उन्नाव के परियर से शुरू हुई 14 कोशीय परिक्रमा, भक्तों का उमड़ा हुजूम, लोगों ने किए माता जानकी व बाबा बलखंडेश्वर महादेव के दर्शन

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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उन्नाव, अमृत विचार। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को परियर के जानकीकुंड आश्रम से शुरू होने वाली 14 कोशीय परिक्रमा में हजारों की संख्या में महिलाओं ने परिक्रमा शुरू कर माता जानकी व बाबा बलखंडेश्वर महादेव के दर्शन किये। इस परिक्रमा का समापन तीसरे दिन बिठूर में होता है।

फाल्गुन माह के दशमी को होने वाली परंपरागत तरीके से 14 कोशीय पैदल परिक्रमा ने जानकी कुंड की परिक्रमा कर बिठूर तीर्थ की ओर प्रस्थान किया। जानकीकुंड आश्रम के पुजारी बड़कऊ दीक्षित व अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि मान्यता के अनुसार फाल्गुन माह की दशमी को जानकीकुंड से शुरू होकर बिठूर होते हुए बड़े हनुमान तक लोग 14 कोशीय पैदल परिक्रमा करते हैं। 

इसके बाद वापसी में बिठूर आकर ब्रम्हावर्त की खूंटी पर दीप जलाकर गंगा जल लेकर घर के लिए वापस होते हैं। जानकीकुंड में परिक्रमा के दौरान लोग बांस की छड़ी लेकर परिक्रमा करते हैं। लोगो का मानना है कि ऐसा करने से वंश वृद्धि होती है और समृद्धि मिलती है। मान्यता है कि भगवान राम ने जब सीता का परित्याग किया था तो उन्हें यहीं बाल्यमीकि आश्रम में आश्रय मिला था। यहीं पर लव व कुश का जन्म हुआ था। अन्य वर्षों की तुलना में इस वर्ष परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। बिठूर से परियर तक कई जगह पर भंडारा व प्रसाद वितरण चलता रहा। इस पैदल परिक्रमा मेले में महिलाओं की संख्या अधिक रहती है। 

जानकीकुंड पहुंची राम दरबार और लड्डू गोपाल की रथयात्रा 

परियर। अति प्राचीन बाल हनुमान मंदिर बिठूर से भव्य राम दरबार व लडडू गोपाल का डोला, राम दरबार, राधा कृष्ण, भोले बाबा की झांकी व रथयात्रा डीजे, बैंडबाजा, डोल के साथ बिठूर मंदिर से होते हुए परियर बाबा बलखंडेश्वर मंदिर होते हुए जानकीकुंड आश्रम पहुंची। लोगों ने जगह-जगह यात्रा की पूजा व अर्चना आरती की। इसके बाद परिक्रमा पूरी कर वापस बिठूर पहुंची। रथयात्रा में मुख्य रूप से विमल दीक्षित, रविशंकर मिश्रा, शनि मोघे, अंकुर, प्रसून, रजनी दीक्षित, प्रवीण, देवीप्रसाद, दिलीप मौजूद रहे।

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