face based attendance से हाय तौबा शुरू, मेडिकल कॉलेजों में बदली प्रक्रिया से परेशान हो रहे शिक्षक और चिकित्सक
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लखनऊ, अमृत विचार। मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति फेस बेस्ड अटेंडेंस लगना शुरू हो गयी है। एक मई से नियम लागू होने के बाद से कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति का वास्तविक आकड़ा नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) को पहुंचने लगा है। इस नए नियम से जहां मेडिकोज की पढ़ाई और मरीजों के इलाज की संभावनाएं बढ़ी हैं, वहीं शिक्षक व चिकित्सकों की दिक्कते बढ़ गईं हैं।
मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति संबन्धी फर्जीवाड़ा की रोकथाम के लिए एनएमसी ने फिंगर बेस्ड लगने वाले बायोमेट्रिक अटेंडेंस की जगह फेस बेस्ड अटेंडेंस की व्यवस्था लागू कर दी है। इसके लिए शिक्षकों को कॉलेज के 100 मीटर दायरे के अंदर अटेंडेंस लगानी पड़ रही है। मालूम हो कि अभी तक फिंगर से लगने वाली अटेंडेंस में शिक्षक व चिकित्सक कहीं से भी लगा देते थे, लोकेशन ट्रेस नहीं होती थी, जिसकी भनक एनएमसी को लग गयी। जिसके बाद एनएमसी ने फेस बेस्ड विद लोकेशन अटेंडेंस का नियम लागू कर दिया है।
शिक्षकों का अभाव
प्रदेश में अधिकांश मेडिकल कालेज संविदा शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। फेस बेस्ड अटेंडेंस व्यवस्था लागू होने के बाद संविदा शिक्षकों में भी दिक्कतें आने की संभावना बढ़ गयी है। क्योंकि प्राइवेट प्रैक्टिस पर भी राज्य सरकार का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। आगरा मेडिकल कॉलेज में संविदा शिक्षकों द्वारा की जा रही प्राइवेट प्रैक्टिस की जांच राज्य सरकार के निर्देश पर करायी जा रही है। इसके बाद संविदा शिक्षकों के नौकरी छोड़ने की उम्मीद लगायी जा रही है।
एनएमसी को ओपीडी मरीज से लेकर पैथोलॉजी जांच तक का रिकार्ड चाहिए
मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सकीय सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) ने रोजाना ऑन लाइन आंकड़े लेना शुरू कर दिया है। आंकड़ों में मेडिकल कॉलेज प्रशासन को शिक्षक व चिकित्सकों की मौजूदगी के अलावा ओपीडी में आने वाले मरीजों के साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों का पूरा लेखा-जोखा ऑन लाइन एनएमसी को उपलब्ध कराना है। इसके अलावा कॉलेज प्रशासन को एनएमसी द्वारा समय समय पर मांगे गए आंकडे भी उपलब्ध कराना है, अन्यथा मानक न पूरे करने में एमबीबीएस सीटों की मान्यता पर संकट आ सकता है। बीते दिनों प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों पर आंकड़ा न अपलोड करने के चलते पांच-पांच लाख का जुर्माना भरना पड़ा है।
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