अफरीदी को ओवैसी ने बताया "जोकर", बिलावल भुट्टो पर भी किया तीखा पलटवार, कहा- उनकी मां को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ही मारा था
लखनऊ। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लीमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने "खून की नदियां बह जाएंगी" वाले बयान के लिए पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो-जरदारी की आलोचना की और कहा कि उन्हें यह याद रखना चाहिए कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ही उनकी मां बेनजीर भुट्टो की हत्या की थी। उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले पर दिए गए बयान के लिए पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी को भी "जोकर" कहा। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी।
हैदराबाद के सांसद ने कहा कि पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की 'ग्रे’ (संदिग्ध) सूची में रखा जाना चाहिए और पड़ोसी देश के खिलाफ साइबर हमले होने चाहिए। भारत द्वारा सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित किए जाने के बाद भुट्टो के बयान पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर ओवैसी ने कहा कि भुट्टो-जरदारी को यह पूछना चाहिए कि उनकी मां की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है।
ओवैसी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "उनकी हत्या उनके ही देश के आतंकवादियों ने की थी।" पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी, पाकिस्तान में हत्या कर दी गई थी। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा था "सिंधु नदी हमारी है और हमारी ही रहेगी - या तो हमारा पानी इसमें बहेगा, या उनका खून।" हालांकि ओवैसी ने संधि पर रोक लगाए जाने के बाद सिंधु नदी के जल के भंडारण को लेकर चिंता जताई और कहा, “इसे कहां संग्रहीत किया जाएगा।”
ओवैसी ने पूछा, "सिंधु जल संधि को स्थगित रखे जाने के बाद पानी कहां जाएगा? इसे कहीं तो संग्रहीत करना ही होगा।" हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यह निर्णय केंद्र ने लिया है, इसलिए उनकी पार्टी पूरी तरह से इसके साथ खड़ी है। विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों - सतलुज, ब्यास और रावी - के पानी पर विशेष अधिकार दिए गए थे, जिसका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 33 एमएएफ (मिलियन एकड़ फुट) है।
संधि के तहत पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब - का पानी बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। इन नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 135 एमएएफ है। ओवैसी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण और धनशोधन से संबंधित अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की 'ग्रे लिस्ट' में डलवाया जाना चाहिए। ऐसी सूची में शामिल देश को गंभीर वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
