लिहाज से सरोवर नगरी की तहसील का क्षेत्रफल सबसे बड़ा है। कई बिंदुओं के लिहाज से संवदेनशील तहसील की जिम्मेदारी के साथ-साथ उन्होंने वीवीआईपी मेहमानों के पास व्यवस्थाएं देखीं जिसकी खूब सराहना हुई।
