बाराबंकी : दबंगों ने दम्पति पर किया हमला, गर्भवती गंभीर रूप से घायल
अमृत विचार : जहांगीराबाद थाना क्षेत्र में आपसी विवाद के दौरान एक गर्भवती महिला समेत उसके पति पर जानलेवा हमला कर दिया गया। महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। महिला की हालत गंभीर बताई जा रही।
क्षेत्र के ग्राम कोड़री मजरे छुलहा बन्नी में विजय कुमार पुत्र स्व. नान्हू ने थाने में दी गई तहरीर में आरोप लगाया कि 4 मई की रात करीब 10 बजे गांव के ही रामू, श्रवण, विजय पुत्र गण विहारी और राहुल पुत्र श्रवण कुछ लोगों से गाली-गलौज कर रहे थे। विजय ने जब झगड़ा शांत कराने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उससे अभद्रता की और फिर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। विजय ने बताया कि जब वह जान बचाकर घर के अंदर भागा, तो आरोपी जबरन घर में घुस आए और मारपीट जारी रखी। शोर सुनकर उसकी पत्नी सरिता बचाने आईं, तो आरोपियों ने उन्हें भी पीटा।
सरिता चार माह की गर्भवती हैं और हमले में उन्हें पेट में गंभीर चोट लगी। इनका कहना है कि ग्राम समाज के लोगों की मध्यस्थता से 6 मई को समझौता हुआ, पर सरिता की हालत में सुधार न होने पर 9 मई को उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है। पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
विवाहिता लापता, जताई हत्या की आशंका
बदोसरांय थाना क्षेत्र में एक माह दस दिन पहले लापता विवाहिता का अब तक कोई सुराग नहीं लगा है। परिजन विवाहिता की हत्या किए जाने की आशंका जता रहे। वही आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने महज गुमशुदगी ही दर्ज की है।
थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव के रहने वाले व्यक्ति ने अपनी बहू के संदिग्ध परिस्थितियों में गायब होने को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित ने न्यायालय में दिए पत्र में गुहार लगाते हुए कहा है कि एक मार्च को उनकी बहू घर से अपने सभी कीमती जेवरात और 12 हजार रुपये नकद लेकर चली गई, जिसमें अमर यादव उर्फ छोटू, मनीराम पाल और राजकुमारी नाम की महिला की संलिप्तता बताई गई है।
आरोप है कि विपक्षीजन उसे और उसके परिवार को धमकी दे रहे हैं और फोन पर गाली-गलौज कर कह रहे हैं कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। घटना की सूचना देने पर थाना बदोसरांय पुलिस ने मात्र गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। आशंका है कि उसकी बहू की हत्या कर शव को ठिकाने लगाया जा चुका है। ससुर ने एसपी को भी 17 मार्च को डाक के माध्यम से प्रार्थना पत्र भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। विवश होकर वह न्यायालय गए जहां से हुए आदेश पर रिपोर्ट दर्ज की गई है।
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