बरेली : पहलगाम आतंकी हमले पर बरेली से फतवा, इस्लाम के नाम पर हत्याएं करवाना हराम
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन इस्लाम के खिलाफ हैं

बरेली, अमृत विचार। कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया है। जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में फतवे पर रोशनी डाली। आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए कुरान के हवाले से कहा कि एक व्यक्ति की हत्या पूरी मानवता की हत्या है। पैगंबर-ए-इस्लाम की एक हदीस का हवाला देकर बताया कि, ''अच्छा मुसलमान वह है जिसके हाथ, पैर और जुबान से किसी को कोई नुकसान न पहुंचे"। इस्लाम स्पष्ट रूप से आतंकी घटनाओं की निंदा करता है।
फतवे में हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा और मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार संगठनों को गैर इस्लामी बताया। कहा कि इस्लाम के नाम पर ऐसे संगठन बनाकर खून-खराब करना और हत्याएं करवाना नाजायज व हराम है। इस्लाम शांति और अमन का धर्म है। समाज के हर वर्ग में शांति पसंद करता है। पैगंबर इस्लाम ने अपने पूरे जीवन में किसी भी अनुयायी, मुस्लिम या गैर-मुस्लिम की हत्या का आदेश नहीं दिया। इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो किसी भी अन्य धर्म के अनुयायियों के जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा करता है। यह सभी मनुष्यों के लिए न्याय का आदेश देता है। फतवे में सख्त भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा गया है कि, इस्लाम सभी लोगों के साथ अच्छे व्यवहार का आदेश देता है। इन दिनों, कुछ लोग कुरान और इस्लाम में "जिहाद" के अर्थ को गलत तरीके से पेश करके इस्लाम के नाम पर एक-दूसरे को मारने की कोशिश कर रहे हैं। ये सब इस्लाम-कुरान और हदीस के सिद्धांतों (नियमों) के विपरीत है। इस्लाम ने हमें एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने के लिए भी कहा है।
फतवे में भारत मे सभी धर्मों के अनुयायियों से अच्छे संबंध रखने की बात कही गयी। कहा गया कि इस्लाम के पैगंबर ने खुद गैर-मुसलमानों के निमंत्रण को स्वीकार किया। उन्हें भी आमंत्रित किया और सुख-दुख में हालचाल पूछा। आज के माहौल में, समाज के बीच अच्छे संबंधों की जरूरत है। चाहे वह खुशी का मौका हो या गम का, हमें हर स्थिति में देश के भाइयों (देश में रहने वाले सभी नागरिकों) के साथ खड़ा होना चाहिए और एकता और भाईचारे का संदेश देना चाहिए।
फतवे में कहा गया कि पहलगाम आतंकी हमले को धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि यह आतंकवादी हमला क्रूर, अत्याचारी और कायरतापूर्ण है। इसलिए हम आतंकवाद का कड़ा विरोध करते हैं और इसकी निंदा करते हैं। स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस तरह की तमाम आतंकवादी घटनाएं शरीयत की रोशनी मे नाजायज और हराम है।
इस दौरान शाहजहांपुर से मौलाना इकबाल फूल मियां व मौलाना तारिक, पीलीभीत से मौलाना गुलाम मोहिउद्दीन हशमती व मौलाना अब्दुर रशीद, बदायूं से कारी हशमत व मौलाना आलम रज़ा, रामपुर से मौलाना मुस्तकीम रजा व मौलाना अब्दुर्रहूफ। बरेली से मौलाना मुजाहिद हुसैन, मुफ्ती अब्दुल वाहिद, मुफ्ती हाशिम रजा, मौलाना हामिद नूरानी, मौलाना जफरुद्दीन, मौलाना नदीम, मौलाना अनस रजा, मुफ्ती कमर रजा, मौलाना खुर्शीद रजवी, हाजी नाजिम बेग, मौलाना एजाज रजवी, मौलाना सैफ रजा आदि मौजूद रहे।
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