ई-रिक्शा चालकों की दबंगई देखनी हो आलमबाग वार्ड आइए... दुकानों के बाहर लगी कतार, जाएं तो जाएं कहां  

अमृत विचार आपके द्वार

ई-रिक्शा चालकों की दबंगई देखनी हो आलमबाग वार्ड आइए... दुकानों के बाहर लगी कतार, जाएं तो जाएं कहां  

लखनऊ, अमृत विचार: ई-रिक्शा चालकों की दबंगई देखनी हो तो इससे बेहतर उदाहरण ढूंढे नहीं मिलेगा। बात गुरुनानक नगर वार्ड के कारोबारी इलाके आलमबाग की है। जहां ई-रिक्शा चालकों की मनमानी सिर चढ़कर बोल रही है। पुलिस की सांठ-गांठ से खुलेआम दुकानों के बाहर ही कतारों में वाहन लगा चालक सवारियों को हांका देने में लग जाते हैं। कई-कई गाड़ियां कतारों में होती हैं। मजाल है कि कोई टोक दे। जब फुल होगी तभी दुकान के आगे से हटेगी। इन बेआवाज वाहनों के खडे़ होने का असर कारोबार पर सीधा पड़ता है। ग्राहक दुकान में प्रवेश नहीं कर पाता है। हाल यह है कि अगर कोई महिला ग्राहक दुकान की आरे रास्ता बना निकलने की कोशिश करती है तो यह ई-रिक्शा चालक उसे यात्री समक्ष अपनी गाड़ी की ओर जबरन बुलाने लग जाते हैं। नतीजा वह दुकान से कट जाती है और आगे दूसरी दुकान से अपने जरूरत का सामान खरीदती हैं। व्यापारी परेशान है। तमाम ज्ञापन पुलिस के जिम्मेदारों को दिए जा चुके हैं लेकिन इन पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिखता है। रविवार को अमृत विचार आपके द्वार की टीम जब पहुंची तो अधिकांश कारोबारी और स्थानीय लोग पुलिस की कार्यशैली पर नाराज हो उठे।

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ई-रिक्शा ने कठिन की डगर

आलमबाग शहर के व्यस्तम चौराहों में से एक है। इस चौराहे से कानपुर, आरडीएसओ, नटखेड़ा, सरदारीखेड़ा और चारबाग की ओर बड़ी संख्या में वाहनों का दबाव रहता है। पर आलमबाग चौराहे पर अतिक्रमण की वजह से रोजाना घंटो जाम लगा रहता है। कई बार एंबुलेंस भी फंस जाती है। पुलिस चौकी भी है लेकिन पुलिस वालों को जाम से कोई लेना देना नहीं है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इन ठेले और ई-रिक्शा चालकों से पुलिस वाले हफ्ता वसूलते हैं। यह मनमानी पर उतारू हैं। आलमबाग व्यापारियों का कहना है कि इन ठेले और ई- रिक्शा चालकों की वजह से ग्राहक दुकान तक नहीं आ पाते है जिसकी वजह से व्यापार चौपट हो गया है।

करीब 1,500 से अधिक छोटे-बड़े व्यवसायी हैं यहां

यह वार्ड व्यवसाय प्रधान है जहां करीब 1,500 से अधिक छोटे-बडे व्यवसायी हैं। इस वार्ड में रेहड़ी, पटरी और ठेलों का अतिक्रमण सुविधा शुल्क से तय होता है। क्या मजाल कोई व्यवसायी बोल दे। मारपीट पर आमादा हो जाते हैं। ई-रिक्शा चालक पूरी दबंगई से रास्ता जाम कर सवारी भरते हैं। लाचार और बेबस व्यापारी, दुकानदार इस स्थिति में ही अपना रोजगार करने को नियति मान चुके हैं। चौराहे पर बनी पुलिस चौकी से चंद कदम दूर आजादपुर जाने वाले मार्ग पर ही दो ई-रिक्शा चालक सवारी भरे जाने को लेकर गुत्थम-गुत्थी कर गाली-गलौज कर रहे थे। तीसरा ई-रिक्शा चालक बीचबचाव करने का प्रयास कर रहा था। सामने ही चायपत्ती के थोक व्यवसायी बेबस होकर देख रहे हैं पूछने पर कहते हैं कि दारु पीकर रोज यही होता है। कोई नई बात नहीं है। ज्यादातर व्यवासायी इन्हीं ई-रिक्शा चालकों से प्रताड़ित हैं।

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ट्रांसफार्मर खुला है निकलें तो संभलकर

आलमबाग चौराहे पर पुलिस चौकी के बगल में खुला ट्रांसफार्मर रखा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह व्यस्तम चौराहा है और यहां से रोजाना हजारों लोग निकलते है। ट्रांसफार्मर खुला होने की वजह से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। व्यापारियों ने कहा कि कई बार बिजली विभाग को सूचित किया गया मगर बिजली अधिकारी किसी बड़े हादसा होने का इंतजार कर रहे है। लोग अपना जान जोखिम में डालकर गाड़ी पार्किंग करने जाते है।

सुबह जला देते हैं कूड़ा, चिंगारी उड़ी तो होगी बड़ी घटना

एक महिला व्यवसायी बताती हैं कि रात में कूड़ा बटोरा जाता है। लेकिन निगम कर्मचारी इसे उठाकर नहीं ले जाते और सुबह 7-8 बजे जगह-जगह कूड़े के ढेर में आग लगा देते हैं। एक चिंगारी पूरे कारोबार को ध्वस्त कर सकती है। तेज हवाएं चल रही हैं। ऐसे में अग्निकांड होने में देर नहीं लगेगी। बावजूद इसके सब कुछ हुआ करता है। होजरी की दुकान करने वाले सरदार जी कहते हैं बगल में ही तो तालकटोरा है। लखनऊ का सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला स्थान जो हमेशा टॉप पर रहता है। वह कहते हैं कि यहां से मेट्रो गुजरती है, ई-रिक्शा चलता है, वायु गुणवत्ता सुधारने के तमाम उपाय किए जा रहे हैं लेकिन निगम कर्मचारी कूड़ा जला देते हैं जिससे प्रदूषण बढ़ता है।

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रेहड़ी, पटरी, ठेला का रेट है तय

सड़क के किनारे अतिक्रमण भी जाम का प्रमुख कारण है। यहां मुख्य व्यापारियों के प्रतिष्ठान के आगे जहां सवारी भरते ई-रिक्शा समस्या हैं तो वहीं उनकी दुकान के आगे पटरियों पर दबंगई के साथ ठेला, रेहड़ी लगाने वाले जमे हुए है। जिसके कारण न केवल मुख्य मार्ग बल्कि बाजार के रास्ते भी आधे से अधिक अतिक्रमण का शिकार हैं। इसे हटवाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है लेकिन व्यापारी खुलेआम आरोप लगाते हैं कि निगम कर्मचारियों की कमाई का यही स्रोत हैं। सबका रेट है।

हैलोजन चाहे जितना जलाओ, 500 दे दो

गुरुनानक नगर वार्ड सरकारी महकमों के कर्मचारियों के लिए कमाऊ वार्ड हैं जहां धनउगाही के अनेक स्रोत मौजूद हैं। एक व्यापारी बताते हैं कि आपका बिजली का लोड चाहे जितना स्वीकृत किया गया हो लेकिन आप जितने चाहे हैलोजन जला सकते हैं। कर्मचारी आते हैं और 5 सौ रुपया या हजार रुपए में मान जाते हैं। उसके बाद आप चाहे जितना बल्व और हैलोजन जलाइए कोई नहीं पूछेगा।

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कूडे का स्थायी ढेर, चाहे जो मर्जी कूड़ा डाल दे

वार्ड में दुकानों के पीछे ही बड़ा सा कूडे का ढेर हैं, जहां गंदगी, मक्खियां और बदबू की भरमार है। पास में ही मांस बेचने की दुकानें हैं। कूड़े के ढेर के बारे में पूछने पर स्थानीय निवासी बताते हैं कि लावारिस कूड़े का ढेर है। जिसे मर्जी यहां कुछ भी डालकर चला जाए। नगर निगम कर्मचारी इस कूड़े पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते।

डेढ़ हजार व्यवसायी लेकिन टायलेट नहीं

यह क्षेत्र व्यवसाय प्रधान क्षेत्र है। खरीदारों की खूब भीड़ रहती है। यहां पर एक भी टायलेट नहीं है। पुरुष को छोड़ दें तो सबसे बड़ा संकट महिलाओं को है। अनेक महिला व्यवसायी भी हैं और बाजार में खरीददारी करने दूर-दूर से महिलाएं भी आती हैं। करीब 40 हजार की आबादी और डेढ़ हजार व्यवसायी वाले इस इलाके में एक भी टायलेट नहीं है। एक महिला व्यवसायी संकोच करते हुए बताती है कि टायलेट की बहुत दिक्कत होती है। यहां पर महिलाओं को यदि जाना पड़े तो करीब एक किलोमीटर दूर सुलभ काम्पलेक्स की सेवाएं लेनी होगी या घर जाना होगा।

गड्ढे और टूटी सड़कें भी यहां खूब

एक व्यवसायी बड़े-बड़े दिखाते हुए कहते हैं कि देखिए ना। जरा सी असावधानी आपकों चोटिल कर सकती है। फोटो ले लीजिए और भी आपको दिखाता हूं। यहां पर सीवर जाम और साफ सफाई की समस्या से अधिक गंभीर समस्याएं हैं जिसे लेकर लोग निगम से गुहार लगाते रहे हैं। कहते हैं काश नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी खुद आकर एकबार हकीकत जान लेते।

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रोज होते हैं हादसे

लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ मंत्री मनीष अरोड़ा ने कहा कि नाबालिग ई-रिक्शा चालकों पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। इससे रोज हादसे हो रहे हैं। आलमबाग चौराहे पर ई-रिक्शा खड़ा करने के बाद घंटों सवारी के इंतजार में ई- रिक्शा चालक जाम लगाए रहते हैं। इसी के साथ ही दुकानों के सामने ठेले खड़े होते हैं जो जाम का मुख्य कारण है। अगर इन ठेले वालों से कुछ कहो तो लड़ाई- झगड़े पर आमादा हो जाते हैं।

क्या बोले लोग

-ई-रिक्शा की वजह से रोजाना जाम की समस्या बनी रहती है। सवारी बैठाने के लिए ई-रिक्शा चालक बीच सड़क पर रिक्शा खड़ा कर देते है। -संतोष तिवारी

-गुरुद्वारे के पास भीषण जाम लगा रहता है। ई-रिक्शा के अलावा लोग भी आड़े तिरछे गाड़ियां खड़ी कर देते हैं जिससे कार्यालय जाने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। –सोनू गुप्ता

ठेले वालों का सड़क पर कब्जा है। यह बिना किसी की परवाह किये बेतरतीब ढंग से ठेलों को खड़ा कर बाधा उत्पन्न करते हैं। –हरीश कुमार

बिजली का बाक्स खुला हुआ है जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है। कई बार बिजली विभाग को लिखित शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं। –सिद्धनाथ

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मेट्रो के नीचे मोड़ पर लोग अपने वाहन खड़ा कर देते हैं जिससे गाड़ी को मोड़कर निकालने में परेशानी होती है और जाम लगता है। –पवन पाण्डेय

पूरे आलमबाग बाजार में कहीं भी शुलभ शौचालय नहीं है। आने वाले ग्राहकों को इससे बहुत परेशानी होती है। कई ग्राहक तो आते ही नहीं है। –कैलाश बत्रा

पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। बाजार आने वाले ग्राहकों को हम लोग खरीदकर पानी पिलाते हैं जिससे हमारा बहुत रुपया खर्च होता है। नगर निगम भी चार्ज तो लेता है। मगर सुविधा नहीं देता है। पुलिस भी ठेले वालों से धन उगाही करती है। इसकी वजह से ठेले वालों के हौंसले बुलंद है। -उपकार सिंह

आलमबाग चौराहा से नटखेड़ा रोड पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है जिसकी मुख्य वजह ई- रिक्शा है। यह सवारी के चक्कर में सड़क घेरे रहते हैं। –अमरजीत सिंह

ठेले-खोमचे और ई-रिक्शा की वजह से ग्राहक दुकान तक आ ही नहीं पाते हैं। ग्राहक को दुकान तक आने में घंटों लग जाते हैं जिसकी वजह से अब ग्राहकों की संख्या में कमी आयी है। -शुभम अग्रवाल

गुरु नानक नगर वार्ड में कूड़ा उठाने के लिए कभी-कभी गाड़ी आती है जिसकी वजह से गंदगी फैलती है। -जमुना दास

नगर निगम की ओर से सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। ज्यादातर व्यापारी अपने रुपयों से ही सफाई करवाते हैं। इस संबंध में कई बार प्रार्थना पत्र दिया गया मगर समस्या जस की तस बनी हुई है। -विकास अरोड़ा

यहां पुलिस चौकी तो है लेकिन चौराहे पर पुलिस कर्मी नदारद रहते हैं जिसकी वजह से जाम लगता है। अगर पुलिस कर्मी अपना काम करे तो यहां से जाम की समस्या खत्म हो जाये। –काजल तलरेजा

शौचालय न होने की वजह से महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। बाजार आने वाली महिलाओं को जरूरत होने पर शौचालय के लिए दूर जाना पड़ता है। –शिवराज भाटिया

तीन वर्षों से सड़क खोदी जा रही है। बताया जाता है कि काम हो रहा है जिसकी वजह से बारिश में निकलने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। -कमल अठवानी

अमृत विचार आपके द्वार टीम- मार्कण्डेय पांडेय, अमित पांडेय
छायाकार: राजकुमार वाजपेयी

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