बरेली में फर्जी फर्मों का भंडाफोड़, कागजों में किया करोड़ों का कारोबार

Amrit Vichar Network
Published By Preeti Kohli
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बरेली, अमृत विचार: जिले में बोगस (फर्जी) फर्में बनाकर कागजों में करोड़ों का कारोबार किया जा रहा है। जबकि हकीकत में न खरीद हो रही है और न ही बिक्री। सेंट्रल जीएसटी में पंजीकरण कराने के बाद बोगस फर्मों से गैर राज्यों में आईजीएसटी के तहत ट्रांसफर दिखाया जा रहा था।

जीएसटी के अधिकारियों ने गोपनीय जांच करते हुए तीन फर्जी फर्मों में इस तरह के खेल का भंडाफोड़ कर सेंट्रल जीएसटी के उच्चाधिकारियों से संपर्क करने के बाद पंजीयन निरस्त कराया है।

अपर आयुक्त ग्रेड-1 राज्यकर दिनेश कुमार मिश्र के अनुसार, छानबीन में बरेली में कुछ फर्मों के बारे में जानकारी मिली। शर्मा इंटरप्राइजेज बरगांव की जांच में पता चला कि, जनवरी 2025 में फर्म का पंजीकरण किया गया। फरवरी 2025 में आउटवर्ड ई-वे बिल (गैर राज्यों में सामान की बिक्री) के माध्यम से 94 लाख 11 हजार 750 की सप्लाई दिल्ली को प्रदर्शित की गई थी,

लेकिन व्यापारी ने इस बिक्री के सापेक्ष खरीद के लिए कोई भी इनवर्ड ई-वे बिल डाउनलोड नहीं किया गया। मामला और संदिग्ध लगने पर व्यापार स्थल की रेकी कराई गई। बताया कि, जांच में जिस व्यक्ति नीरज शर्मा के प्रपत्रों पैन कार्ड, आधार कार्ड का उपयोग कर पंजीयन कराया गया, वह फर्नीचर रिपेयरिंग का कार्य करते हैं। उन्हें अपने नाम से फर्म के पंजीकरण की जानकारी ही नहीं थी।

भानु ट्रेडर्स बिल्डिंग नंबर 24 डिफेंस कॉलोनी नैनीताल रोड के नाम से होने की जानकारी हुई। जांच में पता चला कि, आयरन स्क्रैप की खरीद-बिक्री के लिए 15 अगस्त 2024 को पंजीकरण कराया गया था। शुरुआती दौर में व्यापारी ने खरीद-बिक्री के रिटर्न शून्य दाखिल किए।

इसके बाद फरवरी 2025 में 10,84,43,040 रुपये की सीमेंट, आयरन स्टील की आउटवर्ड सप्लाई दिखाई गई, जिसमें 2,42,01,767 रुपये की आईटीसी को महाराष्ट्र राज्य में ट्रांसफर कर दिया गया था। इसी तरह अन्य खेल किए। जांच में अधिकांश फर्मों के पंजीयन निरस्त पाए गए। इस नाम से कोई भी फर्म डिफेंस काॅलोनी नैनीताल रोड पर स्थित नहीं हैं।

एमके इंटरप्राइजेज दुकान नंबर 245, एकता रोड गैलेक्सी टॉवर शॉपिंग काम्पलेक्स दीन दयाल पुरम के नाम से फर्म उड़ीसा के भकारशाही भानरानीजीग निवासी महेंद्र कुमार स्वेन के पैन नंबर से सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत मिली। जांच में पता चला कि, फरवरी और मार्च में 47.41 करोड़ रुपये की सप्लाई गैर प्रांत के लिए प्रदर्शित दिखाते हुए 9.44 करोड़ की आईजीएसटी की देयता स्वीकार की।

जिसे फर्जी तरीके से अर्जित आईटीसी से समायोजित किया गया है। बताया कि, सीजीएसटी (सेंट्रल गुड्स सर्विस टैक्स) 4.90 करोड़ और एसजीएसटी (स्टेट गुड्स सर्विस टैक्स) 4.54 करोड़ से समायोजित करते हुए इसका लाभ हरियाणा राज्य में में पंजीकृत दो फर्मों संतोष सर्विसेज, विष्णु सर्विसेज को पहुंचाया गया है। ऐसा करके बोगस फर्म ने जीएसटी के संग्रह में 4.54 करोड़ के राजस्व की क्षति की है। जबकि फर्म अस्तित्व में नहीं थी।

बोगस फर्मों की चेन बनाकर बिना कोई खरीद-बिक्री किए दूसरी फर्मों को आईटीसी हस्तांतरित कर राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है। इस तरह की तीन फर्में कागजों में करोड़ों का लेनदेन दिखा रही हैं। गोपनीय जांच के बाद तीन फर्मों का पंजीयन निरस्त कराया गया। हरियाणा की दो फर्में निलंबित कराई गईं। 9 करोड़ के राजस्व की क्षति हो गई थी। पंजीयन निरस्त करके 1.53 करोड़ की कर चोरी रोकी गई है- दिनेश कुमार मिश्र, अपर आयुक्त ग्रेड-1 राज्य कर

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