बरेली की सीएम डैशबोर्ड रैंकिंग में गिरावट, 21 विभागों की लापरवाही उजागर

Amrit Vichar Network
Published By Preeti Kohli
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बरेली, अमृत विचार: मुख्यमंत्री डैशबोर्ड की मार्च माह की रैंकिंग जारी हो गई। परियोजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं होने की वजह से प्रदेश में जनपद की ओवरआल 12वीं रैंक आई है। जनपद के 21 विभागों की परियोजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई। इस वजह से कई परियोजनाओं में बी, सी, डी व ई श्रेणी मिली है। जिन विभागों की रैंक खराब आई है, उनके अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब करने की तैयारी शुरू हो गई है।

मुख्यमंत्री डैशबोर्ड की मार्च माह की रैंकिंग के अनुसार अवस्थापना, औद्योगिक विकास के एमओयू मॉनीटरिंग में ई, आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स के डिजि शक्ति में बी, आबकारी में राजस्व बनाम लक्ष्य में डी, कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार की मंडी आय में बी, खाद्य एवं औषधि प्रसाधन के संकलित नमूना एवं कृत कार्रवाई औषधि में सी, खाद्य एवं रसद की गेहूं खरीद योजना में डी, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास के गन्ना मूल्य भुगतान में सी,

नगर विकास एवं गरीबी उन्मूलन के प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में बी, भूतत्व एवं खनिकर्म के आईएमएसएस के अनुसार प्रवर्तन कार्य में बी, राजस्व के आरसीसीएमएस डैश बोर्ड में बी, राजस्व के कुर्रा बंटवारा (धारा-116) में बी, राजस्व के नामान्तरण (धारा-34) में बी, राजस्व के निर्विवाद उत्तराधिकार (विरासत) में सी,

राजस्व के पैमाइश (धारा-24) में सी, राजस्व के भू-आवंटन पट्टा डैश बोर्ड में ई, राजस्व के भूलेख कार्य में बी, राजस्व के स्वामित्व डैशबोर्ड में डी, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में बी, लोक शिकायत में जनसुनवाई (आईजीआरएस) में डी, वित्त के सरकारी कर राजस्व समेकित में डी, वित्त के सरकारी गैर कर राजस्व समेकित में सी ग्रेड मिला है। इन परियोजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई।

शाहजहांपुर जनपद बरेली से बेहतर
शाहजहांपुर जनपद बरेली से बेहतर रहा। विकास एवं राजस्व कार्यों में शाहजहांपुर को 10 में से 9.20 मार्क्स मिले हैं, जबकि बरेली को 10 में से 9.04 मार्क्स मिले। पड़ोसी जनपद रामपुर भी .4 अंक ज्यादा लेकर बरेली से बेहतर श्रेणी लाया है।

ये भी रैंकिंग गिराने में कारण रहे
जनपद में पंजीकृत किसान 12446 हैं। 5451 किसानों से गेहूं खरीद की गई। 180000 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है। जबकि अभी 36345 मीट्रिक टन खरीद की गई है। 83.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। महज 20 प्रतिशत खरीद होने की वजह से गेहूं खरीद में डी रैंक मिली है।

जनपद में कुल देय गन्ना भुगतान 9 अरब 41 करोड़ 30 लाख से अधिक है, जबकि चीनी मिलों ने 6 अरब 81 करोड़ 63 लाख से कुछ ज्यादा ही भुगतान किया है। सी रैंकिंग रिपोर्ट के अनुसार 72.41 प्रतिशत ही भुगतान हुआ है, जबकि 27.59 प्रतिशत गन्ना भुगतान बकाया है। इस वजह से रैंकिंग गिरी। 

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