यूपी बनेगा आयुष के बढ़ते बाजार में अग्रणी खिलाड़ी, खुलेंगे रोजगार के द्वार
मुख्यमंत्री ने धार्मिक पर्यटन की तरह हेल्थ टूरिज्म में भी इतिहास रचने के दिए हैं निर्देश
लखनऊ, अमृत विचार। आयुष के बढ़ते क्रेज और कारोबार से स्थानीय स्तर पर औषधीय खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। इनके प्रसंस्करण के लिए स्थानीय स्तर पर कुटीर उद्योग लगेंगे। इनमें ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, लोडिंग, अनलोडिंग और मार्केटिंग के लिए रोजी रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। लोग आसपास उगने वाली जड़ी-बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। इसका सर्वाधिक लाभ स्थानीय किसानों और छोटे उद्यमियों को होगा।
प्रयागराज महाकुंभ, अयोध्या में रामलला मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के जरिये धार्मिक टूरिज्म में इतिहास रचने के बाद योगी सरकार का जोर अब हेल्थ टूरिज्म पर है। इसमें चिकित्सा की परंपरागत विधा आयुष पर खासा फोकस है। अभी 23 फरवरी को एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि धर्म के बाद उत्तर प्रदेश हेल्थ टूरिज्म में भी नंबर वन बनेगा। इसके लिए हमें अपने इलाज को प्राचीन विधाओं और दादी नानी के नुस्खों को संग्रहित करना होगा। क्योंकि निरोगी काया ही सबसे बड़ा सुख है।
सरकार का पूरा फोकस इस परंपरा को विज्ञान से जोड़ने का है। ताकि आयुर्वेद प्रदेश, देश और दुनिया को आरोग्य की राह दिखा सके। जब ऐसा होगा तब उत्तर प्रदेश इसका अग्रणी खिलाड़ी होगा।
15 गुना बढ़ा आयुष उत्पादों का वैश्विक बाजार
आंकड़े बतातें हैं कि वर्ष 2014 में आयुष उत्पादों का वैश्विक बाजार 2.85 अरब अमेरिकी डॉलर का था, जो 2024 में बढ़कर 43.4 अरब डॉलर का हो गया। यह 10 साल में 15 गुना से अधिक की वृद्धि है। 100 से अधिक देशों में भारत के बने हर्बल उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। वैश्विक महामारी कोविड 19 के बाद इसमें अभूतपूर्व विस्तार हुआ।
गोरखपुर के आयुष विश्वविद्यालय के अलावा
अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक और वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक कॉलेज भी शीघ्र संचालित होने लगेंगे। फिलहाल प्रदेश में इस समय 2110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी,1585 होम्योपैथिक चिकित्सालय हैं। इसके साथ आठ आयुर्वेदिक कॉलेज एवं इनसे संबद्ध चिकित्सालय, दो यूनानी कॉलेज और इनसे संबद्ध चिकित्सालय और 9 होम्योपैथिक कॉलेज उनसे संबद्ध चिकित्सालय और वेलनेस सेंटर भी हैं। उल्लेखनीय है कि योग और आयुर्वेद गोरक्षपीठ की परंपरा है।
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