अमेरिकी शुल्क को लेकर बातचीत के लिए राष्ट्रीय कार्यबल का गठन करे सरकार: कांग्रेस ने की केंद्र से मांग

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जवाबी शुल्क (टैरिफ) की घोषणा किए जाने के बाद अब राष्ट्रीय कार्य बल का गठन किया जाना चाहिए जो अमेरिका से बातचीत का मसौदा तैयार करे और निगरानी करे कि भारत का व्यापार किस दिशा में जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने यह भी कहा कोई भी बातचीत संतुलित और सम्मानजनक होनी चाहिए तथा भारत को दुनिया के दूसरे हिस्से से व्यापार को मजबूत करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।

शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, "2 दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने जवाबी शुल्क की घोषणा की, जिससे पूरी दुनिया के व्यापार को चोट पहुंची है। 75 साल के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को एक फैसले ने बिखेर दिया है। जो हुआ है, वो देश औऱ दुनिया के दृष्टिकोण से दुर्भाग्यपूर्ण है। " उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ, जिससे पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल बना हो। पूर्व वाणिज्य मंत्री का कहना था, "यह सिर्फ अर्थशास्त्र और व्यापार जगत तक सीमित नहीं है। देश इससे सीधे प्रभावित होते हैं, चाहे अमीर देश हों या गरीब देश हों। "

उन्होंने कहा, "सरकार द्वारा कुछ घोषणाएं पहले ही की जा चुकी हैं, जो कि बातचीत से पहले नहीं होनी चाहिए थीं। ये सब बातचीत पर आधारित रहनी चाहिए और एक तरफा नहीं दो तरफा होना चाहिए। " शर्मा ने कहा, "भारत सरकार से हमारा आग्रह है कि इस मुद्दे पर व्यापारी, उद्योगकर्मी, किसान, डेरी, पोल्ट्री, कपड़ा सहित सभी संबंधित पक्षों से बात करनी चाहिए।" उनका यह भी कहना था कि राष्ट्रीय कार्य बल का गठन किया जाए, जो अमेरिका से बातचीत का मसौदा तैयार करे और निगरानी करे कि भारत का व्यापार किस दिशा में जा रहा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिका द्वारा एक तरफा फैसला थोपना, भारत औऱ दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है। शर्मा ने इस बात पर जोर दिया, "जवाबी शुल्क थोड़ा चिंता का विषय तो है लेकिन ये एक ध्रुवीय दुनिया नहीं है, बहुध्रुवीय है। दुनिया में यूरोप, अफ्रीकी संघ, लैटिन अमेरिका और खाड़ी के बड़े देश हैं। विश्व के हर हिस्से के अंदर हमारे रिश्ते हैं, उसको हमें प्राथमिकता देनी होगी। " उन्होंने कहा कि विश्व में टकराव शुरू हो गया है, जिसे व्यापार युद्ध कहा जा रहा है, ये नुकसान करेगा और खासतौर पर गरीब देशों का। शर्मा ने कहा, " इसमें किसी की जीत नहीं होगी। अमेरिका को भी इससे नुकसान होगा। ये सोच गलत है कि वहां कोई निर्माण की क्रांति आएगी। " 

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