साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों ने अवैध लेनदेन में शामिल खातों को सीज करने का मांगा अधिकार

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। फर्जी खातों के जरिये साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों ने अवैध लेनदेन में शामिल खातों को जब्त करने का अधिकार मांगा है। उनका कहना है कि अधिकारियों से अनुमति लेने में कीमती समय बर्बाद किए बिना तेजी से कदम उठाने के लिए ऐसा जरूरी है। 

बैंक आंतरिक कारणों के आधार पर खातों को जब्त करते हैं। हालांकि, धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए) के अनुसार उनके पास अदालत या कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) से मंजूरी लिए बिना ग्राहक खातों को जब्त करने का अधिकार नहीं है।

भारतीय बैंक संघ के एक कार्यसमूह ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, हम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सुझाव दे सकते हैं कि वह आगे इस पर विचार करे।'' धोखेबाज बैंकिंग प्रणाली के जरिये अवैध रूप से धन की हेराफेरी करने के लिए फर्जी खातों का उपयोग करते हैं। बैंक हर साल ऐसे हजारों खातों को जब्त करते हैं, लेकिन धोखेबाज प्रणाली में खामियों का फायदा उठाकर जल्दी से नए खाते बना लेते हैं। 

बैंकों ने स्थायी खाता संख्या या पैन की अनुपस्थिति में मतदाता पहचान पत्र और फॉर्म 60 का उपयोग करके खाते खोलने वाले व्यक्तियों को सत्यापित करने के लिए चुनाव आयोग के आंकड़ों का उपयोग करने और ऐसे खातों पर लेनदेन की संख्या को सीमित करने का प्रस्ताव दिया है। 

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) को लेनदेन निगरानी प्रणालियों से जोड़ा जा सकता है। कार्यसमूह ने कहा कि प्रौद्योगिकी में निवेश, कर्मचारियों के प्रशिक्षण और हितधारकों के बीच सहयोग से वित्तीय क्षेत्र अधिक सुरक्षित बन सकेगा। 

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